भगवानपुर प्रखंड की नौ पंचायतों में सिर्फ तीन ग्रामसेवक
भगवानपुर प्रखंड में विकास योजनाओं में बाधा आ रही है क्योंकि पंचायत सचिवों की संख्या कम है। एक सचिव को तीन पंचायतों का काम देखना पड़ रहा है, जिससे ग्रामीणों को प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज प्राप्त...

विकास योजनाओं के साथ ग्रामीणों को कामकाज कराने में हो रही है दिक्कत तबादले के बाद कभी सभी नौ पंचायतों में पदस्थापित नहीं हुए पंचायत सचिव (पेज चार की फ्लायर खबर) भगवानपुर, एक संवाददाता। प्रखंड की पंचायतों में ग्राम सेवकों की संख्या काफी कम है, जिससे विकास कार्यों में परेशानी हो रही है। एक पंचायत सचिव को तीन-तीन पंचायतों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दो दशक पहले यानी वर्ष 2001 में पंचायती राज लागू हुआ। उसके बाद हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से अब तक सभी नौ पंचायतों के लिए अलग-अलग कभी भी ग्राम सेवक नहीं मिले। प्रभारी पंचायत सचिव की ड्यूटी लगाने की वजह से समय पर काम नहीं हो पा रहा है।
कई पंचायतों के प्रभार में रहने के कारण वह कभी इस पंचायत में तो कभी उस पंचायत में चले जाते हैं। इस कारण वह स्थाई रूप से पंचायत भवन में भी ड्यूटी नहीं कर पाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार, पंचायत सचिव सुनील कुमार विश्वकर्मा को टोड़ी, सरैयां, कसेर, राजीव कुमार को भगवानपुर, पढ़ौती, जैतपुर तथा पंचायत सचिव कवि कुमार को रामगढ़, पहाड़ियां, मोकरम पंचायत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2001 से 2025 तक भगवानपुर प्रखंड में कभी भी तीन-चार से अधिक ग्राम सेवक पदस्थापित नहीं रहे है। फिलहाल प्रखंड में पंचायत सचिवों की संख्या तीन है। ऐसी स्थिति में भगवानपुर प्रखंड की सभी 9 पंचायतों के विकास कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि तबादले के बाद कुछ पंचायत सचिव नए भी आए हैं। लेकिन, तीन-तीन पंचायतों की जिम्मेदारी रहने की वजह से उनसे आमजनों की मुलाकात होना संभव नहीं हो पाता है। फोन भी कभी-कभी ही रिसीव कर पाते हैं। ऐसे में ग्रामीण अपनी समस्या उन्हें नहीं बता पाते हैं। मजबूरी में छोटे काम के लिए भी उन्हें प्रखंड कार्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है। काफी प्रयत्न के बाद भी नहीं होती मुलाकात पंचायत सचिवों की संख्या कम रहने से ग्रामीणों को मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, सामाजिक सुरक्षा योजना, एलपीसी आदि बनवाने में परेशानी हो रही है। समय पर प्रमाण पत्र नहीं मिलने से ग्रामीणों को समय पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। ग्रामीण मुराहू बिंद, गजेंद्र कुमार, अमन गुप्ता ने बताया कि पंचायत सचिव कई पंचायतों के प्रभार में हैं। शायद इस कारण उनसे मुलाकात नहीं हो पाती है। उनसे फोन पर बात करने पर कभी बताते हैं कि अभी दूसरे पंचायत क्षेत्र में हैं, तो कभी उसी पंचायत में होने की बात करते हैं। लेकिन, जाने पर मुलाकात नहीं हो पाती है। कभी नहीं भरे पंचायत सचिव के पद समाजसेवियों राजेश्वर पाल और नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आश्चर्य की बात है कि सरकार द्वारा पंचायती राज लागू किए जाने के 23 वर्ष बीतने के बाद भी सभी पंचायतों को अलग-अलग पंचायत सचिव उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। ऐसे में पंचायतों में विकास योजनाओं की गति धीमी पड़ने से समय से योजनाओं को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। वर्तमान समय में तीन पंचायत सचिव हैं, जिन्हें तीन-तीन पंचायतों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। फोटो- 18 जून भभुआ- 4 कैप्शन- भगवानपुर के प्रखंड कार्यालय में बुधवार को कामकाज करते कर्मी।
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