सहरसा में जिला गजेटियरों के पाण्डुलिपि का होगा निर्माण
सहरसा, मधेपुरा, सुपौल और पूर्णिया प्रमंडल के जिलों में जिला गजेटियरों की पाण्डुलिपि तैयार की जाएगी। इसके लिए जिला स्तरीय गजेटियर प्रारूप प्रकाशन समिति का गठन किया गया है। आईएचडी, न्यू दिल्ली द्वारा...

सहरसा, ज्ञानमूर्ति। कोसी प्रमंडल के सहरसा, मधेपुरा एवं सुपौल तथा पूर्णियां प्रमंडल के पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज जिलों में जिला गजेटियरों पांडुलिपि निर्माण किया जाएगा। जिला स्तरीय गजेटियर प्रारूप प्रकाशन समिति का गठन किया गया है। जिसमें जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सभी विभागों के जिलास्तरीय अधिकारी एवं जिला में स्थित भारत सरकार के संबंधित संस्थानों के अधिकारी सदस्य होगें तथा अपर समाहर्त्ता (राजस्व) नोडल पदाधिकारी होंगे। जिला गजेटियर विभिन्न अध्यायों में विभिन्न शीर्ष एवं उपशीर्ष के अन्तर्गत तैयार किया जायेगा, जिसमें सभी संबंधित विभागों एवं जिला स्तरीय कार्यालयों से तथ्य एवं आँकड़े संकलित किया जाना है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जिला गजेटयरों की पाण्डुलिपि तैयार करने की योजना बनाई गई है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जारी पत्र में कहा कि जिला गजेटियर किसी भी जिला को समग्र रूप में जानने का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। भारत का पहला अधिकारिक गजेटियर कौटिल्य का अर्थशास्त्र को माना जाता है। ब्रिटिश शासन काल में जिला गजेटियरों का लेखन शासन के प्रशासनिक उद्देश्य एवं राजस्व संग्रह के अनुसार होता रहा था। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत गजेटियर लेखन के उद्देश्य में परितर्वन की आवश्यकता महसूस की गयी। भारत सरकार ने जुलाई 1955 में केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों की एक सभा बुलाई, जिसमें यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ कि केन्द्रीय सरकार भारत का गजेटियर निकाले एवं विभिन्न प्रान्तीय सरकार अपने-अपने प्रदेश के जिलों का गजेटियर प्रकाशित करें। सन् 1957 से 1970 के बीच तत्कालीन राज्य संपादक पी सी रॉय चौधरी एवं एन कुमार के नेतृत्व में संयुक्त बिहार के सभी 17 जिलों का जिला गजेटियरों को प्रकाशित किया गया था। 1970 के पश्चात कतिपय कारणों से जिला गजेटियरों के प्रकाशन का कार्य बाधित रहा था। परन्तु वर्ष 1917 ई. में तत्कालीन प्रधान सचिव के दिशा निर्देश में इसकी पुनः शुरूआत हुई और 48 वर्षों के उपरांत सारण जिला गजेटियर का पुनर्मुद्रण एवं प्रकाशन का कार्य सम्पन्न हुआ। वर्तमान में पटना एवं दरभंगा जिला गजेटियर के मुद्रण एवं प्रकाशन का कार्य प्रक्रियाधीन है। मुख्य सचिव, बिहार की अध्यक्षता में हाइब्रिड मोड में हुई बैठक : जिला गजेटयरों की पाण्डुलिपि तैयार को लेकर मुख्य सचिव बिहार की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, निदेशक, संबंधित जिलों के जिलाधिकारी, अपर समाहर्त्ता (राजस्व) की एक बैठक हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई। जिसमें कहा गया कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा पूर्णियाँ एवं कोशी प्रमण्डल के सभी जिलों यथा पूर्णियाँ, कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल एवं मधेपुरा जिला के जिला गजेटयरों की पाण्डुलिपि तैयार करने की योजना है। ऐसे जिलों के जिला गजेटियरों की पाण्डुलिपि निर्माण के लिए तथ्यों एवं आँकड़ों के संकलन में सहयोग करना जरूरी है। पाण्डुलिपि निर्माण का कार्य आईएचडी, न्यू दिल्ली करेंगे: चयनित जिलों के जिला गजेटियरों के पाण्डुलिपि निर्माण का कार्य इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी), न्यू दिल्ली के द्वारा किया जाना है। विभिन्न विभागों एवं जिला स्तरीय कार्यालयों तथा जिला में स्थित भारत सरकार के उपक्रम से तथ्यों एवं आँकड़ों के संकलन में इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) के प्रतिनिधियों को आवश्यक सहयोग एवं सहायता प्रदान किया जाना है। सरकारी अभिलेखों से तथ्यों का किया जाएगा संकलन: पाण्डुलिपियों की प्रामाणिकता एवं सटीकता हेतु सरकारी अभिलेखों से तथ्यों का संकलन किया जायेगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जल स्त्रोतों पर आधारित “गजेटियर-कम-एटलस ऑफ वॉटर बॉडीज ऑफ बिहार” पुस्तक का प्रकाशन किया है, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा। विभाग जिला गजेटियरों के अलावा और भी कई विषयों पर गजेटियर तैयार करने की योजना पर कार्य कर रही है। सामूहिक सहयोग एवं प्रयास से जिलों का जिला गजेटियर अतिशीघ्र प्रकाशित: जिला गजेटियर में जिलों की भौतिक विशेषताएँ, इतिहास, पुरातत्व, कला संस्कृति, लोक परम्परा, प्रशासन, आर्थिक विकास की रूझान आदि को एक समग्र रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे प्रशासनिक अधिकारियों, नीति-निर्माताओं, शोध कत्र्ताओं एवं आम जनता को लाभ मिल सकेगा। सामूहिक सहयोग एवं प्रयास से संबंधित जिलों का जिला गजेटियर अतिशीघ्र प्रकाशित किया जा सकेगा।
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