विश्व दुग्ध दिवस पर परिचर्चा का आयोजन
विश्व दुग्ध दिवस पर परिचर्चा का आयोजन विश्व दुग्ध दिवस पर परिचर्चा का आयोजन विश्व दुग्ध दिवस पर परिचर्चा का आयोजन विश्व दुग्ध दिवस पर परिचर्चा का आयोजन

जमुई, नगर प्रतिनिधि विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर श्वेत क्रांति और वर्गीज कुरियन विषय पर नगर परिषद स्थित आनंद विहार कॉलोनी सिरचंद नवादा में एक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता केकेएम कॉलेज स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने की। अपने अध्यक्षीय प्रबोधन में डॉ. पासवान ने कहा कि भारत ने 1998 में अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। तब से लगातार दूध उत्पादन के मामले में विश्व का सिरमौर्य बना हुआ है। वर्ष 2023-24 में भारत में दुग्ध उत्पादन करीब 249 मिलियन टन हुआ था। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश के रूप में जाना जाता है।
आज जो गांव गांव में समृद्धि आई है, उसकी चाबी दूध ही है। दूध क्रांति ने अंधेरे गांवों को को उजाला कर दिया है। दूध की शक्ति आत्मनिर्भरता की कुंजी है। डॉ निरंजन कुमार दुबे ने कहा कि डॉ. वर्गीज कुरियन के प्रयासों से ही विश्व में श्वेत क्रांति आई है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2001 में की गई थी आज दुग्ध दिवस की 25वीं वर्षगांठ है। डॉ कुरियन श्वेत क्रांति के जनक, प्रणेता तथा ऑपरेशन फ्लड के सूत्रधार थे। श्वेत क्रांति का महायज्ञ तभी संभव और सफल हुआ था, जब दूरदर्शी और युगदृष्टा डॉ वर्गीज कुरियन ने भारत की दुग्ध क्रांति की बागडोर अपने हाथ में ली थी। भारत दूध क्रांति में संसार का सिरमौर्य है। श्वेत क्रांति भारत की अर्थव्यवस्था की वह सुबह थी, जिसे ग्रामीण भारत को दुग्ध धारा से सींचकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया। श्वेत क्रांति पौष्टिक आहार, किसानो की आशा, अर्थव्यवस्था की चाल और पोषण की ढ़ाल बन चुका है। श्वेत क्रांति ने यह सिद्ध कर दिया है कि विकास की असली धारा खेत खलिहान से होकर ही बहती है, जिसका रंग श्वेत है। आज हमारे देश में वास्तव में दूध की नदियां बह रही है। मतलब अप्रत्याशी रूप से दूध का उत्पादन हो रहा है,जो विश्व में सबसे अधिक है। अर्थशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रो.सरदार राय ने कहा कि दुग्ध उत्पादन के मामले में विश्व में आज भी भारत का स्थान प्रथम है। डॉ वर्गीज कुरियन ने सहकारिता मॉडल अमूल के माध्यम से दूध उत्पादन, संग्रहण और वितरण की जो प्रणाली विकसित की थी, वह अभिनव मॉडल था। दुग्ध मात्र एक पोषण पदार्थ ही नहीं, बल्कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मेरुदंड भी है। दुग्ध उत्पादन में भारत को ब्रह्मांड में प्रथम स्थान दिलाने में वर्गीज कुरियन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्वेत क्त्रांति का अगला चरण तभी सार्थक होगा, जब यह आदिवासी दलित और पूर्वोत्तर भारत के हाशिए पर खड़े किसानों तक प्रभावी रूप से पहुंचेगा। अधिवक्ता मुरारी झा ने कहा कि श्वेत क्रांति केवल दुग्ध उत्पादन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की नींव है। श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन' ने आर्थिक रूप से ही नहीं अपितु सामाजिक रूप से भी भारत को सशक्त बनाया है। हम इस क्रांति के प्रणेता को प्रशंसा और नमन करते हैं, जिन्होंने इस दुनिया में दुग्ध की नदियां प्रवाहित करने का कार्य किया है। डीके गोयल और आनंद कुमार सिंह ने कहा कि श्वेत क्रांति ने सिर्फ दूध ही नहीं बनाया, बल्कि हक हुकूक और हिस्सेदारी की भावना को भी जन्म दिया है। आज हाशिए पर खड़े वर्गों तक पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ दुग्ध पहुंचने की जरूरत है। डॉ कुरियन को मिल्क मैन ऑफ इंडिया कहा जाता है। आज देश में प्रति व्यक्ति दुग्ध उत्पादकता 459 ग्राम प्रतिदिन है। देश में दूध मिलावट पर अंकुश लगाने की जरूरत है। जैसा कि यूएनओ ने भी भारत को पूर्व में चेता चुका है कि 2025 तक दूध में मिलावट पर रोक नहीं लगाया गया तो 80 प्रतिशत लोग कैंसर की चपेट में आ सकते हैं। मौके पर कई प्रबुद्ध लोग उपस्थित थे जिन्होंने देश में दुग्ध क्रांति के लिए डा. वर्गीज कुरियन की भूमिका को सराहा और उन्हें नमन किया।
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