Kursela and Kadhagola Urgent Need for Development at Sacred Ganga-Kosi Confluence बोले कटिहार: कुरसेला और काढागोला के गंगा घाटों को पर्यटन स्थल का दें रूप, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार: कुरसेला और काढागोला के गंगा घाटों को पर्यटन स्थल का दें रूप

कटिहार जिले के कुरसेला और काढ़ागोला घाट धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी और सरकारी उपेक्षा के कारण श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। घाट पर सुरक्षा, चिकित्सा...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरFri, 6 June 2025 02:27 AM
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बोले कटिहार: कुरसेला और काढागोला के गंगा घाटों को पर्यटन स्थल का दें रूप

कुरसेला व काढ़ागोला के लोगों की परेशानी

प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, राणा सिंह

कटिहार जिले के कुरसेला स्थित गंगा-कोसी संगम एवं काढ़ागोला घाट न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह क्षेत्र सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व से भी जुड़ा है। माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और गंगा दशहरा जैसे पर्वों पर लाखों श्रद्धालु यहां आस्था की डुबकी लगाते हैं। नेपाल, भूटान, पश्चिम बंगाल व सीमांचल क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं। यह पावन स्थल पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं से भरा हुआ है, परंतु आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी और सरकारी उपेक्षा के कारण यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर है।

कटिहार के कुरसेला में गंगा और कोसी की संगमस्थली एवं काढ़ागोला घाट केवल एक नदी किनारा नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का जीवंत प्रतीक है। सदियों से यह धरती माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और गंगा दशहरा पर आस्था की डुबकी लगाते जनसैलाब को समेटती रही है। यहां गंगा उत्तरायण होती हैं - यानी पुण्य काल की शुरुआत। पर अफसोस, जिस पवित्र धरती से मोक्ष की राहें खुलती हैं, वह खुद विकास के इंतजार में उदास बैठी है। काढ़ागोला घाट, जो अंग्रेजी शासनकाल से लेकर अब तक ऐतिहासिक पहचान रखता है, आज बदहाली की कहानी कह रहा है। न सीढ़ियां हैं, न स्नान के बाद कपड़े बदलने की सुविधा। महिलाएं शर्मसार होती हैं, पुरुषों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है। भीड़ भरे घाट पर कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं, गोताखोरों की व्यवस्था न होने के कारण हर साल कई दुर्घटनाएं हो जाती हैं। कई परिवार अपनों को खो चुके हैं, फिर भी इस घाट की सुध लेने वाला कोई नहीं।

नमामि गंगे से भी नहीं हो सका कायाकल्प

नमामि गंगे योजना से लोगों को उम्मीद थी कि अब गंगा किनारे का कायाकल्प होगा, लेकिन कुरसेला के गंगा तट को सिर्फ आश्वासन ही मिला। न सीमेंट की पक्की सीढ़ियां बनीं, न घाट पर रोशनी की व्यवस्था हुई। त्योहारों पर लाखों की भीड़ आती है, लेकिन घाट पर न तो सफाई होती है, न चिकित्सा की कोई व्यवस्था होती है। श्रद्धालु दूर-दूर से बसों, ट्रेनों, बैलगाड़ियों और पैदल चलकर भी यहां पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता, जिसकी वे हकदार हैं।

विदेश से भी आकर लगाते हैं आस्था की डुबकी

नेपाल, भूटान, पश्चिम बंगाल और बिहार के सीमांचल व कोसी क्षेत्र के हजारों परिवार हर साल इस संगम में पवित्र स्नान के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक पर्यटन का आदर्श केंद्र बन सकता है, जिससे न सिर्फ क्षेत्र की पहचान बढ़ेगी, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। सरकार और प्रशासन यदि इच्छाशक्ति दिखाए, तो यह स्थान हरिद्वार, प्रयागराज की तरह देश के धार्मिक मानचित्र पर चमक सकता है।

कुरसेला का गंगा तट आज पुकार रहा है - उसे केवल आस्था नहीं, अब अधिकार भी चाहिए। सम्मान, सुरक्षा और सुविधा का हक चाहिए। गंगा मैया की गोद में बसे इस पवित्र स्थल को अब विकास की वह रौशनी चाहिए, जिससे यहां की आस्था भी सुरक्षित रहे और अगली पीढ़ियों के लिए एक नई पहचान बन सके।

02 लाख से अधिक श्रद्धालु हर साल मां की पूर्णिमा एवं कार्तिक पूर्णिमा तथा गंगा दशहरा जैसे पर्व में करते हैं स्नान

01 ऐतिहासिक काल गोलाघाट जो अंग्रेजी शासन काल से है सक्रिय, आज भी विकास से है वंचित

03 गंगा घाट है जिले में जिसमें कुरसेला, काढ़ागोला एवं मनिहारी है चर्चित

शिकायतें

1. घाट पर चेंजिंग रूम की सुविधा नहीं है, जिससे महिलाओं को भारी असुविधा होती है।

2. गोताखोरों की नियुक्ति नहीं होने से हर वर्ष डूबने की घटनाएं होती हैं।

3. सीढ़ी घाट का अभाव है, जिससे स्नान के दौरान फिसलने का खतरा बना रहता है।

4. भीड़ होने पर स्वास्थ्य सेवा और प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था नहीं रहती।

5. 'नमामि गंगे' योजना के तहत घाट का कोई स्थायी विकास कार्य अब तक नहीं हुआ है।

सुझाव

1. घाट पर स्थायी पक्की सीढ़ियों का निर्माण कराया जाए।

2. महिला-पुरुषों के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम की व्यवस्था की जाए।

3. पर्व के दौरान प्रशिक्षित गोताखोरों और सुरक्षा दल की तैनाती सुनिश्चित हो।

4. घाट को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।

5. प्रत्येक पर्व पर विशेष साफ-सफाई, स्वास्थ्य शिविर और रोशनी की व्यवस्था की जाए।

इनकी भी सुनें

कुरसेला एवं काढ़ागोला का गंगा तट हमारी आस्था का केंद्र है, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। महिलाओं को चेंजिंग रूम तक मयस्सर नहीं और सीढ़ियों की जगह फिसलन भरी मिट्टी है। सरकार को चाहिए कि स्थायी घाट, प्रकाश व्यवस्था और साफ-सफाई की ठोस योजना लाए। साथ ही गोताखोरों की नियमित तैनाती भी जरूरी है।

– वीरेंद्र कुमार

हम हर साल पूरे परिवार के साथ गंगा स्नान करने कुरसेला जाते हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी से परेशानी होती है। घाट तक पहुंचने वाला रास्ता भी जर्जर है। प्रशासन को चाहिए कि इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिले और श्रद्धालुओं को सहूलियत भी।

– दिलखुश कुमार

काढ़ागोला घाट ऐतिहासिक है, लेकिन अब तक इसकी सुध नहीं ली गई है। नमामि गंगे सिर्फ कागजों पर दिखता है। सरकार को चाहिए कि यहां एक स्थायी गंगा आरती स्थल बनाए जाए और संगम क्षेत्र में जन सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। इससे पर्यटन बढ़ेगा और क्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी।

– नवीन चौधरी

काढ़ागोला घाट का धार्मिक महत्व तो सभी जानते हैं, लेकिन इसके अनुरूप सुविधाएं नहीं मिलतीं। पर्व के दिनों में हजारों लोग आते हैं, पर शौचालय और पानी जैसी मूलभूत चीजों की भी किल्लत रहती है। मेरा सुझाव है कि यहां स्थायी ढांचा बने और स्थानीय युवाओं को गाइड व सुरक्षा कार्यों में जोड़ा जाए।

– मनोज कुमार पंडित

गंगा तट पर स्नान के समय दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है, क्योंकि गोताखोर मौजूद नहीं होते। मेरी मांग है कि प्रशासन पर्वों के समय नहीं, बल्कि पूरे वर्ष सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा दल की तैनाती करे। साथ ही घाटों की नियमित सफाई और निगरानी के लिए स्थायी तंत्र बनना चाहिए।

– राहुल राज

गांव-देहात से आने वाली महिलाओं के लिए गंगा स्नान एक पुण्य है, लेकिन चेंजिंग रूम नहीं होने के कारण उन्हें भारी असहजता झेलनी पड़ती है। मैं चाहता हूं कि प्रशासन महिला श्रद्धालुओं की गरिमा को समझे और अलग चेंजिंग एरिया, पेयजल और विश्रामगृह की व्यवस्था करे।

– फकीर पंडित

कुरसेला में संगम घाट एवं काढ़ागोला घाट का प्रचार-प्रसार नहीं के बराबर है। लोग हरिद्वार की तरह यहां भी गंगा आरती देखने आ सकते हैं अगर प्रचार और सुविधा मिले। मेरा सुझाव है कि पर्यटन विभाग संगम पर नियमित सांस्कृतिक आयोजन करवाए और इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे।

– योगेश पंडित

गंगा किनारे सफाई की व्यवस्था पर्व के दिनों में ही दिखती है, लेकिन स्थायी व्यवस्था नदारद है। गंदगी से श्रद्धालुओं की भावना आहत होती है। मेरा सुझाव है कि एक स्थायी सफाई टीम गठित की जाए और घाट पर कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित हो।

गंगा तट धार्मिक आस्था का प्रतीक है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यहां आना हर बार चुनौती बन जाता है। सड़कें संकरी और टूट चुकी हैं। मेरा सुझाव है कि घाट तक चौड़ी और पक्की सड़क बनाई जाए और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा बढ़ाई जाए।

– सुरेश कुमार

हमारी संस्कृति और आस्था से जुड़े स्थानों को संरक्षित करना जरूरी है। कुरसेला संगम को पर्यावरण के अनुकूल ढंग से विकसित किया जाए। मेरा सुझाव है कि घाट के आसपास वृक्षारोपण, जैविक कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र की घोषणा की जाए।

– परमानंद शर्मा

श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है लेकिन सुविधा उसी अनुपात में नहीं बढ़ी। महिलाओं और बुजुर्गों को घाट तक पहुंचने में दिक्कत होती है। मेरा सुझाव है कि बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए विशेष रैंप और सहायता टीम की व्यवस्था की जाए।

– सुमन कुमार

घाट पर रोशनी की भारी कमी है, खासकर शाम में स्नान करने वालों को दिक्कत होती है। मेरा सुझाव है कि घाट के आसपास सोलर लाइट्स लगाई जाएं ताकि बिजली की निर्भरता कम हो और वातावरण भी सुरक्षित रहे।

– चंदन कुमार

हर साल प्रशासन थोड़ी बहुत सफाई और तंबू लगाकर खानापूर्ति कर देता है। यहां स्थायी इंतजाम होने चाहिए। मेरा सुझाव है कि घाट को स्थायी ढांचे में ढाला जाए, जिसमें सीढ़ियां, जल निकासी, टाइल्स और स्नानागार शामिल हों।

– दीपक देव

गांव से आने वाले श्रद्धालुओं को जानकारी नहीं होती कि घाट कहां है या कौन सा सुरक्षित है। मेरा सुझाव है कि संगम स्थल पर सूचना केंद्र, डिजिटल मैप और वॉल पेंटिंग के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जाए ताकि हर श्रद्धालु सुरक्षित और सटीक दिशा में पहुंचे।

– कुणाल झा

कुरसेला जैसे स्थलों को धार्मिक पर्यटन में शामिल करना ज़रूरी है। मेरा सुझाव है कि राज्य सरकार इसे एक 'गंगा तीर्थ' के रूप में मान्यता दे और टूर पैकेज, गाइड, और ठहरने की सुविधा के साथ इसे पर्यटन नक्शे पर लाए।

– अंकित कुमार

गांव के युवाओं को घाटों की सुरक्षा, स्वच्छता और सेवा में शामिल किया जाए तो रोजगार भी मिलेगा और जिम्मेदारी भी। मेरा सुझाव है कि घाट प्रबंधन में स्थानीय लोगों को भागीदार बनाया जाए और नियमित प्रशिक्षण भी दिया जाए।

– शिवशंकर मुखिया

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जिम्मेदार

कुरसेला स्थित गंगा-कोसी संगम एवं काढ़ागोला घाट का धार्मिक महत्व अत्यंत बड़ा है। जिला प्रशासन इसकी समस्याओं से अवगत है। नमामि गंगे योजना के तहत प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसमें सीढ़ी घाट, चेंजिंग रूम, शौचालय, पेयजल एवं सुरक्षा व्यवस्था शामिल हैं। पर्व के दौरान गोताखोरों की तैनाती व स्वास्थ्य शिविर लगाने की प्रक्रिया जारी है। हमारा प्रयास है कि इस पवित्र स्थल को न केवल सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जाए, बल्कि धार्मिक पर्यटन के रूप में भी इसका समुचित विकास हो सके।

आलोक चन्द्र चौधरी, एसडीओ, कटिहार

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