तात्कालिक प्रभाव को देख 20 साल पहले बनाए गए थे नाले
नाला निर्माण की योजना बनाते समय शहर के विस्तार का नहीं रखा गया ध्यान दो दशक में क्षेत्रफल व आबादी बढ़ने के बाद जलनिकासी में आ रही परेशानी

नाला निर्माण की योजना बनाते समय शहर के विस्तार का नहीं रखा गया ध्यान दो दशक में क्षेत्रफल व आबादी बढ़ने के बाद जलनिकासी में आ रही परेशानी (पटना का टास्क) भभुआ, एक प्रतिनिधि। नगर परिषद ने तात्कालिक प्रभाव को देख शहर में दो दशक पहले नाले का निर्माण कराया था। योजना बनाते समय भविष्य में शहर के विस्तार का ख्याल नहीं रखा गया। बाद में नाले का विस्तार करने की योजना पर काम हुआ, नए सिरे से निर्माण का नहीं। यही कारण है कि कई जगहों पर मुहल्लों की नाली से मुख्य नाले ऊंचे हो गए, जिससे बारिश होने पर जलजमाव की समस्या आज भी बनी रहती है।
कहीं नाले के ढक्कन टूटे हैं, तो उसकी दीवार ध्वस्त हो गई है और कहीं अतिक्रमण कर कारोबार किया जा रहा है। गंदगी से नाले जाम हैं। नगर परिषद की ओर से शहर के घरों से निकलने वाले गंदे पानी और बरसात के पानी को नदी एवं नहर तक पहुंचाने के लिए नालों का निर्माण किया गया है। लेकिन, नालों का निर्माण तात्कालीक प्रभाव को ध्यान में रखकर किया गया था। अगर नाला का निर्माण भविष्य में 30 या 40 साल बाद शहर के होने वाले विकास को ध्यान में रखकर किया गया होता तो आज जलजमाव की समस्या नहीं झेलनी पड़ती। हालांकि नगर परिषद की ओर से जिन नालों का कराया गया है, वह भी कई पार्ट में बने हैं, जिसका नतीजा है कि कुछ मोहल्लों से निकलने वाले नाली का पानी मुख्य नाला तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे गंदा व वर्षा का पानी वार्ड में ही जलजमाव की समस्या उत्पन्न करता है। अगर देखा जाए तो शहर की तीन दिशाएं नदी एवं नहर से घिरी हुई हैं। अगर नगर परिषद योजनाबद्ध तरीके से ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करता है तो शहर में जलजमाव की समस्या नहीं रहेगी। जाने कहां से कहां तक हुआ है नालों का निर्माण एकता चौक से कलेक्ट्रेट होते हुए कुकुरनहिया नहर तक, कैमूर स्तंभ से बाईपास होते हुए कुकुरनहिया नहर तक, एकता चौक से चौक बाजार होते हुए कुकुरनहिया नहर तक, एकता चौक से कचहरी होते हुए पटेल चौक के पास सुवरा नहर तक, जयप्रकाश चौक से हवाई अड्डा होते हुए सूअरा नहर तक एवं पटेल चौक से बिजली कॉलोनी होते हुए सुवरा नदी तक नाले का निर्माण नगर परिषद द्वारा कराया गया है। क्षेत्रफल व आबादी बढ़ी पर सीवर नहीं बने शहर के उदय सिंह व पुष्पेंद्र कुमार ने बताया कि जब नाले का निर्माण हुआ था, तब शहर छोटा था और आबादी भी कम थी। अब शहर का क्षेत्रफल बढ़ गया। आबादी बढ़ गई। लेकिन, नाले का निर्माण नए सिरे से कराने के बजाय पुराने नाले का ही विस्तार किया गया। शहर के पानी निकासी की योजना कारगर नहीं है। नाले की चौड़ाई व गहराई कम होने की वजह से जल्दी जाम हो जाता है। हालांकि नगर परिषद बरसात से पूर्व नाले की सफाई कराई जाती है। लेकिन, बरसात में जितना पानी शहर से निकलता है, उसे नदी या नहर तक पहुंचाने में नाला सक्षम नहीं हो पाता है। इस कारण कई जगहों पर अस्थाई जलजमाव होता है। फोटो 8 जून भभुआ- 5 कैप्शन- एकता चौक से जेपी चौक जानेवाले पथ के नाले पर किया गया अतिक्रमण व जाम नाला।
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