Local Coaching Centers Face Challenges Amidst Economic Strain and Registration Issues बोले जमुई: प्रक्रिया सरल व दोहन खत्म हो तो कोचिंग का होगा निबंधन, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई: प्रक्रिया सरल व दोहन खत्म हो तो कोचिंग का होगा निबंधन

शहर के टीपी सिंह रोड, शीतला कॉलोनी में दर्जनों कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। स्थानीय कोचिंग संचालक आर्थिक दबाव और जटिल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। छात्रों की संख्या में कमी आई है, जिससे आय...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 11 June 2025 02:40 AM
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बोले जमुई: प्रक्रिया सरल व दोहन खत्म हो तो कोचिंग का होगा निबंधन

प्रस्तुति: सेंटु कुमार

शहर का टीपी सिंह सिंह रोड शीतला कॉलोनी में पांच दर्जन से अधिक कोचिंग संचालित हैं। इस मुहल्ले के अलावा अन्य मुहल्लों में भी छोटे-बड़े करीब कुल सौ कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। इस कारण यहां दिनभर छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की आवाजाही रहती है। कोचिंग शिक्षकों की शिकायत है कि स्थानीय स्तर पर शिक्षा व रोजगार की दृष्टि से बड़ा केंद्र होने के बावजूद नगर परिषद और जिला प्रशासन की ओर से सुविधाएं विकसित नहीं की जा रही है। कोचिंग के आसपास उचक्कों का जमावड़ा, नाले का बहता पानी, बिजली के उलझे तार और जर्जर सड़क, शुलभ शौचालय के कारण आए दिन मुसीबत आती रहती है। बड़े कोचिंग संस्थानों से भी उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है। छात्रों की संख्या कम होने से आय भी कम हुई है। कोचिंग संचालकों का कहना है कि विभाग कोचिंग के निबंधन का दबाव दे रहा है लेकिन प्रक्रिया इतनी जटिल है कि कोई आगे नहीं आ रहा। प्रक्रिया सरल हो व विभागीय दोहन का भय खत्म हो तो वे संस्थानों के निबंधन को आगे आ सकते हैं।

शहर में सबसे ज्यादा टीपी सिंह रोड, शीतला कॉलोनी में कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। यहां प्रत्येक कक्षा व प्रत्येक विषय के शिक्षक मिल जाएंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी कई कोचिंग संस्थान खुल गए हैं। कोचिंग संचालकों ने अपने हितों की रक्षा के लिए कई बार सरकार से भी अनुरोध करने का काम किया है। बिहार विवि की ओर से सभी डिग्री कॉलेजों में इंटमीडिएट के सभी संकायों में नामांकन पर रोक लगा दी गई है। इससे शहर के कोचिंग संस्थानों में छात्र-छात्राओं की संख्या काफी कम हो गई है। अब सिर्फ जिले के प्लस टू विद्यालयों में इंटर में नामांकन होने से छात्र-छात्राएं ग्रामीण इलाकों में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में 60 प्रतिशत बच्चे पलायन कर जा रहे हैं। इससे शहर के कोचिंग संचालकों के समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो रही है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के प्लस टू विद्यालयों में संसाधन का अभाव है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। टीपी सिंह रोड के एक संचालक ने बताया कि इस रोड में हमेशा छात्र-छात्राओं की भीड़ रहती है। मुहल्ले में पुलिस की हमेशा गश्त की मांग वर्षों से की जाती रही है। यहां की गलियों व चौक-चौराहों पर पुलिस की तैनाती आवश्यक है। मुहल्ले की भीड़ को देखते हुए मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था आवश्यक है। गलियों में बाइकर्स गैंग का आतंक बना रहता है। इससे छात्राओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है। तीन से चार बार कोचिंग के ईद-गिर्द पुलिस का पेट्रोलिंग हो। मनचलों के कारण करीब 20 प्रतिशत बच्चे व बच्चियां कोचिंग आना छोड़ रही है। दूर-दराज से पढ़ने के लिए आने वाले छात्र-छात्राओं को किराए के रूप में मकान मालिक ज्यादा पैसा वसूलते हैं। जिससे बच्चे के परिजन पर आर्थिक दबाव पड़ता है। शहर में छ: बजे सुबह से ही नो इंट्री लागु किया जाय। चूंकि सबसे ज्यादा सुबह व शाम में ही कोचिंग संचालित होते हैं। कोचिंग संचालकों का कहना है कि कोचिंग संचालन को लेकर सरकार लगातार नियम बदल रही है। कोचिंग संस्थान के रजिस्ट्रेशन को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। शिक्षा विभाग की ओर से कोचिंग संस्थान का जीएसटी नंबर लेने को कहा जा रहा है। संचालकों को रजिस्ट्रेशन से कोई दिक्कत नहीं है। सरकार बोर्ड व्यवस्था में सुधार लाए। दोगुना प्रश्न हटाया जाना चाहिए। पूर्व के पैटर्न लागु हो। हम सरकार के सभी नियम व शर्तें मानने को तैयार हैं मगर, हमें विभागीय दोहन का डर लगता है कि कागजी प्रक्रिया में अधिक समय बर्बाद न हो जाए। प्रशासन प्रक्रिया को आसान बनाने के साथ दोहन का भय खत्म करने का आश्वासन दे तो कोचिंग संस्थानों का निबंधन कराने से कोई परहेज नहीं करेगा। डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट में नामांकन बंद किए जाने से कोचिंग संस्थानों में भीड़ कम हुई है। इससे संचालकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग की ओर से कोचिंग संचालकों पर संस्थान के रजिस्ट्रेशन का दबाव बनाया जा रहा है।

ऑनलाइन क्लास व ब्रांडेड कोचिंग से होड़ में पिछड़ रहे

शिक्षक संतोष कुमार ने बताया कि वर्तमान में शिक्षा महंगी हो गई है। शहर के डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद हो गई है। जबकि जिले के प्लस टू विद्यालयों में संसाधन का अभाव है। ऐसे में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होगी। ऐसे में कोचिंग संचालक कम खर्च में बच्चों को ग्रुप में पढ़ाकर बेहतर काम कर रहे हैं। वहीं शहर में ब्रांडेड कोचिंग संस्थानों की बाढ़ आ चुकी है। स्थानीय कोचिंग संचालक उनसे होड़ में लगातार पिछड़ रहे हैं। इससे स्थानीय कोचिंग संचालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

समाज में अहम रोल निभाते, पर नहीं मिलता प्रोत्साहन

शिक्षक निशांत स्वराज ने कहा कि समाज में शिक्षकों का अहम योगदान होता है। सरकारी शिक्षा पर सरकार को प्रतिमाह करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ता है, जबकि प्राइवेट शिक्षक निस्वार्थ भाव से समाज के हर वर्ग के बच्चों को पढ़ाते हैं। बावजूद इसके सरकार की ओर से स्थानीय कोचिंग संचालकों को किसी भी तरह का प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है। सरकारी स्तर पर बेहतर तरीके से पढ़ाने वाले शिक्षकों को सम्मानित करना चाहिए। साथ ही, सरकार की विभिन्न योजनाओं व पाठ्यक्रम उन्हें अवगत कराना चाहिए।

कोरोना में जो पैटर्न बदला, उसे ठीक करना जरूरी

शिक्षक रवि मिश्रा ने कहा कि हमारी शिक्षा का पैटर्न बदलने की जरूरत है। कोरोना काल में बच्चों की सुविधा को देखते हुए सिलेबस से आसान पैटर्न पर प्रश्नपत्र बनाया गया था। कोरोना समाप्त होने के बाद भी परीक्षा का पैटर्न बदला नहीं गया है। इससे बच्चे थ्रोली पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उनका फोकस सिर्फ ऑब्जेक्टिव सवालों का उत्तर लिखने पर होता है। उसी के अनुरूप परीक्षार्थी परीक्षा की तैयारी भी करते हैं। कई बार तो प्रश्नपत्र को आसान बनाने के लिए सिलेबस से अलग सवाल भी पूछा जाता है। परीक्षा की तैयारी कराने के लिए कुछ कोचिंग संस्थान बच्चों को गलत व झूठा प्रलोभन भी देते हैं। ऐसे में सरकार को परीक्षा का पैटर्न बदलने को लेकर पहल करनी चाहिए। इससे बच्चों की पढ़ाई सार्थक होगी। साथ ही आगे की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिल सकेगी।

1 घर में टयुशन के लिए शिक्षक बुलाने में खर्च अधिक पड़ता है। ऐसे में हम कोचिंग संस्थान में ग्रुप में कम खर्च में बच्चों को पढ़ाते हैं। ग्रुप में पढ़ाई करने से छात्र-छात्राओं में प्रतियोगिता की भावना उत्पन्न होती है।

प्रेमजीत कुमार, कोचिंग संचालक

2 शहर में ब्रांडेड कोचिंग की बाढ़ आ गई है। हाल के दिनों में ब्रांडेड कोचिंग खुलने व ऑनलाइन मोड से पढ़ाई के कारण स्थानीय कोचिंग संस्थानों में छात्र कम हुए हैं। ब्रांडेड कोचिंग से होड़ में आर्थिक बदहाली बढ़ी है।

निशांत स्वराज, कोचिंग संचालक

3 शहर के डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट के विभिन्न संकायों में नामांकन बंद हो गया है। इससे छात्र-छात्राएं ग्रामीण क्षेत्र के प्लस टू विद्यालयों की ओर रूख कर गए हैं। इससे कोचिंग में छात्रों की संख्या घटी है।

ऑलमाइटी, कोचिंग संचालक

4 टीपी सिंह रोड में कोचिंग संस्थान की बढ़ती संख्या को देखते हुए यहां पुलिस पिकेट खोलने की जरूरत है। इससे छात्र-छात्राएं अपने को सुरक्षित महसूस कर सकेंगे। साथ ही शहर में सक्रिय बाइकर्स गैंग पर रोक लगेगी।

रवि मिश्रा, कोचिंग संचालक

5 ऑनलाइन क्लासेज व ब्रांडेड कोचिंग से होड़ में स्थानीय कोचिंग संचालक परेशान हैं। ब्रांडेड कोचिंग संचालकों के पास फंड अधिक है। किराया का भवन भी काफी महंगा पड़ता है। बच्चे फीस भी देरी से जमा कराते हैं।

रोहित कुमार, कोचिंग संचालक

6 शीतला कॉलोनी मुहल्ले में कोचिंग संस्थान अधिक होने के कारण हमेशा छात्र-छात्राओं की भीड़ बनी रहती है। इसे देखते हुए मुहल्ले में पुलिस गश्ती बढ़ाने की जरूरत है, ताकि बच्चे निर्भिक होकर पढ़ाई जारी रख सकें।

सुरज कुमार

7 पढ़ाई में तकनीक का इश्तेमाल महंगा पड़ता जा रहा है। इसी कारण स्थानीय कोचिंग संस्थानों पर बड़ी कंपनियां लगतार हावी होती जा रही हैं। स्थानीय कोचिंग संस्थान इस रेस में पिछड़ रहे हैं। इससे स्थानीय कोचिंग संचालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।

अशोक यादव, कोचिंग संचालक

8 शहर का टीपी सिंह रोड में कई जगह नाला बंद है। सड़क पुराना व नीचे होने के कारण नाला का पानी सड़क पर बहते रहता है। कई जगह नाला का स्लैब भी टूट चुका है। इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

सागर कुमार, कोचिंग संचालक

9 कोचिंग संचालक बच्चों में शिक्षा बांटते हैं। बावजूद इसके सरकार की ओर से कोचिंग संचालकों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी जाती है। उल्टे उनपर कई तरह का दबाव बनाया जाता है। इससे मनोबल टूटता है।

श्रीअंशु कुमार

10 जिस मुहल्ले में अधिक कोचिंग संचालित है उस मुहल्ले में पुलिस गश्त तेज करना जरूरी है। पुलिस गश्त बढ़ने से रात में चोरी की घटनाओं पर रोक लगेगी। विद्यार्थी भी निर्भिक होकर कोचिंग व कॉलेज जा सकेंगे। बच्चों के लिए आवासन व मेस की व्यवस्था होनी चाहिए।

रूपेश कुमार

11 कोचिंग के आसपास पुलिस गश्त तेज करने की जरूरत है। मनचले पर लगाम लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना चाहिए। अभिभावक को भी चाहिए कि अपने पुत्री को स्वयं कोचिंग पहुंचाए।

प्रिंश कुमार

12 कोचिंग के आसपास नगर प्रशासन को शुलभ शौचालय बनाने की जरूरत है। खासकर बच्चियों को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। कोचिंग संचालक के बने शौचालय का ही उपयोग कराया जाता है।

संतोष कुमार, कोचिंग संचालक

13 कोचिंग निबंधन की प्रक्रिया बहुत ही जटिल है। सरकार को चाहिए कि इसे और लचीला बनाए। इससे निबंधन की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा।

संजीव कुमार, कोचिंग संचालक

14 मनचले युवकों के कारण 20 प्रतिशत बच्चे व बच्चियां कोचिंग आना छोड़ दिया है।खासकर ग्रामीण इलाके से आने वाले लड़के व लड़कियों को ज्यादा कठिनाई झेलनी पड़ती है।

अभिषेक दूबे, कोचिंग संचालक

15 सरकार छात्राओं के लिए आवास का व्यवस्था करे। हॉस्टल बन जाने से एक जगह पर बच्चियां रह कर प्रतियोगिता की तैयारी कर पाएगी। इससे अभिभावक को कम खर्च उठाना पड़ेगा।

महावीर प्रजापति, कोचिंग संचालक

16 टीपी सिंह रोड में विवाह भवन होने के कारण छात्र-छात्राओं को गंदगी से परेशानी होती है। दुर्गंध से होकर ही बच्चियां कोचिंग आती है। इसके बाद अश्लील गाने भी बजाए जाते हैं।

मो अली अफजल

शिकायत

1. शहर के डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिट में छात्र-छात्राओं का नामांकन बंद है। वहीं, जिले के प्लस टू विद्यालयों में संसाधनों का अभाव है।

2. टीपी सिंह रोड में पुलिस गश्त बढ़ाने की मांग पुरानी है। इस मुहल्ले में छात्र-छात्राओं की भीड़ रहती है। उन्हें अनहोनी का भय सताता रहता है।

3. शीतला कॉलोनी की गली व चौक-चौराहों में बिजली के पोल पर तार का मकड़जाल है। नाला जाम होने के कारण सड़क पर पानी बहता रहता है।

4. शिक्षा व परीक्षा का पैटर्न कोरोना काल के बाद बदला नहीं गया है। इससे छात्र-छात्राओं को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में दिक्कत होती है।

5. कोचिंग के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जटिल है। इसे आसान बनाने की जरूरत है। कोचिंग संचालकों को सरकारी प्रोत्साहन भी नहीं मिलता।

सुझाव

1. शहर के डिग्री कॉलेजों में छात्र-छात्राओं का इंटरमीडिट के विभिन्न संकायों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाए।

2. टीपी सिंह रोड में हमेशा पुलिस गश्त हो। इससे छात्र-छात्राओं को निर्भिक होकर कोचिंग व कॉलेज जाने में सुविधा होगी।

3. शीतला कॉलोनी की गली व चौक-चौराहों में बिजली के पोल पर लटके तार को ठीक कराया जाए। इससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

4. सरकार शिक्षा व परीक्षा का पैटर्न में बदलाव करें। कोरोनाकाल में छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए प्रश्नपत्र को आसान किया गया था।

5. कोचिंग संचालकों व प्राइवेट शिक्षकों को सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन देने की जरूरत है। कोचिंग के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।

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