बोले जमुई : जलजमाव से व्यवसाय हो रहा प्रभावित, संक्रमण की आशंका
सिकंदरा नगर पंचायत के लोग विकास की उम्मीद में थे, लेकिन सड़कों की जर्जर स्थिति, जल निकासी की कमी, और सफाई के अभाव ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया है। लोग सरकारी आवास और पेयजल की कमी से भी जूझ रहे हैं।...
सिकंदरा नगर पंचायत के लोग विकास की राह देख रहे हैं। जब पंचायत को नगर पंचायत बनाया तो लोगों को विकास की आस जगी थी। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। ना तो सड़कें दुरुस्त हो रही हैं ना ही नाला का निर्माण हो रहा है। यहां वार्ड में पुल, पुलिया मिट्टी से भरे हुए हैं। उसकी ना तो सफाई की जा रही है और न ही नया निर्माण किया जा रहा है। सार्वजनिक शौचालय भी नहीं बनाए गए हैं और यात्री शेड भी कहीं नहीं बनाया गया। साफ सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। कूड़े-कचरे का उठाव नहीं हो रहा है। नगर पंचायत में उन्नयन के बाद अब मजदूरों को सरकारी स्तर पर काम नहीं मिल रहा है। क्योंकि नगर पंचायत में मनरेगा के तहत काम नहीं कराया जाता है। सिकंदरा नगर पंचायत के लोगों ने अपनी परेशानी बताई।
04 सड़कें हैं नगर पंचायत में, सभी हो गई हैं जर्जर
30 हजार आबादी रहती है नगर पंचायत क्षेत्र में
05 सौ के करीब हैं नगर पंचायत में विभिन्न दुकानें
सिकंदरा नगर पंचायत के वार्डों में बरसात का समय लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। जल निकासी का साधन नहीं होने के कारण लोगों को समस्याएं आती है। जलजमाव हो जाने के कारण लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। वहीं लंबे समय तक बरसात का पानी जमा होने से उसमें कीड़े पड़ जाते हैं और संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है। पुल पुलिया की सफाई नहीं की गई है और नहीं कोई नाला निर्माण किया गया है। लोगों का कहना है कि पहले बने पुल पुलिया मिट्टी से भर गए हैं। इस कारण बरसात का पानी नहीं निकल पाता है। इस कारण मोहल्ले में जलजमाव की समस्या आती है। जलजमाव होने से लोगों को बरसात में निकलना मुश्किल हो जाता है। वही लंबे समय तक जब जल जमाव बना रहता है, तो उसमें कीड़े पड़ जाते हैं और बदबू आती है। नगर पंचायत द्वारा पुल-पुलिया की सफाई की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नाला निर्माण भी नहीं किया गया है। लोगों ने नगर पंचायत को नाला बनाकर जलनिकासी की मांग की।
नगर पंचायत के वार्ड में सुविधाओं की व्यापक कमी :
सिकंदरा को नगर पंचायत बनाया गया तो गया है। लेकिन सुविधा देहात जैसी भी नहीं है। जब गांव का शहरीकरण किया गया तो वहां विकासात्मक काम भी होना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। लोग गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं। शहरीकरण होने के कारण गरीबों की मजदूरी छीन गई। मनरेगा से मिलने वाली मजदूरी समाप्त हो गई। क्योंकि गरीबी का खत्मा होना ही शहरीकरण होना होता है। नगर पंचायत के अधीनस्थ वार्डों के लोगों ने अपनी समस्या रखते हुए दर्द सुनाया। उनका कहना है कि पहले पंचायत थी तो स्थिति ठीक थी। लेकिन जब से नगर पंचायत में परिणत कर दिया गया है। स्थिति बदतर हो गई है। मोहल्ले के सुरेश प्रसाद यादव, दिनेश यादव, रामाकांत सिंह उर्फ भोली सिंह, संजय चौधरी, दासो केशरी, देवन मिश्रा आदि बताते है कि जब इस गांव को नगर पंचायत में लिया गया था तो उम्मीद जगी थी कि अब यहां का विकास होगा। गांव की स्थिति बदलेगी। साफ-सफाई के साथ पुल पुलिया दुरुस्त किए जाएंगे। जर्जर सड़के बनेंगे लेकिन सब उल्टा हुआ। इससे अच्छा तो अपना ग्राम पंचायत ही था। कहीं भी कोई विकास कार्य नहीं देखा जा रहा है। सफाई के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है। कचरा तो महीने में एक से दो बार उठाए जाते हैं। जब इसका शहरीकरण किया गया तो व्यवस्था भी सुधरनी चाहिए थी। विकास दिखना चाहिए था, लेकिन मंसूबे पर पानी फिर गए।
जर्जर और ध्वस्त सड़कों की नहीं हो रही है मरम्मत :
नगर पंचायत के अधीनस्थ वार्ड संख्या 3 और 4 में जितनी भी सड़के हैं, सभी जर्जर हो चुकी है। टूट कर बिखरी हुई है। पीसीसी सड़क तो चट्टान बनकर टूट गई। उससे जाना खतरों से खेलना है। गाड़ियां तो चल नहीं पाती। अगर गांव में जाना हो तो सड़क की बदहाली सताती है। पंकज बरनवाल, मुन्ना बरनवाल, रंजीत ठाकुर, मनोज साव आदि बताते हैं कि नाम का यह नगर पंचायत है लेकिन काम तो देहात जैसा भी नहीं है। सिकंदरा नगर पंचायत के वार्ड में गरीबों को सरकारी आवास नहीं मिला है। जिससे वे झुग्गी झोपड़ी में समय काट रहे हैं। उनका कहना है कि शहरीकरण होने से गरीबी समाप्त हो जाती है लेकिन यहां तो गरीबी छाई हुई है। लोगों को रहने के लिए घर नहीं है। जबकि उन्हें सरकारी तौर पर आवास नहीं दिए जा रहे हैं। कई दलित, महादलित मोहल्ले की महिलाओं ने बताया कि उन्हें अभी तक सरकारी आवास नहीं मिला है और न ही नल वाला पानी भी नहीं मिला है। उनका कहना है कि नल का जल मिलने में दिक्कत आती है।
जाम से होती है व्यवसायियों को परेशानी :
सिकंदरा चौक नवादा, शेखपुरा, लखीसराय और जमुई के मार्ग को जोड़ता है। इस चौक पर आये दिन जाम की समस्या उत्पन्न होती रहती है। जिस कारण राहगिरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही सिकंदरा चौक पर मौजूद व्यवसायियों को इस जाम से काफी परेशानी उठानी पड़ती है। जाम होने के कारण कोई भी ग्राहक दुकान पर नहीं रुकते। इस कारण इनकी दुकान नहीं चल पाती है। वहीं अंदर बाजार की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है। एक-दो वाहन अगर आमने-सामने आ जाएं तो जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सिकंदरा नगर पंचायत के व्यवसायियों ने कहा कि नगर पंचायत प्रशासन जाम की समस्या का निदान करे ताकि सिकंदरा के व्यवसायी अपना व्यवसाय ठीक ढंग से कर सकें। अपने परिजनों का भरण-पोषण करने में परेशानी नहीं उठानी पड़े।
शिकायत
1. नाला नहीं होने से जल जमाव की आती है समस्या बरसात में आने जाने में दिक्कत होती है।
2. गांव में जाने वाली सड़क जर्जर होने से आने-जाने में होती है दिक्कत। जर्जर सड़क पर चलना हो रहा मुश्किल।
3. नल जल का पानी नियमित नहीं मिलने से लोगों को पेयजल की आती है समस्या। दूर से पानी लाकर काम चलाना हो रहा मजबूरी।
4. नियमित साफ-सफाई नहीं होने से कूड़े कचरे का लगता है अंबार। जिससे वार्ड की बिगड़ती है सूरत।
5. कचरे का उठाव नियमित नहीं किए जाने से उसकी सरांध से निकलती है बदबू। लोगों को होता है मुश्किल। बदबू से बीमारी फैलने का बना रहता है डर।
सुझाव :
1. नाला का निर्माण हो ताकि पानी का बहाव हो जाने से जल जमाव नहीं हो। पुल पुलिया को भी दुरुस्त करना चाहिए। ताकि उस पानी निकल जाए।
2. गांव की सड़कें जर्जर हो चुकी है। जिसे दुरुस्त करना चाहिए। लोगों को चलने में दिक्कत आती है। टूटे सड़क से चलने पर दुर्घटना का कारण बनता है।
3. नलजल से नियमित पानी मिलनी चाहिए। जिससे लोगों को पेयजल की सुविधा मिले। पानी आवश्यक आवश्यकता में आती है।
4. जब नगर पंचायत में गांव को लिया गया तो साफ सफाई भी होनी चाहिए। जिससे इलाका साफ सुथरा रहे।
5. प्रतिदिन कूड़े कचरे का उठाव होना चाहिए। उठाव नहीं होने से उससे बदबू निकलती है।
सुनें हमारी बात
नगर पंचायत बनने से कोई फायदा नहीं हुआ है। पहले भी नाले के पानी से गुजरना पड़ता था और आज भी गुजरना पड़ता है। इसपर नगर पंचायत प्रशासन ध्यान दे।
-सुरेश प्रसाद यादव
नगर पंचायत बनी, बढ़िया है पर जो सुविधा मिलनी थी वह नहीं मिल पाती है। इस कारण लोगों की उम्मीद अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
-दिनेश यादव
सिकंदरा में पानी व शौचायलय की अति आवश्यकता है, चौक-चौराहे पर शौचायलय व पानी की व्यवस्था बहुत जरूरी है। आने-जाने बाले राहगीरों को परेशानी होती है।
-रामाकांत सिंह उर्फ भोली सिंह
सिकंदरा नगर पंचायत बनने के बाद हम लोगों को आस थी कि अब सिकंदरा बाजार की नली व सड़क बनेगा पर अभी तक नहीं बन पाई है।
-संजय चौधरी
नगर पंचायत बनने के लोगों को जो सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
-दासो केशरी
सिकंदरा नगर पंचायत तो बन गया पर सुविधाएं नहीं मिल रही है। हमने सोचा था कि अब सिकंदरा में विकास होगा पर यहां तो पंचायत की भी सुविधा नहीं मिल रही है।
- देवन मिश्रा
नगर पंचायत बनने से कोई सुविधा नहीं मिल पाई है। वार्ड 7 में नाले का पानी अभी भी उसी तरह सड़क पर बहता रहता है। गंदगी का ढेर लगा हुआ है।
-रविशंकर पांडेय
वार्ड 7 में जो होना चाहिए वह काम अभी तक नहीं हो पाया है। नगर पंचायत बनने से आजा जगी थी कि हमारे गली की ढलाई होगी। नाला बन जाने से आने-जाने में परेशानी नहीं होगी। मगर कोई बदलाव नहीं हुआ है।
-प्रवीण मिश्रा
गांव को नगर पंचायत में लिया गया तो साफ-सफाई भी होनी चाहिए। जबकि इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है। सप्ताह में 2 दिन सफाई कर्मी सिर्फ सड़कों की सफाई करते हैं। बाकी गंदगी की ग्रामीण स्वयं सफाई करते हैं।
-कारू तमोली
पंचायत का दर्जा मिला है। लेकिन लोग देहात से भी बदतर स्थिति में रह रहे हैं। कोई सुविधा लोगों को नहीं दी जा रही है। हर जगह लूटखसोट मची हैं। सभी अपने-अपने फेर में है। जनता को किसी से मतलब नहीं है।
-मनिक साव
शहर जैसी सुविधा भी मिलनी चाहिए लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। नाला-पुलिया दुरुस्त नहीं है। जिससे बरसात के मौसम में जल निकासी नहीं होती। लोगों के दरवाजे पर जलजमाव हो जाता है।
-मिथिलेश कुमार
नगर पंचायत बनी तो है लेकिन यहां के लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। जैसे पहले थे वैसे आज भी हैं। अभी भी गांव में लोग घर दरवाजे के साथ-साथ आसपास की सफाई करते हैं।
-सोनू कुमार
सिकंदरा चौक पर हमेशा जाम की समस्या होती रही है। नगर पंचायत प्रशासन को चाहिए कि जाम की समस्या से को निजात दिलाए ताकि हमलोग अपना व्यवसाय ठीक से कर सकें।
-मनोज साव
सिकंदरा चौक से लेकर अन्य स्थानों पर अतिक्रमण हो चुका है। इस कारण अक्सर जाम लग जाता है। नगर पंचायत प्रशासन इस ओर ध्यान दे ताकि लोगों को परेशानी ना हो।
-रंजीत ठाकुर
सिकंदरा के अंदर बाजार में भी अक्सर जाम की स्थिति उत्पन्न होती है। इस कारण लोगों को परेशानी होती है। इस पर नगर पंचायत को ध्यान देने की जरूरत है।
-मुन्ना बरनवाल
सिकंदरा चौक पर मौजूद गोलम्बर कई माह पहले क्षतिग्रस्त हो चुका है, लेकिन नगर पंचायत प्रशासन आज तक उसे दुरुस्त नहीं करा सका है। मोहल्ला क्या दुरुस्त होगा।
-पंकज बरनवाल
बोलीं जिम्मेदार
वार्डों में जो भी समस्या है, धीरे-धीरे सभी समस्याओं का निदान किया जा रहा है। गरीब लोगों को भी आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है। वार्डों में धीरे-धीरे नाला और सड़क का भी निर्माण कराया जा रहा है। पानी की भी समस्या को दूर करने की कोशिश की जा रही है। उम्मीद है कि धीरे-धीरे सभी समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा। साथ ही जाम की समस्या को दूर करने के लिए वरीय पदाधिकारियों को भी सूचित किया गया है। उम्मीद है कि जल्द इन सभी समस्याओं का निदान हो जाएगा।
-रूबी देवी, अध्यक्ष, नगर पंचायत सिकंदरा
बोले जमुई फॉलोअप
पोषक आहार के लिए नहीं बढ़ाई गई राशि
जमुई। हिन्दुस्तान ने कुछ दिनों पूर्व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्या प्रमुखता से प्रकाशित की थी। उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताती हैं कि विभाग द्वारा केंद्र पर बच्चों को दिये जाने वाले पोषक आहार की राशि बाजार मूल्य से कम दिया जाता है। जिस कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण आहार वितरण करने में काफी परेशानी होती है। विभाग द्वारा लाभार्थियों का फेस वेरिफिकेशन कर टीएचआर देने को कहा जाता है। केंद्र पर टीएचआर वितरण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। लाभार्थी गर्भवती होने के कारण अधिकांश केंद्र नहीं आ पाती हैं। जबकि विभाग द्वारा कहा जाता है कि जब तब लाभार्थी का फेस वेरिफिकेशन नहीं होता है तो वैसे लाभार्थी का टीएचआर नहीं दिया जाए। उन्होंने कहा कि जन वितरण प्रणाली में यह नियम नहीं है वहां लाभार्थी के परिवार का कोई भी सदस्य अपना सामान लेने के लिए आ सकता है। आंगनबाड़ी केंद्र पर भी यही व्यवस्था की जानी चाहिए। चावल उठाव के बाद उनलोगों का चावल केंद्र पर पहुंचाने में करीब चार सौ रुपये का खर्च आता है। उन्होंने विभाग से मांग की है कि जैसे जन वितरण प्रणाली में केंद्र पर अनाज पहुंचाया जाता है उसी प्रकार आंगनबाड़ी केंद्र पर भी चावल पहुंचाया जाना चाहिए।
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