पाक के कायराना हमला के माकूल जवाब देने की सराहना
पाक के कायराना हमला के माकूल जवाब देने की सराहना

सूर्यगढ़ा, निज प्रतिनिधि। ऑपरेशन सिंदूर के तहत एयर स्ट्राइक से आतंकियों के कई ठिकाने के ध्वस्त करने और पाकिस्तान के द्वारा गत 7-8 मई की रात में मिसाइल से हमले के माकूल जवाब देने की सराहना विभिन्न वर्ग के लोगों के द्वारा किया जा रहा है। भारतीय सेना ने अपने पराक्रम और शौर्य का परिचय फिर दिया है और दुश्मन के मिसाइल को ध्वस्त कर के लाहौर, रावलपिंडी, करांची आदि शहरों पर ड्रोन से हमला कर तहस नहस कर दिया। पंद्रह शहरों के हमले को जिस तरह सेना ने नाकामयाब किया और उल्टे उसके आक्रमण का बेहतर जवाब दिया है। गत बुधवार से ही लोग टीवी पर आंखें गड़ाए हुए बैठे हैं और भारतीय सेना की बहादुरी की चर्चा मित्रों, सगे संबंधियों और अन्य से कर रहे हैं।
चय पान की दुकानों से लेकर विभिन्न कार्यालयों, स्कूलों और अन्य जगहों पर पाकिस्तान के हमले की निंदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को खुद ही आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। इससे विश्व में पाकिस्तान ही दोषी जाना जा रहा है और प्रायः हर देश उससे अलग थलग है। लोगों का कहना है कि अब तो युद्ध शुरू हो गया और दुश्मन को ऐसा सबक मिलना चाहिए कि फिर वह कभी हिम्मत नहीं जुटा सके। यहां के बुद्धिजीवियों में चैंबर के पूर्व अध्यक्ष रविशंकर प्रसाद सिंह अशोक, अध्यक्ष आलोक कुमार, सचिव प्रेम महाजन,ओमप्रकाश साह अधिवक्ता, अनिल कुमार वर्मा एक संगठन के करण भाई मुन्ना, कृष्ण कुमार केडिया पप्पु, जयशंकर अग्रवाल, प्रवीण राठौर, शंभु वर्मा आदि ने फिर भारतीय सेना के जवाबी हमले की प्रशंसा की है। हमारी सेना जान माल की क्षति नहीं पहुंचाती है और रिहायशी इलाकों पर हमला नहीं करती है । हम कभी भी युद्ध नहीं चाहते,मगर जब युद्ध थोपा जाता है तो दुश्मन के छक्के छुड़ा देते हैं। बुजूर्ग लोग कारगिल, 1965, 1971 के भारत पाक युद्ध की वीरता का वर्णन करते हैं, जिसमें देश विजयी हुआ था। इस बार भी पाक को मुंह की खानी पड़ेगी और वह आर्थिक रूप से जर्जर हो जाएगा। लोग बात करते करते उत्तेजना में भी आ जाते हैं और पाक को मजा चखा देने की बात करते हैं। युद्ध आरंभ होने से एक चुप्पी भी आने लगी है।
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