तेजस्वी का नाम नहीं, नीतीश पर हमले की रेल; क्या है प्रशांत किशोर का नया खेल?
- बिहार में घूम-घूमकर लोगों को नौवीं फेल नेता की कहानी सुनाते रहे प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की पहली रैली में उनकी चर्चा भी नहीं की। उनके भाषण में हमले का पूरा का पूरा फोकस नीतीश कुमार पर रहा।

बिहार में व्यवस्था परिवर्तन की बात करने वाले प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की पहली रैली में अपने प्रिय विषय ‘नौवीं फेल’ की चर्चा तक नहीं की, जिसके जरिए वो राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के बेटे और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की योग्यता और क्षमता पर सवाल उठाते रहे हैं। प्रशांत किशोर रैली में अंत में आए और सीधे भाषण की माइक थाम ली। जाम की वजह से रैली में आ रही गाड़ियों के फंसने से गुस्सा प्रशांत शुरू से ही सीएम नीतीश कुमार पर बरसने लगे। उन्होंने लगभग आठ मिनट के भाषण में नीतीश पर ही फोकस रखा और एक बार भी तेजस्वी का नाम नहीं लिया, जिन्हें विपक्ष का चेहरा समझा जाता है।
जन सुराज पार्टी के पहले राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन में प्रशांत किशोर ने नीतीश पर हमले की रेल बना दी लेकिन तेजस्वी यादव को छुआ तक नहीं। ये नहीं कहा जा सकता कि तेजस्वी का नाम नहीं लेना अनायास था या यह चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत का कोई नया खेल है। प्रशांत इस मसले पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति पर चलते दिखे जब उन्होंने राजद के शासन की याद दिलाई और लोगों से पूछा- लालू का जंगलराज चाहिए कि नहीं चाहिए। तेजस्वी के बदले लालू पर फोकस रखना चुनावों में भाजपा के लिए कारगर रणनीति साबित होती रही है। राजद की सरकार की याद दिलाने को भाजपा कुछ भी कहने से ज्यादा मारक समझती है।
चार घंटे से प्रशासन के हाथ-पैर जोड़ रहे, 2 लाख लोग जाम में फंसे हैं; पीके ने नीतीश पर ठीकरा फोड़ा
प्रशांत किशोर के आज के भाषण से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जन सुराज पार्टी तेजस्वी के बदले लालू का नाम लेकर भाजपा की तरकीब का इस्तेमाल कर सकती है। एक तरफ शासन-प्रशासन पर सवाल उठाकर और सीधे नीतीश पर तीखे हमले कर सरकार से नाराजगी वाले वोट को विपक्षी महागठबंधन के बदले अपनी तरफ खींचने की कोशिश। दूसरी तरफ राजद सरकार की याद दिलाकर एनडीए समर्थकों के बीच से वो वोट समेटने की कोशिश, जो नीतीश का विकल्प खोज रहे हैं। लालू-राबड़ी का जमाना बीते भी अब जमाना हो गया है, इसलिए प्रशांत ने नीतीश के नाम ही सबसे ज्यादा तीर छोड़े।
प्रशांत किशोर ने भाषण में नीतीश कुमार के लिए क्या-क्या कहा
इतना निकम्मा प्रशासन है कि जाम में फंसे लोगों की मदद नहीं कर पा रहा।
नीतीश को उखाड़ के फेंकना है। मोदी जी आकर कहेंगे तो भी हम लोग नहीं मानेंगे। बिहार में बदलाव चाहिए।
जनता का राज चाहिए या लालू, मोदी, नीतीश का राज चाहिए। छह महीने के लिए कमर कस लो, नवंबर में आपको नई सरकार बनाकर देंगे, जनता की सरकार बनाकर देंगे।
आज जो पाप किया है। बिहार बदलाव यात्रा में आपके गांव और प्रखंड में आकर हिसाब लेंगे।
नीतीश के कान तक आवाज जाना चाहिए। पलटू चाचा के कान में आवाज जाना चाहिए।
2015 में मदद नहीं करते तो संन्यास लेकर बैठे होते; नीतीश पर पर्सनल होने लगे प्रशांत किशोर
प्रशासन की मदद से हम लोगों को रोकने की कोशिश की है। इस आदमी की खैर नहीं है। अगर 2015 में इसकी मैंने मदद नहीं की होती तो नीतीश कुमार संन्यास लेकर कहीं बैठे होते। और आज बहुत बड़ा होशियार बन रहे हैं। आपने गांव-देहात में सुना होगा। जो शादी कराता है, वही श्राद्ध कराता है। तो इनका पूरा उपाय, राजनीतिक श्राद्ध जन सुराज के लोग करेंगे, ये संकल्प लेकर जाइए।
बिहार बदलाव यात्रा करेंगे प्रशांत किशोर, बोले- नीतीश का राजनीतिक श्राद्ध करेगी जन सुराज
राजनीतिक भाषण के राजनीतिक मायने समझना कई बार पहेली बन जाता है। प्रशांत किशोर के इस भाषण का पटना से लेकर दिल्ली तक माने-मतलब निकाला जाएगा। क्या बोला गया, किसके बारे में बोला गया, किसके बारे में नहीं बोला गया, किसको छोड़ दिया गया। रैली में की गई घोषणा के मुताबिक पीके इसी महीने यात्रा पर निकल रहे हैं। जन सुराज पार्टी की रणनीति बिहार बदलाव यात्रा में प्रशांत किशोर के भाषणों से एक बार में ना सही, धीरे-धीरे साफ होती रहेगी।