जमालशाह बाबा का सालाना उर्स के पहले दस्तारबंदी समारोह में मजार का गद्देनशीन बने साबिर उद्दीन नियाजी
जमालपुर में 22 जून को बाबा जमाल शाह का 378वां सालाना उर्स धूमधाम से मनाया जाएगा। कार्यक्रम तीन दिन पूर्व से शुरू होगा, जिसमें कुरानखानी, मिलादुन्नबी, जलसा और सुफीयाना कव्वाली शामिल हैं। नए गद्देनशीन...

जमालपुर, निज प्रतिनिधि। लौहनगरी के नाम से प्रसिद्ध जमालपुर सिर्फ एशिया के प्रथम रेल इंजन कारखाना के लिए ही नहीं जाना जाता है, बल्कि बाबा जमाल शाह की दरगाह के नाम से भी प्रसिद्ध है। कहते हैं पत्थर और लौह की इस नगरी का नाम जमालपुर बाबा जमालशाह के नाम पर पड़ा है। हर साल की तरह इसबार भी बकरीद के 22वें रोज यानि 22 जून (रविवार) को ईस्ट कॉलोनी क्षेत्र स्थित बाबा का दरगाह पर 378वां सालाना उर्स का आयोजन पूरी भव्यता के साथ होगा। सालाना उर्स मनाने का इस्लामिक रीति-रिवाज के अनुसार तीन दिनों पूर्व से ही शुरू हो जाती है।
इस सालाना उर्स में देश के कोने-कोने से हर धर्म के श्रद्धालु जुटते हैं। ऐसी मान्यता है कि बाबा जमालशाह की जमाल (सौंदर्य) से न सिर्फ जमालपुर रौशन हो रहा है, बल्कि जो हाथ मनोकामनाओं की उठे, सबकी मुरादें भी पूरी करते चले आ रहे हैं। सालाना उर्स पर क्या है कार्यक्रम दरगाह के नए गद्देनशीन साबिर उद्दीन नियाजी ने बताया कि जमालशाह का इसबार 378वां उर्स है। आगामी 20 जून (शुक्रवार) की सुबह कुरानखानी होगी। तथा 21 जून (शनिवार) को मिलादुन्नबी और 22 जून (रविवार) को नवी का जलसा, नाथ शरीफ, नातिया कलाम, गुशुल, दुआ-फातिहा, दरुद शरीफ, नमाजें, फातिहाखानी, आम फातिहाखानी, बड़ा कुलशरीफ का दौर देर रात तक आयोजन किया जाएगा। चादरपोशी, दुआ-फातिहा और बड़ा कुल पढ़ने का रस्म में श्रद्धालु भी देर रात तक तल्लीन रहेंगे। वहीं सुफीयाना कव्वाली का आयोजन होगा। शाह मोहम्मद मोइनउद्दीन चिश्ती की जगह उनके पुत्र साबिर उद्दीन नियाजी ने ली जमालशाह बाबा के गद्देनशीन रहे दिवंगत शाह मोहम्मद मोइनउद्दीन चिश्ती की जगह अब उनके पुत्र साबिर उद्दीन नियाजी को मिली है। यानि अब जमालशाह बाबा मजार के गद्देनशीन साबिर साहब को सर्वसम्मति से चुन लिया गया है। बाबा के मजार कमेटी हफिज इम्तियाद रहमानी, हाफिज फैयाज साहब, हाफिज इम्तियाज, कारी फरहान साहब, हाफिज अंजर साहब, मोहम्म्द इस्लाम चिश्ती, मो. एनुल बसरी, मो. कादिर, मो. रजि, मो. इरफान खुर्शीद मल्लिक, मो. अस्फाक, मो. जब्बार, मो. जुबेद, मो. रुखशार आलम, मो. अमन, मो. अयान सहित अन्य ने बारी बारी से फूल मालाएं पहनाकर पगड़ी रस्म पूरी की। तथा बाबा के मजार की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। गौरतलब है कि शाह मोहम्मद मोइनउद्दीन चिश्ती का निधन बीते वर्ष 15 अक्टूबर 2024 को एक लंबी बीमारी के कारण हो गया था। उनकी जगह रिक्त थी, चूंकि अब सालाना उर्स जिम्मेदारी के साथ संपन्न कराना है, इसलिए आपसी तालमेल बैठाकर नए गद्देनशीन उनके पुत्र साबिर उद्दीन नियाजी को चयन किया गया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।