पेट खोले बिना स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बच्चेदानी निकाली
दरभंगा में आयोजित दो दिवसीय सल्विर जुबिली कॉन्फ्रेंस में प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञों ने आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी दी। कार्यक्रम में लाइव सर्जरी का प्रदर्शन किया गया, जिसमें बिना चीर-फाड़...

दरभंगा। दरभंगा ऑब्स्ट्रेटक्सि एंड गायनेकोलॉजीकल सोसाइटी की ओर से आयोजित दो दिवसीय सल्विर जुबिली कॉन्फ्रेंस के पहले दिन शनिवार को बाहर से आईं प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञों ने आधुनिक इलाज के संबंध में नवीनतम जानकारियां दीं। दरभंगा मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में साइंटिफिक सेशन के दौरान उन्हें सुनने और उनसे सीखने के लिए बड़ी संख्या में उभरती हुई चिकत्सिक और पीजी छात्र पहुंचे। विशेषज्ञ चिकत्सिकों ने कई ऐसी जानकारियां दीं जिसका लाभ मरीजों को भी मिलेगा। पटना से आईं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पूनम दीक्षित ने कहा कि बच्चे दानी को निकालने में चीर फाड़ की कोई जरूरत नहीं होती है। सर्जन पेट खोलकर उसे निकाल देते हैं, परंतु स्त्री रोग विशेषज्ञों बिना किसी चीर- काट के एक हद तक बड़े साइज के बच्चेदानी को भी योनि मार्ग से निकालकर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। साइंटिफ सेशन में वस्तिार से विधि की जानकारी देने के बाद उन्होंने गायनी ओटी में लाइव सर्जरी से एक बड़े साइज के युटेरस को चीर काट किए बिना बाहर निकालकर सभी को चौंका दिया। चिकत्सिकों के बीच उनका डिमॉन्सट्रेशन चर्चा का विषय रहा।
इससे पूर्व वैज्ञानिक सत्र की शुरुआत त्रिचनापल्ली से आईं डॉ. चर्मिला अयावु ने प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव के कारणों पर चर्चा की। उन्होंने प्रसूता की जान बचाने के लिए बड़ी मात्रा में रक्त चढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मैसिव ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रोटोकॉल से दरभंगा के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को अवगत कराया। इन छात्रों की अध्यक्षता डॉक्टर कुमुदिनी झा, डॉक्टर नूतन राय डॉक्टर नूतन बाला सिंह एवं डॉक्टर पुष्पा झा ने किया।
डॉ. केडी अरोड़ा ओरेशन के दौरान मुंबई की विशेषज्ञ डॉ. सुनीता तेंदुलवाकर ने बच्चेदानी की रसौली के लिए लेप्रोस्कोपी से लेकर रोबोटिक सर्जरी तक का प्रदर्शन किया। दूसरा ऑपरेशन यूके से डॉ. अनुमेहा का था जन्हिोंने प्रसव के दौरान गर्भस्थ शिशु की जिंदगी पर आने वाले खतरे को सीटीजी की मशीन का इस्तेमाल समय पर कर मां और बच्चा दोनों की जान बचाने के गुरु सिखाएं।
डॉ. अनीता सिंह ने गर्भ में क्रोमोजोम गड़बड़ी के कारण विकृत गर्भ जिसे ट्रोफोब्लास्टिक डिजीज कहा जाता है पर चर्चा की और इसके खतरों से सबको आगाह किया। हरियाणा से आईं डॉ. मत्रि सक्सेना ने गंभीर रक्तस्राव के दौरान प्रसूता की जान बचाने में इस्तेमाल की जाने वाली रक्त वाहिनियों को बांधने की विभन्नि पद्धतियों पर वस्तिृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक ही विधि सभी जगह कारगर नहीं हो सकती है, परंतु यह एक प्राण रक्षक सर्जरी है जिसे सभी प्रसूति विशेषज्ञों को को जरूर सीखना चाहिए। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अंजू तुरियार, डॉ. माया शंकर ठाकुर एवं डॉ अल्का मश्रिा ने किया।
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