India s Innovative Swing Star Ride Fully Automatic Swing for 30 People Developed in Nalanda चाइना का ‘स्विंग स्टार झूला बनने लगा नालंदा के कन्हैयागंज में, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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चाइना का ‘स्विंग स्टार झूला बनने लगा नालंदा के कन्हैयागंज में

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Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSat, 31 May 2025 10:35 PM
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चाइना का ‘स्विंग स्टार झूला बनने लगा नालंदा के कन्हैयागंज में

चाइना का ‘स्विंग स्टार झूला बनने लगा नालंदा के कन्हैयागंज में पूरी तरह ऑटोमेटिक झूले में 30 लोगों के बैठने की है क्षमता बहुत ही रोमांचक और तारों के बीच हवा में झूलने का कराता है अहसास मानव बल की नहीं पड़ती है जरूरत, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से होता है संचालन फोटो झूला : नालंदा जिले के एकंगरसराय प्रखंड के कन्हैयागंज में शुक्रवार को स्विंग स्टार झूले का ट्रायल करते पिंटू विश्वकर्मा, अरविंद विश्वकर्मा, विनय विश्वकर्मा व अन्य। बिहारशरीफ, का.प्र./ए.सं./रामाशंकर/प्रशांत विभिन्न तरह के झूले बनाने के लिए पूरे देश में मशहूर नालंदा जिले के एकंगरसराय के कन्हैयागंज के हुनरमंद कारीगर कमाल कर रहे हैं।

चाइना में बनने वाला ‘स्विंग झूला अब खुद बनाने लगे हैं। अच्छी बात यह कि दो ट्रायल सफल रहा है। अंतिम बाधा पार करते ही भारत के खरीदारों को पूरी तरह से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से संचालित होने वाले ‘स्विंग झूला के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अरविंद विश्वकर्मा और पिंटू विश्वकर्मा की देखरेख में आठ से दस कारीगरों की टीम पिछले दो माह से ‘स्विंग झूला तैयार करने में जुटे हैं। खुद के साथ 50 परिवारों को झूला कारोबार से जोड़कर उन्हें रोजगार भी दे रहे हैं। वे बताते हैं कि स्विंग स्टार झूले के हाईड्रोलिक और मूविंग ट्रायल कर लिया गया है। अब अंतिम चरण में कुर्सियां लगाकर और लोगों को उसपर बैठाकर ट्रायल करना शेष है। उनका कहना है कि मौसम ने साथ दिया तो दस से 12 दिनों में अंतिम ट्रायल भी पूरा हो जाएगा। उसके बाद यहां तैयार ‘स्विंग स्टार झूले बिकने के लिए तैयार हो जाएंगे। यूटूब देखकर बनाया झूला : हुनर के पक्के कन्हैयागंज के कारीगरों ने यूटूब देखकर ‘स्विंग झूला बनाया है। अरविंद विश्वकर्मा कहते हैं कि सोशल मीडिया पर पहली बार दक्षिण भारत के कर्नाटक में लगे मेले में ‘स्विंग झूला को देखा था। उसके बाद वहां के झूला संचालक से संपर्क किया। पता चला कि चाइना से मंगाया गया है। हालांकि, चाइन मंगाने में कीमत बहुत अधिक लग रही थी। इसलिए मन में खुद से ही ‘स्विंग झूला बनाने का विचार आया। इसके बाद युवा कारीगरों की एक टीम बनायी गयी। सारा काम खुद किया तथा सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर से मदद ली। चाइना के मुकाबले 60 फीसद सस्ता: कारोबारियों का कहना है कि चाइना से ‘स्विंग झूला मंगाने पर किराया, कस्टम ड्यूटी व अन्य खर्च को मिलाकर करीब डेढ़ करोड़ खर्च आता है। जबकि, कन्हैयागंज में बन रहा ‘स्विंग झूला खरीदारों को 60 लाख में मिल जाएंगा। यानी विदेश के मुकाबले यहां से खरीदने पर करीब 60 फीसद की बचत खरीदारों को होगी। खास यह भी इस झूले को कहीं भी ले जाने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। इसमें 30 लोगों की बैठने की क्षमता है। तीन बटन पर करता है काम : ‘स्विंग झूला पूरी तरह से ऑटोमेटिक है और सिर्फ तीन बटन पर काम करता है। सॉफ्टवेयर से तैयार झूला के पैनल में बंद, चालू और इमरजेंसी बटन लगाया गया है। पिंटू विश्वकर्मा बताते हैं कि ऑटोमेटिक झूले बनाने से पहले दिल्ली में इसकी बारीकियां भी सीखी हैं। सॉफ्टवेयर की पूरी जानकारी ली है। पहले भी बना चुके हैं ऑटोमेटिक झूले: कन्हैयागंज के कारीगर इससे पहले भी ऑटोमेटिक झूले बना चुके हैं। इसमें 20 सीटर ‘तरंगा तो 24 सीटर ‘सुनामी झूले शामिल हैं। कन्हैयागंज का झूला क्लस्टर मेकइन इंडिया में शामिल है। हालांकि, यहां के उद्यमियों का कहना है कि जानकारी के अभाव में झूला के खरीदार बहुत कम कन्हैयागंज पहुंच पाते हैं। इससे कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

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