बोले पूर्णिया : ड्रोन से कीटनाशी का छिड़काव किफायती, अच्छी होगी उपज
पूर्णिया का खेती में ड्रोन तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। किसानों का मानना है कि ड्रोन से कीटनाशक और उर्वरक का छिड़काव तेजी से और कम खर्च में हो रहा है। पंजीकृत किसानों को ड्रोन खरीदने पर 60% अनुदान भी...
पूर्णिया का मैदानी भाग खेती के लिए काफी उर्वर रहा है। यहां के आम लोगों की आर्थिक व्यवस्था कृषि पर ही आधारित है। यह इलाका न सिर्फ खाद्यान्न फसलों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा है बल्कि कमर्शियल क्रॉप के उत्पादन में भी अग्रणी रहा है। पहले जमीन काफी ज्यादा नमी थी, उस समय गन्ना की खेती प्रचुर मात्रा में होती थी। इसके बाद जूट की खेती हुई। जूट के बाद केला, फिर किसानों ने मक्का की खेती को प्रमुखता से अपनाया। पूर्णिया के किसान कहते हैं कि यदि उन्हें सरकार की ओर से पर्याप्त सुविधा मिले तो सिर्फ कृषि से अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं और इलाके की तस्वीर बदल सकते हैं। हालांकि सरकार विभिन्न तरह की योजनाएं चला रही है। अब तो मजदूर के बिना भी ड्रोन के माध्यम से खेतों में उर्वरक एवं कीटनाशक का छिड़काव करवाने की व्यवस्था कर रहे हैं। हालांकि अभी तक पूर्णिया में फसलों में छिड़काव करने के लिए अत्याधुनिक ड्रोन की खरीदारी नहीं हो सकी है। इस कारण किसानों से छिड़काव के लिए क्लस्टर में आवेदन लेकर पटना के नियोक्ता से ड्रोन मंगवाया जाता है और छिड़काव करवाया जाता है।
04 लाख 34 हजार किसान पंजीकृत हैं पूर्णिया जिले में, जूझ रहे समस्या से
02 लाख 07 हजार 502 किसान को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ
02 हजार एकड़ में लगी फसलों में पिछले 2 साल के दौरान हो चुका है छिड़काव
खेती-किसानी करवट बदलने लगी है। बदलाव समय की जरूरत होती है। फसलें बदली, जमीन की तासीर बदली, उपज का तौर तरीका बदला तो किसानी भी अब हाईटेक होने लगी है। अब किसानों को अत्याधुनिक खेती करने के लिए कृषि यंत्रों की जरूरत है। इसके लिए ड्रोन काफी जरूरी है। ड्रोन के सहयोग से सस्ती दर पर पेस्टिसाइड का छिड़काव हो जाता है। हालिया दिनों में ड्रोन से छिड़काव के कारण काफी फायदा हुआ है। कम समय में अधिक से अधिक और अनुपातिक ढंग से पेस्टिसाइड का अच्छा मिक्सिंग होता है। बोले पूर्णिया के मंच पर जिले के किसानों ने कहा कि अब हर प्रखंड में एक-एक ड्रोन की जरूरत महसूस की जा रही है। किसानों को मैन्युअल ढंग से छिड़काव की परेशानी बचने के लिए ड्रोन ही अच्छा है। अब सहूलियत से गांव में खेती करने के लिए मजदूर नहीं मिलते इसके लिए जरूरी है कि कृषि यांत्रिकीकरण अधिक से अधिक हो और इससे खेती अच्छी होगी। खेतों में छिड़काव करने के लिए मजदूरी काफी ज्यादा बढ़ गई है। ट्रेंड मजदूर भी नहीं है। ऐसी स्थिति में ड्रोन से छिड़काव एक अच्छा मौका देता है।
नैनो यूरिया के छिड़काव में कम आता है खर्च :
ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव करने पर काफी कम खर्च आता है क्योंकि नैनो यूरिया के छिड़काव से फसल शुरुआती दौर से ही हरी भरी रहती है। यह पैकेट के यूरिया से अच्छा है। अच्छी खेती करने के लिए एक तरफ जहां ड्रिप सिंचाई काफी फायदेमंद है वहीं ड्रोन के माध्यम से कीटनाशी से निजात पाई जा सकती है। अपने खेतों में प्रयोग के तौर पर ड्रोन से छिड़काव करवाया तो काफी फायदा हुआ मात्र 10 से 20 मिनट में 1 एकड़ के लगभग छिड़काव हो जाता है। मखाना की खेती में कीटनाशी का छिड़काव काफी महंगा पड़ता है लेकिन यदि ड्रोन से छिड़काव करवाते हैं तो फसल भी डिस्टर्ब नहीं होती और कीटनाशी भी ज्यादा काम करता है। मानव बल द्वारा फसलों का छिड़काव करवाने के लिए बार-बार पानी लाना पड़ता है और डब्बा में कई बार दवा मिलानी पड़ती है। ड्रोन में एक बार में ही सब कुछ हो जाता है। छोटे-छोटे किसानों को भी ड्रोन के माध्यम से छिड़काव करने के बहुत फायदे होंगे क्योंकि कम खेती करने वाले को भी अधिक उपज होगी और खर्च कम लगेगा। किसानों का कहना है कि अत्याधुनिक खेती करने के लिए ड्रोन एक क्रांतिकारी मुहिम है, जिससे हर किसान को लाभान्वित किया जाना चाहिए। इससे खर्च में आधा का अंतर हो जाता है।
ड्रोन की क्यों आन पड़ी जरूरत :
ड्रोन से छिड़काव एक आधुनिक और कुशल तरीका है जो किसानों को अपनी फसलों की देखभाल करने में मदद करता है। इसके कई फायदे हैं, जैसे कि समय और श्रम की बचत, सटीकता और दक्षता, कम लागत, और पर्यावरण अनुकूल। विभिन्न फसलों पर ड्रोन से छिड़काव करने से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार होता है। ड्रोन से छिड़काव करने से किसानों को समय और श्रम दोनों की बचत होती है, क्योंकि यह काम तेजी से और सटीकता से किया जा सकता है। ड्रोन से छिड़काव करने से किसानों को अपनी फसलों पर सटीक मात्रा में दवाओं और उर्वरकों का छिड़काव करने में मदद मिलती है, जिससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार होता है। ड्रोन से छिड़काव करने से किसानों को कम लागत में अपनी फसलों की देखभाल करने में मदद मिलती है, क्योंकि यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में कम श्रम और संसाधनों की आवश्यकता होती है। ड्रोन से छिड़काव करने से पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह सटीक मात्रा में दवाओं और उर्वरकों का उपयोग करता है और अनावश्यक छिड़काव को कम करता है। ड्रोन से फसलों की निगरानी करने में भी मदद मिलती है, जिससे किसानों को अपनी फसलों की स्थिति का पता लगाने और आवश्यक कदम उठाने में मदद मिलती है।
कितना हुआ छिड़काव:
वित्तीय वर्ष 23-24 में 700 एकड़ के करीब तथा वित्तीय वर्ष 24-25 में 1196 एकड़ की फसल में ड्रोन से छिड़काव हुआ है। जिले के श्रीनगर, भवानीपुर, जलालगढ़, कसबा समेत कई प्रखंडों में किसानों ने ड्रोन से छिड़काव करवाया है। पूर्णिया जिले में विभिन्न फसलों के ड्रोन से छिड़काव के लिए आवेदन चल रहा है। इसमें पंजीकृत किसान ही आवेदन कर सकते हैं। एक किसान अधिक से अधिक 10 एकड़ तक आवेदन कर सकते हैं न्यूनतम रकवा की सीमा नहीं है।
शिकायत:
1. प्रमाणिक बीज और खाद की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होती
2. खेती के समय हो जाती है यूरिया की किल्लत
3. छिड़काव के लिए समय पर नहीं मिलते मजदूर
4. मैन्युअल छिड़काव से दवा के अनुपात में हो जाता है उलटफेर
5. मैन्युअल ढंग से छिड़काव में पड़ जाता है काफी ज्यादा खर्च
सुझाव
1. खेती के समय हर हाल में बीज और खाद की पुख्ता व्यवस्था हो
2. फसलों पर छिड़काव के लिए ड्रोन की व्यवस्था सहज हो
3. नैनो यूरिया की उपलब्धता अधिक से अधिक हो
4. खेतों में उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद नहीं बल्कि वर्मी कंपोस्ट की व्यवस्था सरकार करे
5. सभी प्रखंडों में छिड़काव के लिए ड्रोन की व्यवस्था सरकार के स्तर से हो
हमारी भी सुनिए
अत्याधुनिक खेती करने के लिए कृषि यंत्रों की जरूरत है और इसके लिए ड्रोन काफी जरूरी है। ड्रोन के सहयोग से सस्ती दर पर पेस्टिसाइड का छिड़काव हो जाता है।
-सदानंद महतो
ड्रोन से छिड़काव के कारण काफी फायदा हुआ है। कम समय में अधिक से अधिक और अनुपातिक ढंग से पेस्टिसाइड का अच्छा मिक्सिंग होता है।
-राधे राय
अब हर प्रखंड में एक-एक ड्रोन की जरूरत महसूस की जा रही है। किसानों को मैन्युअल ढंग से छिड़काव की परेशानी बचने के लिए ड्रोन ही अच्छा है।
-मनोज मंडल
अब सहूलियत से गांव में खेती करने के लिए मजदूर नहीं मिलते इसके लिए जरूरी है कि कृषि यांत्रिकीकरण अधिक से अधिक हो और इससे खेती अच्छी होगी।
-मो नाजिम
खेतों में छिड़काव करने के लिए मजदूरी काफी ज्यादा बढ़ गई है। ट्रेंड मजदूर भी नहीं है। ऐसी स्थिति में ड्रोन से छिड़काव एक अच्छा मौका देता है।
-अब्दुल बारीक
ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव करने पर काफी कम खर्च आता है क्योंकि नैनो यूरिया के छिड़काव से फसल शुरुआती दौर से ही हरी भरी रहती है। यह पैकेट के यूरिया से अच्छा है।
-अमर मंडल
किसानों ने ड्रोन के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया है। यदि पूर्णिया को अपना ड्रोन हो जाता है तो पूर्णिया के किसानों को कहीं बाहर के नियोक्ता पर निर्भर रहना नहीं पड़ेगा।
-मो सलाम
अच्छी खेती करने के लिए एक तरफ जहां ड्रिप सिंचाई काफी फायदेमंद है वहीं ड्रोन के माध्यम से कीटनाशी से निजात पाई जा सकती है।
-शाहिद आलम
अपने खेतों में प्रयोग के तौर पर ड्रोन से छिड़काव करवाया तो काफी फायदा हुआ मात्र 10 से 20 मिनट में 1 एकड़ के लगभग छिड़काव हो जाता है। यह बड़ा अजूबा सा है।
-दयानंद सिंह
मखाना की खेती में कीटनाशी का छिड़काव काफी महंगा पड़ता है। लेकिन यदि ड्रोन से छिड़काव करवाते हैं तो फसल भी डिस्टर्ब नहीं होती और कीटनाशी भी ज्यादा काम करता है।
-प्रवीण कुमार
मानव बल द्वारा फसलों का छिड़काव करवाने के लिए बार-बार पानी लाना पड़ता है और डब्बा में कई बार दवा मिलानी पड़ती है। ड्रोन में एक बार में ही सब कुछ हो जाता है।
-श्याम यादव
मक्का और केला की खेती में भी ड्रोन के माध्यम से आकाश से ही छिड़काव हो जाता है जिसके कारण सभी फसलों पर समान रूप से दवा पड़ती है।
-अशोक कुमार सिंह
छोटे-छोटे किसानों को भी ड्रोन के माध्यम से छिड़काव करने के बहुत फायदे होंगे क्योंकि कम खेती करने वाले को भी अधिक उपज होगी और खर्च कम लगेगा।
-चिरंजीव मिश्रा
अत्याधुनिक खेती करने के लिए ड्रोन एक क्रांतिकारी मुहिम है, जिससे हर किसान को लाभान्वित किया जाना चाहिए। इससे खर्च में आधा का अंतर हो जाता है।
-मदन कुमार यादव
बोले एक्सपर्ट
पूर्णिया जिला में खेती का तौर-तरीका बदल रहा है। अब किसान स्मार्ट तकनीक अपना रहे हैं। मजदूरों की किल्लत को देखते हुए ड्रोन की मांग ज्यादा है। खासकर खेत में दवा स्प्रे के लिए ड्रोन कारगार तरीका साबित हो रहा है। पूर्णिया में मक्का के अलावा मखाना की खेती प्रमुखता से हो रही है। दोनों फसलों के लिए ड्रोन की मांग अब हो रही है। किसानों के हित में कंपनी की ओर से एक ट्रायल भी किया गया था। मंत्री लेशी सिंह ने रिमोट दबाकर ड्रोन से दवा छिड़काव कार्यक्रम की शुरूआत की थी। भविष्य में ड्रोन मांग तेज होने वाली है।
-अभिजीत झा, एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, टीएसएम पायनियर, कोर्टेवा एग्री साइंस।
बोले जिम्मेदार
ड्रोन से विभिन्न फसलों पर छिड़काव काफी सस्ता और सहज है। इसके लिए किसानों को बड़े पैमाने पर आवेदन करने की जरूरत है और बड़े किसानों को कृषि यांत्रिकीकरण के तहत ड्रोन की खरीदारी करनी चाहिए ताकि स्थानीय किसानों को इसका लाभ सहजता से मिल सके। ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का भी छिड़काव होता है। नैनो यूरिया का छिड़काव मखाना के लिए काफी फायदेमंद है।
-डॉ विनोद कुमार, कृषि वैज्ञानिक
बॉटम स्टोरी:
ड्रोन खरीद पर 60 फीसदी अनुदान, सात मिनट में एक एकड़ छिड़काव
पूर्णिया। अब खेती किसानी सिर्फ पुराने तरीके से करने से नहीं होगा बल्कि हमें इसमें नई तकनीकों का समावेश करना होगा। कृषि ड्रोन का उपयोग इसी पहल की एक कड़ी है। कृषि ड्रोन का उपयोग किसानों के लिए कम लागत में कार्य पूरा करेगा साथ ही साथ ड्रोन चालकों को आय का जरिया भी उपलब्ध कराएगा। ताकि किसान अपने खेतों में ड्रोन के माध्यम से कम समय एवं लागत में कीटनाशक, खरपतवार नाशक, तरल उर्वरक और नैनो डीएपी यूरिया, तरल सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव ससमय कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें। जिलाधिकारी कुंदन कुमार की ओर से भी कृषि ड्रोन के संबंध में व्यापक जागरूकता फैलाने हेतु प्रचार प्रसार करने का निर्देश जिला कृषि पदाधिकारी को दिया जा चुका है। किसानों के बीच ड्रोन योजना को अधिक से अधिक प्रचार प्रसार को लेकर जिला प्रशासन भी सजग है। योग्य किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए 60 प्रतिशत अनुदान राशि का भी प्रावधान है। एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक का लाभ ले सकते हैं। ड्रोन योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को इंटरमीडिएट विज्ञान उत्तीर्ण होना अनिवार्य। बिहार सरकार की ओर से मानव रहित हवाई ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी एवं तरल उर्वरक का छिड़काव योजना संचालित किया गया है। डीबीटी पर रजिस्टर्ड किसान अधिकतम 10 एकड़ के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस योजना का लाभ लेकर जिले के किसानों के द्वारा उठाया गया है। खरीफ और रबी के फसल में सैकड़ों किसानों ने ड्रोन के माध्यम से अपने मक्का एवं मखाना की खेती में छिड़काव कराया है। कृषि ड्रोन का उपयोग किसानों के लिए कम लागत में कार्य पूरा करेगा साथ ही साथ ड्रोन चालकों को आय का जरिए भी उपलब्ध कराएगा। कुछ किसान किराये पर भी ड्रोन लेकर खेतों में प्रयोग करने लगे हैं। कई निजी कंपनियां भी इस दिशा में आगे आ चुकी है। जो कि किराये पर ड्रोन किसानों को उपलब्ध करवा रही है।
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