अलौली : एएनएम के भरोसे चल रहा है बहादुरपुर एपीएचसी
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1. लीड : बोले:
अलौली : एएनएम के भरोसे चल रहा है बहादुरपुर एपीएचसी
एमबीबीएस डॉक्टर के पदस्थापन नहीं होने से नहीं होने से मरीजों को नहीं मिल रही है समुचित सुविधाएं
खपरैल के भवन का नही हुआ जीर्णोद्धार
स्थानीय ग्रामीणों में है रोष व्याप्त
मातृत्व सुरक्षित अभियान शिविर में रहते सभी मौजूद
अलौली। एक प्रतिनिधि
अतिरिक्त पीएचसी बहादुरपुर वर्त्तमान समय में यहअस्पताल एएनएम के भरोसे चल रहा है। जबकि यहां दो चिकित्सक पदस्थापित हैं। बताया जाता है कि एमबीबीएस चिकित्सक डॉ अर्चना कुमारी एवं आयुष चिकित्सक सरवती गुलनाज पदस्थापित है। वे सिर्फ पीएम मातृत्व सुरक्षित अभियान शिविर के दिन सभी स्वास्थ्यकर्मी के साथ मौजूद रहती है। शेष दिन एएनएम के भरोसे ही अस्पताल चलने की बात कही जाती है। एएनएम रिंकी रश्मिी एवं सीमा फुमारी पदस्थापित हैं। विशेष व्यवस्था के लिए बहादुरपुर स्वास्थ्य उपकेन्द्र की एएनएम गीता सिंह को चार दिनों के लिए प्रतिनियोजित करने की बात कही जा रही है। पूर्व पंचायत समिति सदस्य विजय सिंह, राधेश्याम यादव, कमल किशोर आदि ने बताया कि प्रतिदिन एक एएनएम आकर दवा वितरण करती है। जबकि दो डॉक्टर रहते हुए भी मरीजों को डॉक्टर का लाभ मिलता है। पिछले दो साल से अस्पताल का खपरैल भवन काफी जर्जर हालत में है। बारिश के समय ओपीडी कक्ष की खिड़की भी टूट कर गिर गई। संयोग था कि किसी सामग्री की क्षति नहीं हुई। सब दिन भवन के आगे बरामदा पर अनाज का बोरा एवं चारा रखा रहता है। अस्पताल के आसपास सब दिन गंदगी रहती है। पास के ग्रामीण ही उसकी सफाई करते हैं। यहां प्रसव कराने की सुविधा दी गई थी। वह भी सालों से बंद कर दिया गया है। जबकि यह स्वास्थ्य केन्द्र बेगूसराय जिला के सीमावत्र्ती क्षेत्र में है। यहां चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने के कारण इसके आसपास के मरीज को बेगूसराय जिला के बखरी या सकरपुरा अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग इस दिशा में उदासीन बने हैं।
अस्पताल में उपस्थिति पुस्तिका है अलग-अलग :
एक सेंटर के सभी कर्मचारी की उपस्थिति एक पंजी मे बनने की बात कही जाती है। बहादुरपुर अस्पताल मे चिकित्सा अलग उपस्थिति पंजी अपने पास मे रखते हैं। जबकि एएनएम समेत अन्य स्टाफ की अलग उपस्थिति पंजी के बारेमे कहा जाता है। पूर्व मे कई पदाधिकारियों को अस्पताल मे उपस्थिति पंजी खोजने पर भी नहीं मिल पाया।
अस्पताल की दशा में नहीं हो रहा सुधार :
अस्पताल की जर्जर भवन की दशा व दिशा में अब तक कोई सुधार नहीं हो पाया है। प्रबंधक स्तर से व्यवस्था सुधार के लिए पहल होनी चाहिए, जो नहीं हो पायी है। भवन की जर्जरता देखने से प्रतीत होता है कि यहां रोगी कल्याण समिति के अनटाइड फंड का उपयोग विगत कई वर्षो से नहीं हो पाया है।
प्रभार के हस्तांतरण पर प्रश्नचिन्ह : पंचायत समिति के पूर्व सदस्य ने बताया कि इस हेल्थ सेंटर मे कर्मी आते और जाते तो हैं, परन्तु प्रभार का हस्तांतरण नहीं होता है। वरीय पदाधिकारी गंभीरता से जांच करे तभी स्पष्ट हो पाएगा।
भवन के लिए मानक अनुरूप जमीन नहीं है उपलब्ध : नए भवन के निर्माण को लेकर सरकारी निर्देश बराबर मिलने के बाद भी मानक अनुरूप जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ग्रामीण स्तर से सीओ और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवेदन के माध्यम से जमीन चिन्हित कर दी गई है। इस आलोक में अब तक सीओ कार्यालय से जमीन चिन्हित कर एनओसी नहीं दिया गया है। जिस कारण नए स्तर से भवन निर्माण कार्य की प्रक्रिया अधर में लटकी है। पुराने भवन जिसमें अस्पताल चल रहा है। वहां भवन के नक्शे अनुरूप जमीन उपलब्ध नहीं है।
परिसर में शौचालय व पेयजल की सुविधा नहीं :
अस्पताल का प्रबंध ऐसा है कि यहां सभी डॉक्टर एवं स्टॉफ सभी महिला ही है। फिर भी इस परिसर में शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था नहीं है। जिससे महिला स्टॉफ को परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रबंधक की इस समस्या की ओर नजर नहीं जा रही है।
पंचायत समिति स्तर से बनी है स्वास्थ्य समिति : प्रखंड प्रमुख नवीन कुमार ने बताया कि पंचायत समिति स्तर पर सात तरह की स्थायी समितियां बनी है। जिसमें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, स्वच्छत एक ही समिति के जिम्मेे हं। जो अपना कर्त्तव्य पालन नहीं करते। सभी विभाग की जानकारी सही समय से उपलब्ध हो नहंी हो पाती है।
बहादुरपुर स्वास्थ्य उपकेन्द्र का संचालन संतोष जनक : दूसरी ओर बहादुरपुर गांव का ही स्वास्थ्य उपकेन्द्र भवन रही डगर टोला मे तीन कमरे का पक्का भवन है। जिसका हस्तांतरण संवेदक से तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रामनारायण चौधरी द्वारा किया गया था। फिर भी उपकेन्द्र बहादुरपुर पोखर के पास बने सामुदायिक भवन में चल रहा है। जहां सीएचओ प्रियंका कुमारी प्रतिदिन अपना कर्त्तव्य निभाती है। यहां एएनएम आशा कुमारी गीता सिंह नियमित टीकाकरण भी बेहतर तरीके से संभालती है। गीता सिंह को एपीएचसी मे सप्ताह के चार दिनों के लिए प्रतिनियोजित किए जाने की बात ग्रामीणों द्वारा कही गई।
नहंी हो रहा अस्पताल की उचित मॉनिटरिंग:
स्वास्थ्य विभाग के प्रवंधक एवं प्रभारी को सप्ताह में एक बार अवश्य ही पर्यवेक्षण करना चाहिए। एपीएचसी मे कार्यरत रोगी कल्याण समिति को एक्टिव करना होगा। पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद के अधीन स्वास्थ्य समिति को भी अपनी जिम्मेदारी निभाना होगा।
बोले लोग :
1. बहादुरपुर अस्पताल की हालत काफी जर्जर है। इस पर पदाधिकारी को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
रविन्द्र सिंह कनक, सामाजिक कार्यकर्ता।
2. स्थानीय लोगों से जानकारी मिल रही है कि अस्पताल मे जो सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है। प्रबंधक को चाहिए कि बेहतर प्रबंध का प्रयास करे।
इसरारुल हक, उपप्रमुख अलौली।
3. हमारे पंचयत के अस्पताल मे दो चिकित्सक वह भी महिला ही है। महिलाओं को इसका लाभ मिले। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
लोहा सिंह, मुखिया बहादुरपुर।
4. अस्पताल से यहां के मरीज को कोई खास सुबिधा नहीं मिल रही है। जिस कारण दूसरे जिला के अस्पताल मे प्रसव मरीज भी जा रहे हैं। प्रसव की व्यवस्था बहुत जरूरी है।
कमल यादव, सामाजिक कार्यकत्र्ता।
5. सरकारी स्तर से स्वास्थ्य विभाग को सारी सुविधा उपलब्ध होते हुए भी मरीज को दूसरे यहां के अस्पताल जाना पड़ता है। भवन की जर्जरता है व्यवस्थापक का प्रबंध बयां कर रहा है।
अमरेंद्र कुमार सिंह, सामाजिक कार्यकत्र्ता।
6. स्वास्थ्य उपकेन्द्र जैसी व्यवस्था भी एपीएचसी बहादुरपुर की नहीं है। दोनो डॉक्टर माह मे एक दिन ही नजर आते हैं। स्वास्थ्य प्रबंधक को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
शंकर कुमार, ग्रामीण।
बोले अधिकारी:
बहादुरपुर अस्पताल के लिए दो स्थानों मे से एक स्थान को चिन्हित करना है। इसके लिए राजस्व कर्मचारी को जांच प्रतिवेदन मांगा गया है।
हिमांशु कुमार, सीओ, अलौली।
बोले अधिकारी :
अस्पताल व्यवस्था सुधार के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। जर्जर भवन से परेशानी हो रही है। अंचल से अब तक जमीन चिन्हित कर नहीं दी गई है, ताकि आगे की प्रक्रिया की जा सके।
डॉ मनीष कुमा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अलौली।
बोले पदाधिकारी - :
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कैप्शन: अलौली: बहादुरपुर एचसी में ग्रामीणों द्वारा रखा गया अनाज का बोरा।
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