उसरी में सप्ताह महायज्ञ का हुआ समापन
विश्व में शांति का माहौल तैयार करना है तो श्रीकृष्ण सुदामा जैसी मित्रता को महत्व देना होगा, प्रखण्ड के उसरी ग्राम में आयोजित श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हो गया।

विश्व में शांति का माहौल तैयार करना है तो श्रीकृष्ण सुदामा जैसी मित्रता को महत्व देना होगा उन्होंने कहा कि श्रीमदभागवत महापुराण की कथा मानव कल्याण की कथा है मेहन्दीया, एक संवाददाता प्रखण्ड के उसरी ग्राम में आयोजित श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हो गया। कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ पर विराजमान स्वामी रामप्रपन्नाचार्य ने कहा कि विश्व में शांति का माहौल तैयार करना है तो श्रीकृष्ण सुदामा जैसी मित्रता को महत्व देना होगा। मानव और देव की मित्रता को आज भी श्रद्धा से याद किया जाता है। मित्रता निभाने में कृष्ण सुदामा समान दूसरा प्रसंग नहीं है। मित्रता में धन, पद, मद, मोह, अहंकार का कोई स्थान नहीं है।
इससे इतर जो सखा धर्म है, वही सच्ची मित्रता है। इसी दौरान उन्होंने कहा कि श्रीमदभागवत महापुराण की कथा मानव कल्याण की कथा है। इसमें जीवों के उद्धार, जनकल्याण का सार छिपा है। जो कोई भी श्रद्धालु इस कथा प्रसंग का श्रवण, मनन व अनुसरण करता है, उसका जीवन रूपी नैया का बेड़ा पार हो जाता है। कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है।
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