बोले जमुई, उच्च गुणवत्ता वाले मशरूम बीज उत्पादन के लिए खुले सरकारी प्रयोगशाला
जमुई के लक्ष्मीपुर प्रखंड के आनंदपुर पंचायत में पड़ने वाले दूबरीतरी गांव मशरूम उत्पादन की खेत से क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। जमुई के
जमुई: अमरेंद्र कुमार सिंह जमुई के लक्ष्मीपुर प्रखंड के आनंदपुर पंचायत में पड़ने वाले दूबरीतरी गांव मशरूम उत्पादन की खेत से क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। खास बात यह है कि इस कारोबार से बड़ी संख्या में महिलाएं भी जुड़ रहीं हैं। जो न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई रफ्तार दे रही हैं। मशरूम की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनता जा रहा है। इसके पोषण गुण और स्वास्थ्य लाभ इसे सुपर फूड की श्रेणी में रखते हैं। प्रोटीन का यह बेहतरीन स्त्रोत शाकाहारी और मांसाहारी दोनों के बीच लोकप्रिय हो रहा है।
हालांकि, किसानों के सामने पूंजी, बीज की गुणवत्ता और प्रशक्षिण जैसी कई चुनौतियां आज भी बनी हुई हैं। उत्पादकों का कहना है कि यदि बैंकों से सस्ता लोन और सरकारी सहायता मिले तो यह क्षेत्र न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाएगा बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का मजबूत जरिया भी बन सकता है। जमुई के लक्ष्मीपुर प्रखंड के आनंदपुर पंचायत में पड़ने वाले दूबरीतरी गांव मशरूम उत्पादन की खेत से क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। खास बात यह है कि इस खेती से गांव की महिलाएं बड़ी संख्या में जुड़कर स्वरोजगार के सपने को साकार कर रही हैं। मशरूम उत्पादन न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधार रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नई जान फूंक रहा है। जमुई की मशरूम उत्पादक में शिक्षित बेरोजगार युवक मनोज राम ने इसकी मिसाल हैं। मनोज ने बताया कि मशरूम उत्पादन के सामने अभी भी बहुत कुछ चुनौतियां हैं। जिसमें सरकार खुले मन से सहयोग करे तो मशरूम उत्पादन क्षेत्र का विस्तार कर बेरोजगारों को जोड़ा जा सकता है। उसने बताया कि मशरूम के कई प्रकार हैं। लेकिन आज की तिथि में हमारे जैसे युवक दो तरह के मशरूम उत्पादन करते हैं। जिसमें वेस्टर और बटन मशरूम शामिल हैं। उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण बटन और वेस्टर मशरूम का उत्पादन सिर्फ अक्तूबर और फरवरी के बीच करते हैं। अगर सरकार सस्ते दर लोन उपलब्ध कराए तो नए तकनीक का व्यवस्था कर बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन किया जा सकता है। मशरूम उत्पादन के लिए 18 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। जिसकी व्यवस्था नहीं होने से मात्र तीन से चार महीने मशरूम का उत्पादन संभव हो सकता है। दूसरी चुनौती मशरूम बीज और प्रशिक्षण को लेकर है। मशरूम का बीज प्रखंड स्तर पर न होने से दूसरे जिला से लाना पड़ता है। जिसमें बहुत तरह की परेशानी होती है। बीज के लिए बांका, नवादा या फिर राजगीर से लाना पड़ता है। जिसके लिए अग्रिम बुकिंग कराना पड़ता है। बेरोजगार युवकों, महिलाओं को मशरूम उत्पादन के लिए प्रखंड स्तर पर अच्छे बीज, नियमित प्रशिक्षण, सस्ते दर पर लोन की व्यवस्था और बाजार हो। चुंकि कम लागत में अधिक लाभ तभी मिल सकता है। चुंकि मशरूम अच्छा और महंगा डीस के बाद दवाई बनाने के काम में आता है। मशरूम की खेती का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी कम लागत और अधिक लाभ वाली विशेषता है। छोटे से कमरे में भी इसकी खेती संभव है। इसके पोषण गुण इसे 'सुपर फूड' की श्रेणी में शामिल करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मशरूम में प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों के लिए पौष्टिक और स्वादष्टि आहार का बेहतरीन विकल्प है। कृषि विज्ञान केंद्र, जमुई के वैज्ञानिक मानते हैं कि मशरूम उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकता है, लेकिन बैंकों और सरकारी संस्थाओं की मदद इसके वस्तिार के लिए बेहद ज़रूरी है। आसान ऋण व्यवस्था, सरकारी प्रशक्षिण और सब्सिडी योजनाएं किसानों और महिलाओं के इस छोटे लेकिन लाभदायक व्यवसाय को बड़ा आकार दे सकती हैं। जमुई के गांवों में मशरूम न केवल थाली की स्वादष्टि डिश बन चुका है, बल्कि ग्रामीणों के सपनों और भवष्यि का आधार भी बनता जा रहा है। हमारी भी सुनिए : कम लागत में मशरूम उत्पादन से महिलाओं को आत्मनिर्भरता मिली है। अगर सरकारी योजनाओं की पहुंच आसान हो तो इसका लाभ ओर बढ़ेगा। -चंद्रमा देवी मशरूम की खेती से ग्रामीण महिलाओं के सपनों को पंख मिले है। सही मार्गदर्शन और सरकारी सब्सिडी से यह व्यवसाय और रफ्तार पकड़ सकता है। -मुन्नी देवी मशरूम की खेती से हमें घर बैठे आमदनी का रास्ता मिला है। पहले सोचा नहीं था। सरकार अगर और मदद करें तो और विस्तार कर सकते है। -चांदनी देवी मशरूम की खेती से घर के खर्च चलाने में सहारा मिला है। अगर सरकार सस्ती दर पर लोन और अच्छी बीज उपलब्ध कराएं तो उत्पादन और बढ़ेगा। - सोनी देवी गांव की महिलाओं के लिए मशरूम उत्पादन एक नई उम्मीद है। बीज और विपणन की परेशानी है, जो सरकार सुलाझाएं। - सुगिया देवी मशरूम की खेती से घर बैठे रोजगार का रास्ता खोला है। लेकिन बीज की कमी और बैंक से ऋण मिलने में दिक्कतें हमेशा चिंता का कारण है। -तारा देवी मशरूम की खेती से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है। अगर बीज और प्रशिक्षण मिले तो हम ज्यादा उत्पादन कर सकते है। -पुतुल देवी हमारे जैसे ग्रामीण इलाकों में मशरूम उत्पादन स्वरोजगार का अच्छा विकल्प है। सरकारी सहयोग और बीज मिले तो बेहतर संभावनाएं बनेगी। - रामचंद्र साह हमें सरकारी योजनाओं की जानकारी और बैंकों से सरल लोन की सुविधा की सख्त जरूरत है, ताकि हमलोग अच्छे से मशरूम की खेती कर सकें। - शांति देवी स्वरोजगार के तौर पर मशरूम की खेती ने महिलाओं की जिंदगी में बदलाव लाया है। लेकिन सरकारी योजनाओं की जानकारी हर महिला तक पहुंचनी चाहिए। - रिंकू देवी मशरूम उत्पादन से गांव की महिलाएं को रोजगार मिला है। बैंक लोन आसान हो जाए तो हम अपन काम को और आगे बढ़ा सकते है। -मुन्नी देवी वन मशरूम उत्पादन से गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता मिला है। बाजार की स्थिरता ओर उचित मूल्य मिलने की गारंटी जरूरी है। -प्रमिला देवी मशरूम उत्पादन ने हमारे सपनों को उड़ान दी है। अगर बाजार स्थित हो और सरकारी मदद मिले तो यह खेती गांव के लिए क्रांति ला सकती है। -चांदनी देवी हम महिलाओं के लिए मशरूम उत्पादन आत्मनिर्भर बनने का सुनहरा जरिया है। सरकार और मार्केंटिंग में मदद करे तो हम और ज्यादा मुनाफा कमा सकते है। - फुलवा देवी कम पूंजी में मशरूम उत्पादन हम महिलाओं के लिए वरदान है। लेकिन सरकारी मदद और बाजार की कमी आज भी सबसे बड़ी परेशानी है। - सुनीता देवी मशरूम की खेती से हमें आर्थिक आजादी मिली है। सरकार प्रशक्षिण शिविर नियमित कराएं और लोन आसान बनाएं तो यह रोजगार कई घरों तक पहुंचेगा। - सुलेखा देव मशरूम उत्पादन के लिए 18 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। जिसकी व्यवस्था नहीं होने से मात्र तीन से चार महीने मशरूम का उत्पादन संभव हो सकता है। -मनोज कुमार दास जमुई में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। मशरूम की खेती ग्रामीण महिलाओं और किसानों के लिए आत्मनर्भिरता की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रहा है। जल्द ही किसानों को प्रशक्षिण, गुणवत्ता वाले बीज और बाजार से जोड़ने के लिए योजनाएं लागू की जाएंगी। विभाग का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा किसान इस लाभकारी व्यवसाय से जुड़ें और आर्थिक रूप से सशक्त बनें। साथ ही बैंक ऋण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए भी विभाग प्रयासरत है। —शिवाजी हेंब्रम, उद्यान अधिकारी, जमुई शिकायत 1. स्थानीय स्तर पर उन्नत प्रयोगशालाओं के अभाव में किसानों को बार-बार दूसर राज्यों से महंगे दाम पर बीज मंगवाना पड़ता है। 2. बैंक द्वारा मशरूम उत्पादकों को कृषि ऋण देने में अक्सर देरी और अस्वीकार करने की समस्या सामने आती है। 3. मशरूम की वैज्ञानिक खेती और प्रबंधन पर पर्याप्त सरकारी प्रशिक्षण नहीं मिल पाता, जिससे नवोदित किसान तकनीकी ज्ञान से वंचित रह जाते है। 4. स्थानीय मंडियों में मशरूम के लिए संगठित बाजार नहीं होने से किसानों को बिचौलियों पर निर्भर रहना पड़ता है। सुझाव 1. जमुई क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले मशरूम बीज उत्पादन के लिए सरकारी प्रयोगशालाएं खोली जाएं। 2. कृषि विज्ञान केद्र और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से नियमित मशरूम उत्पादन, संरक्षण और विपणन का व्यावहारिक प्रशिक्षण ग्रामीण महिलाओं और किसानों को दिया जाए। 3. लघु और सीमांत किसानों के लिए बैंकों से लोन प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए। 4. मशरूम उत्पादकों के लिए सरकारी या सहकारी स्तर पर विपणन चैनल स्थापित किया जाएं।
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