कॉलोनियों में बढ़ गई चोरी की घटनाएं सीसीटीवी लगाने, गश्त बढ़ाने की मांग
मधुबनी में चोरी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता के चलते चोर दिनदहाड़े बाइक और घरों में सेंधमारी कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का...
मधुबनी । मधुबनी मुख्यालय और इससे सटे आसपास की कॉलोनियों में इन दिनों चोरी की घटनाएं जिस रफ्तार से बढ़ रही हैं, वह आम जनजीवन के लिए चिंता का विषय बन गया है। चाहे वह बाइक चोरी हो या घरों में सेंधमारी, अपराधियों का मनोबल इस कदर बढ़ चुका है कि वे दिनदहाड़े भी खुलेआम वारदातों को अंजाम देने से नहीं चूक रहे हैं। यह स्थिति न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ी करती है, बल्कि आम लोगों के मन में असुरक्षा की भावना को भी जन्म दे रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता और लचर निगरानी प्रणाली के चलते चोरों के हौसले सातवें आसमान पर हैं।
अपराधी अब इस हद तक निडर हो चुके हैं कि वे न सिर्फ भीड़भाड़ वाले इलाकों से बाइक चोरी कर रहे हैं, बल्कि मकानों में घुसकर आराम से कीमती सामान भी चुरा ले जा रहे हैं। इसके बाद वे बेधड़क घटनास्थल से भाग निकलते हैं और पुलिस सिर्फ जांच और पूछताछ की औपचारिकता में ही उलझी रह जाती है। आजतक किसी भी मामले का खुलासा करने में पुलिस को सफलता मिल पायी है। आदर्श नगर कॉलोनी में वर्ष 2025 के भीतर दर्जनों से अधिक घरों में चोरी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक स्थानों पर चैन स्नेचिंग की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। इन घटनाओं की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब लोग चोरी की शिकायत दर्ज कराने से भी हिचकिचाने लगे हैं। पुलिस से उनका विश्वास लगातार कमजोर होता जा रहा है, क्योंकि न तो अपराधियों की गिरफ्तारी हो रही है और न ही चोरी के मामलों का खुलासा। सवाल यह है कि आखिर कब तक आमजन भय और असुरक्षा के साए में जीते रहेंगे? क्या पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी केवल घटनास्थल का निरीक्षण और रिपोर्ट दर्ज करने तक ही सीमित रह गई है? पुलिस प्रशासन अपनी रणनीति में आमूलचूल परिवर्तन करे। रात्रि गश्त को प्रभावी बनाए, संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी निगरानी बढ़ाई जाए और अपराधियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। शहर की कॉलोनियों में रात्रि गश्ती नहीं : मधुबनी नगर निगम क्षेत्र के आसपास स्थित कॉलोनियों में बीते कुछ महीनों से चोरी की घटनाओं में जिस प्रकार वृद्धि हुई है, वह पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। रात के सन्नाटे में चोरों का बेखौफ घूमना और आराम से घरों में सेंधमारी कर निकल जाना इस बात का प्रमाण है कि इन इलाकों में रात्रि गश्त या तो नाम मात्र की है या बिल्कुल भी नहीं हो रही। जब इस विषय में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से सवाल किया जाता है तो उनका कहना रहता है कि पुलिस टीम शहर के चौक-चौराहों पर पूरी मुस्तैदी से गश्त कर रही है। लेकिन यदि वास्तव में रात्रि गश्त पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ की जा रही होती, तो अपराधियों में भय होता और वे खुलेआम चोरी की घटनाओं को अंजाम देने का साहस नहीं कर पाते। हकीकत यह है कि शहर की कॉलोनियों, जो अपेक्षाकृत शांत और कम भीड़भाड़ वाले क्षेत्र होते हैं, उन्हें पुलिस गश्त के दौरान अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। यही कारण है कि चोर इन इलाकों को निशाना बनाकर बार-बार अंजाम दे रहे हैं। पुलिस प्रशासन को यह समझने की जरूरत है कि गश्त केवल मुख्य सड़कों या चौराहों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि कॉलोनियों, मोहल्लों और उपेक्षित इलाकों तक भी इसका विस्तार होना चाहिए। रात्रि गश्त को महज औपचारिकता न बनाकर एक प्रभावी और भयभीत करने वाला उपाय बनाया जाए। कॉलोनियों के मुख्य चौराहों पर नशेड़ियों का रहता है जमावड़ा कॉलोनियों में बढ़ती असामाजिक गतिविधियां अब एक गंभीर समस्या का रूप ले चुकी हैं। शाम ढलते ही कॉलोनियों के चौक-चौराहों और दुकानों के आस-पास नशेड़ियों का जमावड़ा लगना आम बात हो गई है। यह दृश्य न केवल सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रहा है, बल्कि इन गतिविधियों के चलते कॉलोनियों में चोरी जैसी घटनाओं की आशंका भी निरंतर बनी रहती है। स्थानीय नागरिकों की मानें तो ये नशेड़ी तत्व न केवल सार्वजनिक स्थानों की शांति भंग करते हैं, बल्कि अपराधियों को भी अप्रत्यक्ष रूप से सहायता पहुंचाते हैं। घरों में यदि ताला लटका हो, तो चोर दिनदहाड़े भी उस पर नजर गड़ा लेते हैं और मौका मिलते ही निर्भीकता से घरों में घुसकर भीषण चोरी को अंजाम दे डालते हैं। यह स्थिति बताती है कि अपराधियों के भीतर से कानून का भय लगभग समाप्त हो चुका है। इतना ही नहीं, रास्तों पर चलने वाले आम नागरिकों के लिए भी सुरक्षा एक बड़ी चिंता बन गई है। चेन स्नेचिंग जैसी घटनाएं अब आम होती जा रही हैं, जिनमें अपराधी घटना को अंजाम देकर चंद सेकंड में ही मौके से फरार हो जाते हैं। इन सब घटनाओं के बीच पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता और लचर निगरानी व्यवस्था साफ झलकती है।
-बोले जिम्मेदार-
शहर की कॉलोनियों में चोरी की सूचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंचकर जांच कर चोरों की गिरफ्तारी के लिए हर संभव प्रयास करती है। वहीं शहर के चौक-चौराहों पर पुलिस गश्त भी तेज कर दी गयी है। कॉलोनियों में भी रात्रि गश्ती पुलिस टीम की ओर से की जाती है। कॉलोनी में सीसीटीवी लोगों द्वारा घरों या बाहरों में नहीं लगाए जाने की वजह से चोरों की पहचान नहीं हो पाती है।
-राजीव कुमार, डीएसपी, मधुबनी सदर
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