शिक्षकों व कर्मियों का मार्च से मई तक वेतन-पेंशन की राशि जारी
बिहार सरकार ने विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के मार्च से मई 2025 तक के वेतन और पेंशन के लिए 1094.091 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसमें वेतन के लिए 460.85 करोड़ और पेंशन के लिए 633.241 करोड़...

दरभंगा। राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के मार्च से मई 2025 तक के वेतन और पेंशन के लिए 1094.091 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। इसमें वेतन के लिए 460.85 करोड़ और सेवान्त लाभ के लिए 633.241 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। यह राशि सीएफएमएस के माध्यम से विश्वविद्यालयों के पीएल खातों में भेजी जाएगी। इस राशि का भुगतान भी इसी माध्यम से होगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को वेतन के लिए 50.61 करोड़ और पेंशन के लिए 80.76 करोड़ रुपये मिले हैं। कुल 131.37 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसी तरह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को वेतन के लिए 19.83 करोड़ और पेंशन के लिए 59.43 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
कुल 79.26 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। संस्कृत विश्वविद्यालय के अधीन उपशास्त्री महाविद्यालयों की गणना 15 जून 2022 के विभागीय संकल्प संख्या 1501 के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान में की गई है। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में कहा है कि यह बजट अंतरिम स्वीकृति पर आधारित है। स्वीकृत राशि का उपयोग एक माह के भीतर करना होगा। उपयोगिता प्रमाणपत्र देना अनिवार्य है। एक माह में भुगतान नहीं होने पर मुख्यालय से पुन: स्वीकृति लेनी होगी। तीन माह में राशि खर्च नहीं होने पर उसे वापस करना होगा। वेतन भुगतान के समय पटना उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करना अनिवार्य होगा। न्यायालय की ओर से स्पष्ट आदेश वाले मामलों में विभागीय आदेश लेकर प्राथमिकता से भुगतान किया जाएगा। यदि स्वीकृत राशि में से कुछ बचती है तो उसका उपयोग बकाया वेतन और सेवान्त लाभ के भुगतान में किया जाएगा। इसके लिए पूर्व अंकेक्षण कराना होगा। वेतन सत्यापन कोषांग से अद्यतन वेतन पुर्जा जारी होने तक 25 प्रतिशत राशि की कटौती कर 75 प्रतिशत राशि का भुगतान होगा। सभी कर्मियों को एक माह के भीतर वेतन सत्यापन के लिए आवेदन देना होगा। समय पर आवेदन नहीं करने पर तीन माह बाद वेतन अवरुद्ध हो जाएगा। कोई भी भुगतान मनमाने तरीके से नहीं होगा। भुगतान एकमुश्त किया जाएगा। अंगीभूत महाविद्यालयों के कर्मियों को वेतन सत्यापन के बाद ही पेंशन मिलेगी। वेतन का सत्यापन नहीं किये जाने पर केवल औपबंधिक लाभ मिलेगा। घाटानुदानित महाविद्यालयों के सेवानिवृत्त कर्मियों को नियमित सेवान्त लाभ का भुगतान उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार होगा। शर्तों का पालन नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों का वेतन रोका जाएगा। अधिक भुगतान की राशि वसूली जाएगी। प्रशासनिक और आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है। कुलपति केवल स्वीकृत पद पर अनुकम्पा नियुक्ति कर सकते हैं। स्वीकृत बल या कार्यरत बल में जो कम हो, उसी के आधार पर राशि की गणना होगी। अनियमित रूप से कार्यरत कर्मियों की सेवा समाप्त की जाएगी। उनके वेतन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की नहीं होगी। वेतन और पेंशन मद में स्वीकृत राशि में आवश्यक परिवर्तन और निर्देश विभाग द्वारा दिए जा सकेंगे। पहले सेवानिवृत्त कर्मियों का भुगतान प्राथमिकता के आधार पर होगा। वेतन भुगतान केवल पे रोल मैनेजमेंट पोर्टल से जनरेटेड वेतन पुर्जा के आधार पर किया जाएगा। जिनका डेटा पोर्टल पर नहीं है, उन्हें भुगतान नहीं होगा।
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