लखीसराय में रक्तचाप के सबसे ज्यादा शिकार
लखीसराय जिले में सरकारी अस्पतालों से बीपी की दवा लेने वालों की संख्या 33,629 है। मुजफ्फरपुर में 16,026 लोग बीपी की दवा ले रहे हैं। युवाओं और गर्भवतियों में हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ रही है। जिले में...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। सरकारी अस्पतालों से सबसे ज्यादा बीपी की दवा लखीसराय जिले के लोग खा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। लखीसराय के सरकारी अस्पतालों से दवा लेने वालों की संख्या 33,629 है। रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर का स्थान राज्य में 30वां हैं। यहां के 16,026 लोग सरकारी अस्पतालों से बीपी की दवा खा रहे हैं। राज्य में सबसे कम रोहतास जिले के 11,173 लोग सरकारी अस्पतालों से बीपी की दवा ले रहे हैं। जिला एनसीडीओ डॉ नवीन कुमार का कहना है कि युवाओं में तेजी से हाइपरटेंशन की शिकायत बढ़ रही है। अनियमित खानपान और जीवन शैली से 30 वर्ष तक के युवा हाई बीपी के शिकार हो रहे हैं।
हाई बीपी से किशोर भी शिकार, हो रहे चिड़चिड़े हाई बीपी के शिकार किशोर भी हो रहे हैं। साइकाइट्रिस्ट डॉ अमर कुमार झा ने बताया कि उनके पास हाई बीपी के शिकार किशोर पहुंचते हैं। हाई बीपी के शिकार होने से किशोरों में साइकाइट्री की भी परेशानी दिख रही है। बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं और वह पढ़ने में एकाग्र नहीं हो रहे हैं। इन बच्चों बीपी 160 तक पहुंची रही है। 150 से 170 तक जा रहा है बीपी अस्पताल आने वालों की जांच में बीपी 150 से 170 तक मिल रहा है। सदर अस्पताल में मेडिसिन विभाग के डॉ चंद्रशेखर ने बताया कि 25 -26 वर्ष के युवा भी हाई बीपी की शिकायत लेकर पहुंचते हैं। जांच में उनका बीपी 150 तक रहता है। डॉ चंद्रशेखर ने बताया कि सामान्य बीपी 120/80 होनी चाहिए, लेकिन जो युवा बीपी की शिकायत लेकर आते हैं उनकी बीपी 150/100 तक रहता है। डॉ चंद्रशेखर ने कहा कि बीपी के मरीजों को नियमित तौर पर मॉर्निंग वॉक और रात में पूरी नींद लेनी चाहिए। फोलिक एसिड की कमी से गर्भवतियों को हो रहा हाई बीपी तनाव के अलावा गर्भवतियों में फोलिक एसिड की कमी उन्हें हाइपरटेंशन का शिकार बना रहा है। सदर अस्पताल में स्त्री व प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ प्रेरणा सिंह ने बताया कि अस्पताल पहुंचने वाली पांच प्रतिशत गर्भवतियों में हाइपरटेंशन की समस्या मिल रही है। इसका कारण उनमें फोलिक एसिड की कमी होना है। स्वास्थ्य विभाग ने हर महीने 12 हजार गर्भवतियों को फोलिक एसिड देने का लक्ष्य तय किया है। पिछले वर्ष 88 प्रतिशत गर्भवतियों को यह दवा दी गई थी। हर महीने दो करोड़ का दवा कारोबार जिले में बीपी की दवा का कारोबार दो करोड़ का है। जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव संजीव चौधरी ने बताया कि सबसे ज्यादा दवा बीपी और शुगर की बिकती है। बीपी की दवा का कारोबार मुजफ्फरपुर जिले में दो करोड़ का है। सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी नर्सिंग होम में हर महीने हजारों की संख्या में बीपी के मरीज पहुंच रहे हैं।
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