बोले कटिहार : जलजमाव, पेयजल संकट और गंदगी ने किया लोगों का जीना मुहाल
प्रस्तुति: अम्बुज, मोना कश्यप, देवाशीष गुप्ता कटिहार का गामी टोला, जहां हर दिन हजारों

प्रस्तुति: अम्बुज, मोना कश्यप, देवाशीष गुप्ता
कटिहार का गामी टोला, जहां हर दिन हजारों सपने उड़ान भरने आते हैं—इंजीनियर, डॉक्टर और अफसर बनने की उम्मीद लिए छात्र-छात्राएं। लेकिन इस सपनों की बस्ती की जमीनी हकीकत बहुत कड़वी है। बरसात में जलजमाव से गलियां तालाब बन जाती हैं, गंदगी से बदबू उठती है, और लोग मजबूरी में पीने का पानी खरीदते हैं। हर तरफ समस्याओं का अंबार है, लेकिन समाधान के नाम पर सिर्फ आश्वासन। यह मोहल्ला विकास की रफ्तार से कोसों दूर खड़ा, उम्मीद और उपेक्षा के बीच झूलता दिखता है। गामी टोला सिर्फ एक मोहल्ला नहीं, हजारों सपनों की कसक और जद्दोजहद की ज़मीन है।
शहर का शैक्षणिक केंद्र माने जाने वाला गामी टोला, जहां प्रतिदिन 25 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं मेडिकल, इंजीनियरिंग और इंटर की तैयारी के लिए पहुंचते हैं, खुद बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। वार्ड 28 स्थित यह क्षेत्र करीब 1200 घरों और 3200 वोटरों वाला मोहल्ला है, जहां बड़ी संख्या में कोचिंग संस्थान, मैरेज हॉल और प्रतिष्ठित परिवार रहते हैं। लेकिन बारिश होते ही यहां की सड़कों पर गंदा पानी भर जाता है और नालों से निकासी का कोई स्थायी समाधान नहीं है।
गामी टोला, सत्संग मंदिर, चौधरी मोहल्ला और दौलतराम चौक जैसे इलाके शहर के पॉश मोहल्लों में गिने जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। सांसद तारिक अनवर का निवास इसी क्षेत्र में होने के बावजूद, गामी टोला के निवासियों को शुद्ध जल, सड़कों की मरम्मत, सीवरेज व्यवस्था और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
सड़क निर्माण अधर में है लटका
नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के आपसी टकराव के कारण सड़क निर्माण अधर में लटका है। नालों की सफाई के बाद कूड़े का उठाव नहीं होता, जिससे गंदगी दोबारा बहकर नाले में चली जाती है। पेयजल की पाइपलाइन अधूरी है, जिससे गर्मियों में लोग बोरिंग या खरीदे हुए पानी पर निर्भर हैं।
कहते हैं निगम पार्षद
स्थानीय पार्षद रूबी कुमारी का कहना है कि नाला निर्माण और जलनिकासी के मुद्दे को सामान्य बोर्ड बैठक में उठाया गया है, लेकिन सड़कों के पीडब्ल्यूडी क्षेत्र में होने से निर्माण नहीं हो पा रहा है। गामी टोला निवासी राहुल कुमार, गोपाल साह, विमल साह, रजनी सिन्हा और कौशल्या देवी सहित कई लोगों ने बताया कि बारिश में मोहल्ला नारकीय हालात में पहुंच जाता है। गंदा पानी, मच्छर, खराब बिजली व्यवस्था और खुले नाले बच्चों, बुजुर्गों और छात्रों के लिए खतरा बन चुके हैं।
सुझावों में सीवरलाइन बिछाना, पेयजल पाइपलाइन पूरा कराना, नियमित कूड़ा उठान, सीसीटीवी कैमरा और पुलिस गश्ती की मांग की गई है। साथ ही कोचिंग संस्थानों के रजिस्ट्रेशन और निगरानी की जरूरत भी जताई गई है, ताकि कोई बड़ी घटना न हो। गामी टोला के लोग अब केवल शिकायत नहीं, बल्कि व्यवस्थित समाधान की मांग कर रहे हैं। यह मोहल्ला सिर्फ एक कोचिंग हब नहीं, बल्कि शहर की प्रतिष्ठा से जुड़ा इलाका है, जिसकी समस्याओं का समाधान अब टाला नहीं जा सकता।
सुझाव:
1. सीवरेज लाइन बिछाई जाए – जलजमाव की समस्या खत्म करने के लिए आधुनिक सीवर सिस्टम आवश्यक है।
2. नियमित सफाई व्यवस्था हो – प्रतिदिन झाड़ू और कचरा उठाव सुनिश्चित किया जाए, साथ ही डस्टबिन की व्यवस्था हो।
3. शुद्ध पेयजल कनेक्शन मिले – हर घर तक पाइपलाइन से पानी पहुंचे, ताकि लोग खरीदकर पानी पीने को मजबूर न हों।
4. कोचिंग संस्थानों का नियमन हो – बिना रजिस्ट्रेशन के कोचिंग पर रोक लगे, मानकों के अनुसार संचालन हो।
5. पुलिस गश्ती और सीसीटीवी कैमरे लगें – अराजक तत्वों पर लगाम और सुरक्षा के लिए नियमित गश्ती व निगरानी जरूरी है।
शिकायत
1. बरसात में पूरा मोहल्ला जलमग्न हो जाता है, जिससे घर से निकलना मुश्किल हो जाता है।
2. नाली और सड़कों की हालत बदतर है, कई जगहों पर नाला खुला है, जिससे बदबू और बीमारी फैलती है।
3. पेयजल की भारी किल्लत है, कई घरों में कनेक्शन नहीं और बोरिंग से गंदा पानी आता है।
4. साफ-सफाई नाममात्र की होती है, हफ्ते में एक बार झाड़ू, कचरा सड़क पर ही फेंका जाता है।
5. कोचिंग क्षेत्र में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा, लेकिन पुलिस गश्ती नहीं होती, जिससे छात्राएं असुरक्षित महसूस करती हैं।
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इनकी भी सुनें
बरसात होते ही हमारा पूरा मोहल्ला तालाब में तब्दील हो जाता है। घर से निकलना तो दूर, दरवाजे खोलने से पहले भी सोचते हैं। कोचिंग आने-जाने वाले छात्रों को गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रशासन से बस इतनी गुहार है कि जीने लायक व्यवस्था दे दें।
राहुल कुमार
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पानी की सबसे बड़ी समस्या गर्मियों में होती है। मोहल्ले के चापाकल सूख जाते हैं और पाइपलाइन अधूरी है। मजबूरी में पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। यह स्थिति शर्मनाक है जब इतने बड़े मोहल्ले में हजारों छात्र पढ़ने आते हैं और शुद्ध पेयजल का कोई सरकारी इंतजाम नहीं है।
गोपाल कुमार साह
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बिजली की हालत चिंताजनक है। खंभे जर्जर हैं और तार कभी भी गिर सकते हैं। गर्मियों में घंटों बिजली गुल रहती है जिससे पढ़ाई और घरेलू कामकाज दोनों प्रभावित होते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी तकलीफदेह है। सुधार की कोई कोशिश नहीं दिख रही है।
विमल साह
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हर बारिश के बाद गामी टोला नरक बन जाता है। सड़कें कीचड़ और गंदगी से भर जाती हैं। महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। यह मोहल्ला पढ़ाई का केंद्र है लेकिन मूलभूत सुविधाएं ही नहीं हैं। अधिकारियों से कई बार शिकायत की गई पर जवाब सिर्फ आश्वासन मिलता है।
रजनी सिन्हा
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स्वास्थ्य की हालत बेहद खराब है। गंदा पानी जमा रहने से डेंगू, मलेरिया और स्किन इंफेक्शन जैसी बीमारियां फैल रही हैं। मोहल्ले में दवा छिड़काव और सफाई की कोई नियमित व्यवस्था नहीं है। हम बच्चों और बुजुर्गों की चिंता में हर दिन जी रहे हैं। यह बहुत ही चिंताजनक है।
कौशल्या देवी
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हमारे मोहल्ले की सड़कें वर्षों से टूटी हैं। गड्ढों में बारिश का पानी भर जाता है, जिससे पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। मोहल्ले में कई बार अधिकारी आए, फोटो खिंचवाकर चले गए। लेकिन सड़क न तो बनी और न ही निकासी की व्यवस्था हुई। ये सिर्फ वादे और फोटो तक सीमित है।
प्रेमचंद्र
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बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। कोचिंग आते-जाते उन्हें कीचड़ और गंदगी से होकर गुजरना पड़ता है। बरसात में हालत और भी बिगड़ जाती है। कई बार बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। नगर निगम और प्रशासन से गुजारिश है कि इस मोहल्ले की समस्याओं को प्राथमिकता दें।
चंदा देवी
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गामी टोला कोचिंग का हब है लेकिन यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। न सड़कों की मरम्मत होती है, न नाले की सफाई। महिलाएं खुले में कचरे से होकर गुजरती हैं। इस मोहल्ले की तस्वीर बदलने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं दिख रहा है।
पूनम देवी
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मैं खुद एक शिक्षक हूं और देखता हूं कि छात्र बारिश में परेशान होकर लौट जाते हैं। माता-पिता चिंतित रहते हैं। सड़कों की दुर्दशा और जलजमाव से ये इलाका पढ़ाई का केंद्र नहीं, परेशानी का केंद्र बन गया है। हमें स्थायी समाधान चाहिए, सिर्फ वादे नहीं।
डीएम तालिब
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मोहल्ला 44 बीघा में फैला है और इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद निकासी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। बारिश का सारा पानी गामी टोला में जमा हो जाता है। यह सड़कें पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत आती हैं, नगर निगम कोई काम नहीं कर पाता। जनता बीच में पिस रही है।
राजू मांझी
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हम महिलाएं जब घर से निकलती हैं, तो गंदे नाले और कचरे के बीच से गुजरना पड़ता है। न कहीं झाड़ू लगता है और न ही कूड़ा उठाया जाता है। नाले खुले हैं, जिससे बदबू और मच्छर दोनों परेशान करते हैं। इस मोहल्ले को साफ-सुथरा बनाने की जरूरत है।
सुशीला देवी
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हमारे मोहल्ले में पानी की किल्लत के चलते हम बोतलबंद पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं। हजारों छात्र इस इलाके में पढ़ाई करने आते हैं लेकिन शुद्ध पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। यह स्थिति बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। शासन को जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।
साहिल कुमार
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मोहल्ले में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है। कोचिंग सेंटरों के आसपास अराजक तत्वों की भीड़ रहती है। पुलिस की कोई गश्ती नहीं होती। हमने कई बार महिला पुलिस की मांग की, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई। इससे छात्राओं में असुरक्षा का भाव है।
अजीदा खातून
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गामी टोला में चोरी की घटनाएं आम हो गई हैं। दिनदहाड़े साइकिल और मोबाइल चोरी की घटनाएं होती हैं। मोहल्ले में एक भी सीसीटीवी नहीं है। पुलिस कभी-कभार दिखती है, लेकिन नियमित गश्त नहीं होती। इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ा है। सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है।
-सत्यनारायण गुप्ता
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गामी टोला में हजारों छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं, लेकिन सार्वजनिक शौचालय या यूरिनल की व्यवस्था नहीं है। कई बार लड़कों को सड़क किनारे खड़ा देखा जाता है, जो शर्मनाक है। नगर निगम कम से कम चौक-चौराहों पर टॉयलेट की व्यवस्था करे ताकि छात्र-छात्राओं को परेशानी न हो।
-मुन्ना गामी
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मैं जब कोचिंग जाने के लिए निकलती हूं तो गंदे पानी में चलना पड़ता है। बरसात के समय तो हालत और खराब हो जाती है। पांव कीचड़ में धंस जाता है और कभी-कभी गिर भी जाते हैं। इतने बड़े शिक्षा केंद्र में ऐसी हालत होना बहुत ही दुखद है।
-साक्षी कुमारी
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जिम्मेदार
गामी टोला की स्थिति अत्यंत गंभीर है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक वहां की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हुआ। मैं स्वयं इस क्षेत्र में कई बार गया हूं और लोगों की तकलीफें देखी हैं। जलजमाव, टूटी सड़कों और नाली की अव्यवस्था पर मैंने संबंधित विभागों को कई बार निर्देश दिया है। गामी टोला शैक्षणिक केंद्र है, इसलिए यहां सुविधाओं का विकास मेरी प्राथमिकता रही है। जल्द ही सड़क निर्माण, जल निकासी और सफाई व्यवस्था को लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे। जनता की तकलीफ को लेकर मैं पूरी तरह संवेदनशील हूं और समाधान के लिए प्रतिबद्ध हूं।
- तार किशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम एवं विधायक, कटिहार
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