Literary Gathering on Kabir s Relevance Held in Madhubani निर्गुण भक्ति के महान उपासक थे संत कबीर: पंकज सत्यम, Madhubani Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsMadhubani NewsLiterary Gathering on Kabir s Relevance Held in Madhubani

निर्गुण भक्ति के महान उपासक थे संत कबीर: पंकज सत्यम

मधुबनी में राष्ट्रीय कवि संगम और हिन्दी साहित्य समिति द्वारा कबीर को समर्पित एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कबीर की प्रासंगिकता पर विचार विमर्श हुआ। प्रो. लाल बाबू साह की अध्यक्षता में...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीThu, 12 June 2025 09:24 PM
share Share
Follow Us on
निर्गुण भक्ति के महान उपासक थे संत कबीर: पंकज सत्यम

मधुबनी, नगर संवाददाता। राष्ट्रीय कवि संगम, एवं हिन्दी साहित्य समिति, मधुबनी के तत्त्वावधान में प्रोफेसर्स कालोनी सुन्दर नगर के सभागार में दो सत्रों में कबीर को समर्पित साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन हुआ। प्रथम सत्र में 'वर्तमान में कबीर की प्रासंगिकता विषय' पर संगोष्ठी एवं द्वितीय सत्र में कविगोष्ठी महत्वपूर्ण रही। अध्यक्षता प्रो. लाल बाबू साह एवं संचालन कवयित्री अनुपम झा के द्वारा किया। कार्यक्रम दो सत्रों में हुआ। आरंभ में राष्ट्रीय कवि संगम, मधुबनी के अध्यक्ष, कवि, अवकाशप्राप्त प्राचार्य प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल ने आगत कवि-कवयित्री एवं प्रबुद्ध जनों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। विचार गोष्ठी का विषय प्रवेश हिन्दी साहित्य समिति के संयोजक यायावर कवि पंकज सत्यम ने कराया।

उन्होंने वर्तमान में कबीर दास की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि कबीर 'निर्गुण भक्ति के महान उपासक थे जो सभी धर्मों के लोगों के लिए प्रासंगिक हैं। बैंक पूर्व अधिकारी वेदानंद साह ने कहा कि उनका अनुभव बहुत विस्तृत था और रूढ़िवादी तथा दीर्घ समाज के लिए उन्होंने सकारात्मक चेतना को जागृत किया। राजेश पांडेय ने कहा कि कबीर दास और तुलसीदास समकालीन थे जिन्होंने प्रेम को सबसे ऊपर रखा। प्रभाष कुमार मिश्रा ने कहा कि कबीर दास आध्यात्म और समाज सुधार के लिए समन्वित रूप प्रयास किया। डॉ. विनय विश्व बंधु ने कहा कि कबीर दास ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए सार्थक प्रयास किया। सुभाष चंद्र झा 'सिनेही' ने कहा कि ' कबीर दास' के पास विशाल अनुभव का भंडार था। विजय कुमार रावत ने कहा कि कबीर ने समाज में पहले कुरीतियों को ठीक करने पर बल दिया। डॉ. शुभ कुमार वर्णवाल ने कहा कि कबीर महान् संत, कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने कहा कि कबीर ने सभी मनुष्यों को एक परिवार के सदस्य के रूप में देखने का आह्वान किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. लाल बाबू साह ने कहा कि 'कबीर' राम में निराकार ब्रह्म को देखते थे। गोष्ठी के दूसरे सत्र में कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। धन्यवाद ज्ञापन ज्योति कुमारी ने किया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।