लाखों का आश्रय गृह बनकर तैयार तीमारदारों को उद्घाटन का इंतजार
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में लाखों की लागत से बने आश्रय गृह का उद्घाटन नहीं होने से मरीजों के तीमारदारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यहां 500 से अधिक मरीज भर्ती होते हैं, लेकिन रहने की उचित...
मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) में लाखों की लागत से आश्रय गृह बनकर तैयार है। इसके शुरू नहीं होने के कारण यहां आने वाले मरीजों के तीमारदारों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। अस्पताल में हर दिन 500 से अधिक मरीज भर्ती होते हैं। इनमें मेडिसिन से लेकर ऑर्थो तक के मरीज शामिल हैं। लेकिन, यहां तीमारदारों के रहने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। इनका कहना है कि वे किसी तरह मरीज के पास जमीन पर सोते हैं। तीमारदारों के लिए अस्पताल में पेयजल व शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है।
उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल एसकेएमसीएच में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के रहने का इंतजाम नहीं है। 200 किमी दूर से आने वाले तीमारदार कभी जमीन पर तो कभी पेड़ के नीचे रहकर मरीजों का इलाज कराते हैं। मरीजों के परिजनों का कहना है कि इतने बड़े अस्पताल में उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। आश्रय गृह बनने के बाद भी उन्हें रात गुजारने में परेशानी हो रही है। मरीज के परिजन सुरेंद्र राउत ने बताया कि उनका बच्चा पीकू में भर्ती है। हमलोग रात में पीकू के बाहर चबूतरे पर सोते हैं। पीकू के अंदर कई लोग गैलरी में चादर बिछाकर रहते हैं। इतने बड़े अस्पताल में मरीजों के परिजनों के रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। भीषण गर्मी में रात गुजारने में काफी परेशानी होती है। एसकेएमसीएच प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। तीमारदारों के लिए बने आश्रय गृह को जल्द चालू कराना चाहिए।
पेयजल और शौचालय की भी समस्या :
मरीजों के साथ आए तीमारदारों ने बताया कि अस्पताल परिसर में सबसे ज्यादा परेशानी पेयजल और शौचालय की है। उनका कहना है कि इस भीषण गर्मी में भी उनको पेयजल के लिए भटकना पड़ता है। पानी के लिए उन्हें सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में जाना पड़ता है। वहां जाने पर पानी भरने से मना किया जाता है। इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि पानी नहीं मिलने पर उन्हें बाहर से खरीदकर लाना पड़ता है। इमरजेंसी में अपनी पत्नी को लेकर बैठे जयकिशोर ने बताया कि इमरजेंसी में जो शौचालय है उसकी उचित साफ-सफाई नहीं होती है। इससे परेशानी होती है।
जगह नहीं मिलने पर गेट के बाहर लगाते चक्कर :
तीमारदारों का कहना है कि मरीज के पास जगह नहीं मिलने पर वे रात में गेट के बाहर चक्कर लगाते हैं। रात में मरीज के पास रहना जरूरी है, इसलिए वार्ड के बाहर नहीं जा सकते हैं। मेडिकल में सीतामढ़ी, शिवहर, बेतिया से आए मरीजों के परिजनों का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी ठंड में होती है। उनके लिए अतिरक्त कंबल की भी व्यवस्था नहीं होती है। एसकेएमएसीएच में बना आश्रय स्थल महीनों से उद्घाटन की बाट जोह रहा है। इसमें 200 से अधिक बेड और कई कमरे भी हैं। पिछले दिनों डीएम की बैठक में इसे जल्द शुरू करने का निर्देश दिया गया था। डीएम की समीक्षा में पाया गया था कि आश्रय स्थल में बिजली का कनेक्शन नहीं है। मेडिकल प्रशासन को निर्देश दिया गया कि वह जल्द यहां बिजली की व्यवस्था कराए। समीक्षा में पाया गया था कि डीपीआर में ही इसका प्रावधान नहीं था। मेडिकल प्रशासन ने अपने फंड से यहां बिजली का कनेक्शन लगाया। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि विभाग का निर्देश आते आश्रय स्थल को शुरू कर दिया जाएगा। इसके शुरू होने से तीमारदारों को सुविधा होगी।
बोले जिम्मेदार :
एसकेएमसीएच में मरीजों के तीमारदारों को जो भी परेशानी है उसका समाधान जल्द से जल्द किया जाएगा। तीमारदारों के लिए मेडिकल परिसर में बने आश्रय गृह को भी जल्द शुरू किया जाएगा। मरीजों के साथ अस्पताल आने वाले परिजनों को सुविधा प्रदान करने की दिशा में भी एसकेएमसीएच प्रशासन काम कर रहा है।
-डॉ. सतीश कुमार सिंह, उपाधीक्षक, एसकेएमसीएच
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