Vata Savitri Puja Celebrating Long Life and Prosperity for Husbands वट सावित्री पूजा को ले बाजारों में महिलाओं ने शुरू की खरीदारी, Bhabua Hindi News - Hindustan
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वट सावित्री पूजा को ले बाजारों में महिलाओं ने शुरू की खरीदारी

वट सावित्री पूजा का महत्व बढ़ गया है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस पूजा के लिए बाजारों में भीड़ बढ़ रही है, महिलाएं पूजा सामग्री और कपड़े खरीद रही हैं। 26 मई को इस पर्व...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआMon, 19 May 2025 09:22 PM
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वट सावित्री पूजा को ले बाजारों में महिलाओं ने शुरू की खरीदारी

लंबी आयु, सुख-समृद्धि, अखंड सौभाग्य देने, हर तरह के कलह और संतापों का नाश करने वाली मानी जाती है वट वृक्ष की पूजा कपड़ा, बांस के बने पंखा, पूजा सामग्री की दुकानों पर दिखी ज्यादा भीड़ सावित्री इसी दिन अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से लाई थी वापस (पेज चार की बॉटम खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। वट सावित्री पूजा को लेकर महिलाओं ने पूजा सामग्री व कपड़ों को खरीदारी शुरू कर दी। इसको लेकर बाजारों में चहलपहल बढ़ गई है। वट सावित्री पूजा के दिन पांच दिन शेष रह गए हैं। इसलिए महिलाएं उक्त चीजों को पहले से खरीदारी कर इंतमिनान होना चाह रही हैं।

इसलिए अन्य दिनों की अपेक्षा सोमवार को महिलाओं की भीड़ ज्यादा दिखी। महिलाएं कपड़ा, बांस के बने पंखा, पूजा व शृंगार सामग्री की दुकानों पर खरीदारी कर रही थीं। दुकानदार भी काफी व्यस्त थे। शहर के मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल के सामने, सदर अस्पताल, समाहरणालय पथ, देवीजी रोड आदि इलाकों में स्थित वट वृक्ष के पास महिलाओं की भीड़ पूजा, परिक्रमा व धागा बांधती दिखेगी। नये परिधान व सोलह शृंगार कर पूजा की थाली लेकर व्रती महिलाएं वट वृक्ष के पास जाती हैं। शहर के वार्ड 18 की अनीता देवी व वार्ड 12 की सुमन देवी ने बताया कि वह हर साल यह व्रत करती हैं। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत का महत्व करवा चौथ व्रत जितना होता है। इस दिन व्रत रखकर सुहागिन बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करती हैं। वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संतापों का नाश करने वाली मानी जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं। तभी से महिलाएं सावित्री के समान अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं। इस बार 26 मई को महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखेंगी। शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत करवाचौथ के व्रत की तरह ही बहुत कठिन होता है। बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है और कथा सुनी व पढ़ी जाती है। इस दिन पूजा के दौरान पूजा की थाली पूर्ण रूप से तैयार होनी चाहिए। कहते हैं कि बरगद के पेड़ की पूजा के समय पूजन सामग्री का काफी महत्व है। सुहागिन क्यों करती हैं वट वृक्ष की पूजा ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, वट यानी बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं का वास होता है। कहते है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से तीनों देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए बरगद के पेड़ का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजन करती हैं और व्रत रखती हैं। बता दें कि बरगद का वृक्ष अकेला ऐसा पेड़ होता है, जो 300 साल तक जीवित रहता है यानी इसकी आयु सबसे लंबी होती है। यमराज से बचाया था सत्वान का प्राण ऐसी मान्यता है कि जब यमराज ने सत्वान के प्राण छीन लिए थे, तब सत्यवान की पत्नी सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने पति को लिटाया था और वहीं बैठकर पूजा की थी। सत्वान की पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर उसके पति के प्राण ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वापस आ गए थे। उसी समय से वट सावित्री व्रत व पूजा का विधान है। वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री सावित्री और सत्यवान की मूर्ति, बांस का पंखा, कच्चा सूत, लाल रंग का कलावा, बरगद का फल, धूप, मिट्टी का दीपक, फल, फूल, बतासा, रोली, सवा मीटर का कपड़ा, इत्र, पान, सुपारी, नारियल, सिंदूर, अक्षत, सुहाग का सामान, घर से बनी पुड़िया, भींगा हुआ चना, मिठाई, घर में बना हुआ व्यंजन, जल से भरा हुआ कलश, मूंगफली के दाने, मखाने आदि वट सावित्री व्रत की पूजा में शामिल करना चाहिए। फोटो- 18 मई भभुआ- 6 कैप्शन- वट सावित्री पूजा को ले शहर के एकता चौक के पास स्थित एक दुकान से साड़ी की खरीदारी करतीं महिलाएं।

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