श्रावणी मेला: भागलपुर ही नहीं पास के जिलों के नामचीन कलाकर भी झुमाएंगे कांवरियों को
इस बार भागलपुर के अलावा बांका और मुंगेर के कलाकार भी आएंगे कलाकारों का चयन

भागलपुर, प्रधान संवाददाता। इस बार श्रावणी मेला में भागलपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के नामचीन कलाकार भी कांवरियों को भक्ति गीतों पर झुमाएंगे। भागलपुर जिला प्रशासन की ओर से सुल्तानगंज के नमामि गंगे घाट और धांधी बेलारी में पूरे सावन प्रतिदिन सांस्कृतिक और अध्यात्मिक संध्या का आयोजन किया जाएगा जिसमें भागलपुर, बांका एवं मुंगेर जिले के कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे। इन कलाकारों के चयन की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। इसके अलावा कुछ राष्ट्रीय ख्याति के कालाकार भी बुलाए जाएंगे। पिछले साल नमामि गंगे घाट पर श्रावणी मेला के उद्घाटन के दिन आयोजित सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में कैलाश खेर की प्रस्तुति हुई थी और उनके गीतों पर पूरी रात कांवरिया झूमते रहे।
इस बार भी राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों और भागलपुर सहित आसपास के उच्च कोटि के कलाकारों के चयन के लिए कमेटी बना दी गई है। छह सदस्यीय कमेटी में वरीय उपसमाहर्ता जिला सामान्य शाखा अध्यक्ष बनाए गए हैं जबकि डीआरडीए डायरेक्टर, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला खेल पदाधिकारी एवं जिला जनसंपर्क पदाधिकारी इसके सदस्य हैं। जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के जिम्मे पूरे कार्यक्रम के अनुपालन की जिम्मेदारी होगी। हालांकि यह बताया जा रहा है कि श्रावणी मेला में प्रस्तुति के लिए पूरे राज्य के कलाकार आवेदन दे सकते हैं, प्राथमिकता आसपास के जिलों को दी जाएगी। जल्द ही कलाकारों के लिए सूचना प्रकाशित होगी जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी अंकित रंजन ने बताया कि स्थानीय कलाकारों के चयन के लिए जल्द ही सूचना प्रकाशित हो जाएगी। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। कलाकारों से आवेदन लेने के बाद उनका चयन किया जाएगा। ऐसे पूरे राज्य के कलाकार इसके लिए आवेदन दे सकते हैं। उनकी विशेषता के आधार पर उनका चयन होगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों के चयन के लिए विभाग से समन्वय हो रहा है। जिलाधिकारी की सहमति इस पर जल्द निर्णय हो जाएगा। इस बार गायन के साथ-साथ वादन कलाकार भी आएंगे श्रावणी मेला के दौरान अब तक गायक कलाकारों या उनकी टीम का चयन किया जाता रहा है। लेकिन इस बार गायन के साथ-साथ वादन कलाकारों के लिए भी मौका होगा। जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी ने बताया कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि श्रावणी मेला जैसे बड़े मंच पर राज्य के हर विधा के कलाकारों को अपनी प्रस्तुति का मौका मिले और कांवरिया उनकी प्रस्तुति से रूबरू हो सकें।
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