Bihar s Historical Contribution to Constitution Making Highlighted at Nalanda Open University रिवाइज : बिहार का संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान: राही, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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रिवाइज : बिहार का संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान: राही

बिहार का संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान: राहीबिहार का संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान: राहीबिहार का संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान: राही

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफFri, 16 May 2025 11:18 PM
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रिवाइज : बिहार का संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान: राही

बिहार का संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान: राही नालंदा खुला विश्वविद्यालय में मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों पर व्याख्यान छात्रों को बताया: संविधान ही हमारी आजादी का असली हथियार कहा: भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान कुलपति बोले: अधिकारों के साथ कर्तव्यों की भी हो समझ 36 बिहारी प्रतिनिधियों ने संविधान सभा में निभाई थी अहम भूमिका फोटो विश्वविद्यालय: नालंदा खुला विश्वविद्यालय में शुक्रवार को 'हमारा संविधान - हमारा स्वाभिमान' कार्यक्रम में शामिल लोग। नालंदा, निज संवाददाता। नालंदा खुला विश्वविद्यालय में शुक्रवार को 'हमारा संविधान - हमारा स्वाभिमान' विषय पर वार्षिक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें छात्र-छात्राओं को मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के महत्व से रूबरू कराया गया।

मुख्य वक्ता के रूप में पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. राजेंद्र प्रसाद सिंह राही ने शिरकत की और संविधान के महत्व से जुड़ी विचार साझा किए। संविधान की जड़ें बिहार में भी हैं: प्रो. राही ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसके निर्माण में बिहार की भी बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा की हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे और बिहार के 36 विभूतियों ने संविधान सभा में भाग लेकर अपना योगदान दिया था। अगर हम मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझें, तो हमारा जीवन आसान हो जाता है। संविधान हमें न सिर्फ अधिकार देता है, बल्कि दायित्व भी देता है। अधिकारों के साथ कर्तव्य भी निभाना सीखें छात्र: कुलपति प्रो. रवींद्र कुमार ने कहा कि संविधान सिर्फ किताबों में पढ़ने की चीज नहीं, बल्कि उसे जीवन में उतारना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब तक हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों को नहीं समझेंगे, तब तक संविधान की आत्मा अधूरी रह जाएगी। उन्होंने कहा कि छात्रों को यह समझना चाहिए कि अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का पालन करना भी जरूरी है, ताकि स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सच्चे सपने साकार हो सकें। संविधान हमारी एकता की नींव: कुलसचिव डॉ. समीर कुमार शर्मा ने कहा कि संविधान ही वह जीवित दस्तावेज है, जो भारत को एक सूत्र में बांधता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक यही हमारी एकता की नींव है। हमारे संविधान की खासियत यह है कि यह न सिर्फ अधिकार देता है, बल्कि उन्हें सुरक्षा भी देता है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे संविधान के दायरे में रहकर अपनी आवाज बुलंद करें। स्वागत भाषण शिक्षा विभाग की डॉ. मीना कुमारी ने किया तो धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पल्लवी ने किया। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर हम अपने कर्तव्य नहीं निभाएंगे, तो हमारे अधिकारों का भी महत्व नहीं रहेगा विश्वविद्यालय इस तरह के आयोजनों के जरिए विद्यार्थियों और समाज में संवैधानिक जागरूकता लाने का प्रयास करता रहेगा। छात्रों ने कार्यक्रम की तारीफ की और कहा कि ऐसे आयोजन युवाओं को न केवल इतिहास से जोड़ते हैं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा देते हैं। कार्यक्रम में शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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