ईश्वर सभी की आत्मा में हैं : रामानंद शास्त्री
कहलगांव, निज प्रतिनिधि। महर्षि मेंही की 141वीं पावन जयंती और महर्षि शाही स्वामी जी

महर्षि मेंही की 141वीं पावन जयंती और महर्षि शाही स्वामी जी महाराज के 14वें पुण्यतिथि के अवसर पर कहलगांव स्थित शारदा पाठशाला खेल मैदान में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा त्रिवेणी महोत्सव में तीसरे दिन सोमवार को आचार्य स्वामी रामानंद शास्त्री ने भागवत गीता के प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि भगवान कहते है कि ईश्वर वह है जो समय और स्थान से प्रभावित नहीं होता है। सृष्टि के पूर्व और सृष्टि के बाद भी केवल मैं हूं, पांडवों को भी उपदेश दिया गया था। ईश्वर सभी की आत्मा में है और सभी की आत्मा ही ईश्वर है।
लेकिन वह कभी किसी को महसूस नहीं होता। कहा कि तुम धन कमाते हो उसका दसवां भाग भागवत भक्ति में खर्च करना चाहिए। समाज की सेवा में भी खर्च करना चाहिए। दान, धर्म, राज धर्म, स्त्री धर्म पर विस्तृत जानकारी देते हुए शास्त्री जी महाराज ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। मंच का संचालन समिति के डॉ. प्रवीण कुमार राणा ने किया। समिति के राजेंद्र महतो, रेणु देवी, चंदा देवी, बरसा रानी, राजेंद्र राय, सचिन कुमार के साथ सैकड़ों श्रद्धालु ने कथा का अनुश्रवण किया।
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