झाझा : स्वच्छ भारत मिशन में भी नहीं रह पा रही झाझा स्टेशन पर साफ-सफाई
झाझा रेलवे स्टेशन पर स्वच्छता की स्थिति संतोषजनक नहीं है, जबकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत रेलवे ने कई जागरूकता अभियान चलाए हैं। यात्रियों का कहना है कि ट्रैक और प्लेटफार्मों पर गंदगी और कचरे की भरमार...

झाझा । निज संवाददाता देश में स्वच्छ भारत अभियान मिशन मोड में चल रहा है। इसके मद्देनजर रेलवे के छोरों से भी स्वच्छ रेल के स्लोगन तथा स्वच्छता के दंभ व दावे अक्सर देखने-सुनने को मिलते रहे हैं। किंतु,झाझा रेलवे स्टेशन व रेल परिसरों की स्थिति उक्त दंभ-दावों के इतर दिखती है। रोचक यह भी कि रेल प्रशासन द्वारा इन दिनों स्वच्छता एवं सिंगल यूज प्लास्टिक को ले जन-जागरण पखवाड़ा भी चला रहा है। आगामी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मद्देनजर रेलवे के पर्यावरण एवं गृह गृह व्यवस्था प्रबंधन (ई एंड एचएम) विभाग के लोग मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक (सीएचआई) गिरीश कु.सिंह की अगुवाई में इन दिनों झाझा परिसर व प्लेटफॉर्मों पर बड़े-बड़े पोस्टर,बैनर लहराते हुए स्वच्छता की अलख जगाते नजर आ रहे हैं।
पर,वहीं दूसरी ओर ट्रैकों व उसके समीप की कचरे व गंदगी की सूरत उक्त अभियान को मानों मुंह चिढ़ाती प्रतीत होती है। ‘स्वच्छ भारत मिशन में भी झाझा स्टेशन पर साफ-सफाई व स्वच्छता की सूरत देखने को नहीं मिल रह पा रही है,यह कहना था झाझा स्टेशन पर मिले अरविंद कुमार,दयाशंकर प्रसाद,शमीन अंसारी आदि कई मुसाफिरों का। कई अन्य महिला-पुरूष यात्रियों का कहना था कि ओवरब्रिज से ले प्लेटफॉर्मों तक पर साफ-सफाई की सूरत संतोषजनक नहीं होने के अलावा प्लेटफॉर्मों के समीप की ट्रैकों एवं पास की पानी निकासी वाली छोटी नालियों में भी गंदगी व कचरे की भरमार अक्सर देखने को मिलती है। इससे प्लेटफॉर्म पर टे्रन के इंतजार की घड़ियां काट पाना परेशानी भरा होता है। मौके पर मौजूद होम्योपैथ चिकित्सक डॉ.शमीम अहमद का कहना था कि यह सूरत प्रदूषण का जरिया होने के अलावा स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। जानकारीनुसार स्वच्छता को ले अक्सर कई मुसाफिर ट्वीट भी करते रहे हैं। यह दीगर बात है उनकी शिकायतों को फिर स्थानीय सीएचआई प्राथमिकता के साथ निपटाते हैं। सीएचआई जी.के.सिंह ने बताया कि साफ-सफाई में कमी को ले कई बार आउटसोर्स एजेंसी पर पेनाल्टी भी लगाई जाती है। इधर,ईसीआरकेयू के शाखा सचिव राजेश सिंहा ने भी साफ-सफाई व्यवस्था को असंतोषजनक बताया है। मुसाफिरों का पूर्व मध्य रेलवे एवं पूर्व रेलवे के ‘संगम वाला स्टेशन होने के नाते बफर स्टेशन के बतौर अपनी हैसियत रखने वाले झाझा रेलवे स्टेशन पर साफ-सफाई की वह सूरत नजर नहीं आती जो मानक के अनुसार होनी चाहिए,ऐसी शिकायत कई स्थानीय संगठनों एवं मुसाफिरों की ओर से अक्सर सामने आती मिली है। दो ही शिफ्टों में होती सफाई,सफाई कर्मियों की कमी से रहती है साफ-सफाई में कमी: जानकारीनुसार स्टेशन परिसर व प्लेटफॉर्मों पर साफ-सफाई की सूरत कथित तौर पर संतोषजनक नहीं होने के पीछे सफाई कर्मियों की काफी कमी की वजह बताई जाती है। जानकारीनुसार,रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई का काम तीन शिफ्टों में होना चाहिए। बताया जाता है वर्त्तमान में यह सुबह के 6 बजे से रात 10 बजे तक के बीच के दो शिफ्टों में ही हो रही है। नाम गोपनीयता की शर्त्त पर खुद ईएचएम के चंद स्थानीय कर्मियों के अनुसार आउटसोर्स एजेंसी उक्त दो शिफ्टों में भी पहली शिफ्ट में जहां आठ कर्मी व एक सुपरवाइजर होते हैं तो दूसरी शिफ्ट में मात्र तीन कर्मी ही सुलभ होते हैं। वैसे रेलवे कॉलोनी की सफाई व्यवस्था हेतु आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत मैनपॉवर अलग से सेवारत बताया जाता है। कर्मियों की मानें तो प्रत्येक शिफ्ट में न्यूनतम दस कर्मी व एक सुपरवाइजर कुल 11 लोगों का मैनपॉवर आवश्यक होता है। बताया जाता है कि किसी आलाधिकारी के दौरे की सूरत में उसी मैनपॉवर से दो-तीन लोगों को दूसरी शिफ्ट के लिए भी राजी कर अधिकारियों के समक्ष चकाचक सूरत का नजारा पेश कर दिया जाता है। ‘हिन्दुस्तान द्वारा विगत में डीआरएम के संज्ञान में लाने पर ए की बजाय दो शिफ्ट की व्यवस्था हुई थी: बता दें कि बीती 2 दिसंबर,23 को दानापुर डीआरएम जयंत कु.चौधरी के झाझा दौरे के दौरान ‘हिन्दुस्तान ने यहां सफाईकर्मियों की कर्मी से सफाई व्यवस्था संतोषजनक नहीं होने संबंधी मुसाफिरों की शिकायत उनके ध्यान-संज्ञान में लाई थी जिस पर उन्होंने सीएचआई से वस्तुस्थिति की जानकारी लाते हुए शीघ्र ही इस शिकायत के दूर हो जाने की बात कही थी। दिसंबर,23 में ही दानापुर के पीआरओ ने भी इस क्रम में सवाल पर नया टेंडर होने एवं नए टेंडर के बाद सफाई कर्मियों एवं उनकी शिफ्टों की फ्रिक्वैंसी बढ़ जाने की बात बताई थी। इसके कुछ समय बाद तब एक ही शिफ्ट में चल रही सफाई व्यवस्था दो शिफ्ट तक बढ़ गई थी। पीडब्लूआई के लोगो को भी सीएचआई से कहना पड़ा सफाई कराने: डे्रन में प्लास्टिक समेत अन्य कचरे की भरमार के कारण रविवार को तो रेल के ही एक अन्य विभाग,पथ वे (पीडब्लूआई) के लोगों को भी अपने कर्त्तव्य निर्वहन में दिक्कत आती दिखी। विभागीय सूत्रों के अनुसार पथ वे के लोग ट्रैकों के समीप के ड्रेनेज में गिरी गिट्टियां (ब्लास्ट) पहुंचे तो डे्रन में कचरा भी भरा मिला जिस पर पीडब्लूआई के लोगों ने सीएचआई से संपर्क कर उनसे उक्त कचरे को साफ कराने को कहा। कोरोना-काल के बाद से कायम है परेशानी: बताया जाता है चंद सालों पूर्व तक झाझा स्टेशन परिसरों की सफाई व्यवस्था हेतु जरूरतसे भी कहीं अधिक मैनपॉवर हुआ करता था। किंतु,फिर कोरोना काल में कर्मियों की जो कमी की गई वह तब से लेक र फिर अब तक भी कायम है।
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