Bihari Ghat in Nawada A Struggle for Basic Amenities at Cremation Ground संकट : मुक्तिधाम की व्यवस्था कष्टकारी, होती है परेशानी , Nawada Hindi News - Hindustan
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संकट : मुक्तिधाम की व्यवस्था कष्टकारी, होती है परेशानी

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा शहर के पास बिहारी घाट को मुख्यतः शवदाह स्थल के रूप में जाना जाता है। अंतिम यात्रा की गवाह मुक्तिधाम में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाMon, 9 June 2025 01:43 PM
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संकट : मुक्तिधाम की व्यवस्था कष्टकारी, होती है परेशानी

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा शहर के पास बिहारी घाट को मुख्यतः शवदाह स्थल के रूप में जाना जाता है। अंतिम यात्रा की गवाह मुक्तिधाम में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके मुख्य द्वार को स्वर्ग का द्वार कहा जाता है। लेकिन कहने-सुनने की बातों से इतर यहां की व्यवस्था बेहद कष्टकारी है। यहां का परिसर हरे-भरे पौधों और पेड़ों से भरा है, लेकिन पेयजल, शौचालय आदि जैसी जरूरी सुविधाएं नदारद हैं। शवदाह के लिए यहां पहुंचने वाले लोगों को दो से तीन घंटे यहां रूकने की नौबत रहती है लेकिन स्वच्छता की कमी के कारण इतना समय भी यहां बीता पाना परेशानी भरा साबित होता है।

नवादा शहर से सटे बिहारी घाट शवदाह स्थल के रूप में आरम्भ से ही इस्तेमाल हो रहा है। यहां आए दिन मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है। तमाम असुविधाओं से घिरे इस शवदाह स्थल का हाल जितना बुरा है, वह इसके मुख्य द्वार से प्रवेश के साथ ही दिखने लगता है। यहां पेयजल की कोई माकूल व्यवस्था नहीं है। एक बोतल पानी के लिए भी लोग तरस कर रह जाते हैं। लोग अपने साथ पानी ले कर जाते हैं या फिर बाजार से बोतलबंद पानी मंगवा कर इस्तेमाल कर पाते हैं। चापाकल है तो सही लेकिन इसका इस्तेमाल शवदाह करने पहुंचे लोग बस स्नान आदि के लिए ही कर पाते हैं क्योंकि पानी पीने लायक नहीं। हालांकि एक बोरिंग भी है और एक हजार लीटर की पानी टंकी भी है। इससे ही किसी प्रकार यहां की व्यवस्था संभल रही है। लोग इससे स्नानादि कर कर्मकांड पूरा कर पाते हैं। शौचालय-मूत्रालय का हाल बेहद बुरा यहां मौजूद शौचालय के अंदर की स्वच्छता का हाल इतना खराब है कि लोग भारी जरूरत के बावजूद इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। यहां पहुंचे लोगों को जरूरत पड़ने पर इन्हीं गंदे शौचालय का उपयोग मन मार कर और नाक बंद कर करना पड़ता है। शौचालय में पानी की सुविधा है तो जरूर, लेकिन यह स्थायी नहीं है। अर्थात कई बार यह भी नदारद रहती है। यूरिनल की अलग से व्यवस्था की गई थी, लेकिन वह भी पूरी तरह से बदहाल है। यहां भी गंदगी का अम्बार लगा दिखता है। कई बार तो लोगों को नहीं चाहते हुए भी शौच और मूत्र त्याग के लिए नदी का ही सहारा लेना पड़ता है। आड़े-तिरछे पर्दे में रह कर लोग इस प्राकृतिक क्रिया को पूरी कर पाते हैं। सफाई एजेंसी बदलने के बाद से बढ़ी परेशानी यहां के बुरे हाल के लिए आसपास के दुकानदार से लेकर नजदीकी लोगों और यहां की व्यवस्था की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि यहां की सफाई व्यवस्था की ओर नवादा नगर परिषद का कोई विशेष ध्यान नहीं है। स्थानीय दुकानदार जो यहां लकड़ी, हुमाद और शवदाह की तमाम सामग्री बेचते हैं, उनलोगों ने बताया कि यहां सफाई कर्मी झाड़ू लगाने अथवा ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करने नहीं आते हैं। यहां शवदाह करने आए लोगों के बैठने के लिए एक शेड बना हुआ है, लेकिन उसकी भी समुचित सफाई नहीं होती। कई लोगों ने बताया कि पूर्व में सफाई एजेंसी के कर्मी थोड़ा-बहुत ध्यान रखा भी करते थे लेकिन वर्तमान की एजेंसी के कर्मी का ध्यान इस ओर नहीं रहता है। नगर परिषद से यहां की व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग लोग उठा रहे हैं लेकिन समुचित पहल नहीं की जा रही है। अज्ञात शव का दाह संस्कार होने पर होती है थोड़ी-बहुत सफाई शवदाह स्थल पर अज्ञात शवों का भी दाह संस्कार करने की व्यवस्था है। एक निजी संस्था यह जिम्मा उठा रही है। सामान्यत: जब कोई अज्ञात शव आता है, तब उसके साथ जो भी सफाई मजदूर या कर्मी होते हैं, उन्हीं के द्वारा थोड़ी बहुत साफ-सफाई की जाती है। लाइट की बात करें तो चार से पांच लाईट खराब रहने की जानकारी मिली है। शाम से लेकर रात में यहां पहुंचने पर लोगों को इमरजेंसी लाइट आदि का इंतजाम खुद करके आना होता है। नाली और उससे सटे दीवार की भी मरम्मत की सख्त जरूरत है। ----------------- अज्ञात शवदाह समिति ने 200 शवों का किया अंतिम संस्कार नवादा। स्वर्ग द्वार के अंदर शवों की अंत्येष्टि को लेकर छह चुल्हा बना हुआ है। जहां हिन्दू रीति-रिवाज से शव का अंतिम संस्कार होता है। नवादा जिला अज्ञात शवदाह समिति जो साल 2015 से बनी हुई है, उसका प्रयास सराहनीय है। समिति के संरक्षक श्रवण बरनवाल ने बताया कि अब तक करीब 200 से अधिक अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार समिति के खर्च से किया जा चुका है। हरेक अज्ञात शवों पर करीब 25 सौ रुपए का खर्च आता है। इतना ही नहीं साल 2017 में स्वर्ग द्वार के अंदर सौंदर्यीकरण का काम भी समिति ने ही कराया। अब तक समिति करीब 11 लाख रुपए खर्च कर चुकी है। यह सब सामाजिक सहयोग और आपसी चंदा से हो पा रहा है। समिति के संस्थापकों में तत्कालीन दरोगा सुरेश प्रसाद और समाजसेवी संदीप कुमार चुन्नू आदि की भूमिका सराहनीय रही है। -------------------------- शवदाह गृह सह मोक्षधाम की योजना पर होगी अमल नवादा। नवादा नगर परिषद क्षेत्र में शहरी शवदाहगृह योजना पर अमल किया जाएगा। इसको लेकर बजट में 1.50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसे स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। शीघ्र ही इस योजना पर अमल किया जाएगा। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए शहरी शवदाहगृह योजना पर अमल की तैयारी है, जिस पर नवादा नगर परिषद की मुख्य पार्षद पिंकी कुमारी समेत उप मुख्य पार्षद कंचन विश्वकर्मा तथा सभी सशक्त स्थायी समिति एवं वार्ड पार्षदों की सर्वसम्मति से अनुमोदित कर दिया गया है। नगर निकाय में विद्युत संचालित शवदाहगृह बनाने की यह योजना अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को सुगम और सुविधाजनक बनाने पर केन्द्रित है। यह योजना विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में लागू किए जाने का नियम है, जहां पारम्परिक अंतिम संस्कार की जगहें सीमित हो गयी हैं अथवा पर्याप्त रूप से सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। -------------------- पर्यावरण संरक्षण का प्रखर उद्देश्य है निहित नवादा। अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों की सुविधा के लिए यहां की व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी। इसके अलावा शवदाहगृह में दाह संस्कार की प्रक्रिया को कम समय में और सुविधाजनक तरीके से पूरा करने का भी उद्देश्य निहित है। नवादा नगर परिषद की मुख्य पार्षद पिंकी कुमारी ने योजना की जानकारी देने के क्रम में बताया कि 1.50 करोड़ की इस योजना का निहितार्थ यह भी है कि पर्यावरण संरक्षण को बल मिले। विद्युत शवदाहगृह लकड़ी के शवदाहगृह की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं, जिस कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य का भी लाभ होता है। शहरी क्षेत्रों में शवदाहगृहों को स्थापित करने की सोच इसलिए बनी ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और स्वच्छता से किया जाना संभव हो सके। ------------------- आवास और बुनियादी ढांचे का विकास भी संभव नवादा। शवदाहगृहों के निर्माण से आसपास के क्षेत्रों में आजीविका के अवसर और बुनियादी ढांचे का विकास भी संभव हो सकेगा। शवदाहगृह के समीप अंत्येष्टि संबंधी सामग्री की दुकानें खुल जाने का लाभ अनेक लोगों को रोजगार के रूप में मिल सकेगा। शहरी शवदाहगृह योजना के तमाम लाभों के बीच यह महत्वपूर्ण लाभ सर्वोपरि माना जा रहा है यानी एक पंथ दो काज की गुंजाइश बन जाएगी। ------------------------ नगर परिषद द्वारा बनाया जाएगा शवदाह गृह सह मोक्षधाम नवादा। नवादा नगर परिषद द्वारा शवदाह गृह और मोक्षधाम का निर्माण किया जाएगा। यह निर्माण शहर के विकास और लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। नवादा नगर परिषद की मुख्य पार्षद पिंकी कुमारी ने बताया कि शवदाह गृह सह मोक्षधाम एक ऐसा स्थान होगा, जहां अंतिम संस्कार किया जा सके और लोगों को शोक व्यक्त करने के लिए जगह मिल सके। नवादा नगर परिषद इस परियोजना को अपने विकास योजनाओं के हिस्से के रूप में लागू करेगी। शवदाह गृह सह मोक्षधाम का निर्माण शहर के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करेगा और शहर को और अधिक विकसित करेगा। लोगों को दी जाने वाली यह सुविधा यह भी सुनिश्चित करेगी कि लोगों को अंतिम संस्कार और शोक व्यक्त करने के लिए एक अच्छी जगह मिल सके। --------------------------- नवीनतम तकनीक पर आधारित होगी सारी सुविधाएं नवादा। अंतिम संस्कार को अधिक सुविधाजनक और सम्मानजनक बनाने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने की तैयारी है। मुख्य पार्षद ने बताया कि शवदाह गृह सह मोक्षधाम के रूप में मिलने वाली सुविधा न सिर्फ नवीनतम तकनीक आधारित होगी बल्कि यह पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की जाएगी, जिससे प्रदूषण कम हो सके। यह निर्माण स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। जबकि यह निर्माण शहर की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करने में मदद करेगा। यह निर्माण नवादा शहर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह शहर को एक बेहतर जगह बनाने में मदद करेगा। -------------------- आम लोगों की व्यथा: शवदाह स्थल बिहारी घाट पर एक बोतल पानी के लिए तरस कर रह गए। कोई भी लाइट काम नहीं कर रही थी। घुप अंधेरा छाया हुआ था। अपनी लाइट लेकर शवदाह का संस्कार पूर्ण किया गया। इतने बुरे हाल को देख-सुन कर भी नगर परिषद का मौन समझ से परे है। -मनोहर पांडेय, गया रोड, नवादा। नवादा जिला अज्ञात शवदाह संस्कार समिति के संरक्षक के रूप में मुक्तिधाम बिहारीघाट लगातार आना-जाना रहता है। यहां की असुविधाओं को दूर करने का प्रयास समिति द्वारा किया गया है। लेकिन नगर परिषद का ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है ताकि दिक्कतें खत्म हों। -श्रवण बरनवाल, संरक्षक, नवादा जिला अज्ञात शव दाह संस्कार समिति। मुक्तिधाम बिहारी घाट कभी न कभी लोगों को आना ही पड़ता है। यहां सुविधाओं का भारी अभाव है। आमतौर यहां कम आना-जाना होता है इसलिए परेशानियों को दो-तीन घंटे झेल कर व्यवस्था को कोसते हुए लौट जाते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे दुरुस्त ही न की जाए। -पिंकु कुमार, मिर्जापुर, नवादा। बिहारी घाट की व्यवस्था में सुधार बेहद जरूरी है। यह सही है कि सामान्यत: लोग कभी-कभी दो-तीन घंटे के लिए ही यहां आते हैं लेकिन इतने समय के लिए सुविधा की जरूरत तो पड़ती ही है। नगर परिषद की यह जिम्मेवारी बनती है। इसे दुरुस्त कराने पर विभाग का ध्यान बेहद जरूरी है। -सुजीत कुमार, मिर्जापुर, नवादा। ------------- क्या कहते हैं जिम्मेवार: मुक्तिधाम बिहारी घाट की व्यवस्था को सही कराया जाएगा। यहां साफ-सफाई को लेकर सफाई एजेंसी के कर्मी को हिदायत दी जाएगी। वहां कर्मी को भेजकर नियमित रूप से सफाई कराई जाएगी। इसके अलावा यहां के सौंदर्यीकरण पर भी ध्यान दिया जाएगा। प्रतीक्षालय की व्यवस्था को प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले सही कराया जाएगा ताकि यहां आने-जाने वालों को परेशानी न उठानी पड़े। -पिंकी कुमारी, मुख्य पार्षद, नगर परिषद, नवादा।

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