चिंता : बूढ़ी गंडक नदी में गाद से निकल आया टापूपूसा,निज संवाददाता। बूढ़ी गंडक नदी में हर साल बढ़ रहा गाद(बालू
बूढ़ी गंडक नदी में हर साल गाद का स्तर बढ़ रहा है, जिससे जलस्तर में कमी आ रही है और तटबंधों पर दबाव बढ़ रहा है। जानकारों का मानना है कि गाद निकालने से नदी की गहराई बढ़ेगी, जिससे जलस्तर को संभालना आसान...
। बूढ़ी गंडक नदी में हर साल बढ़ रहा गाद(बालू का ढ़ेर) टापू का रूप लेता जा रहा है। यह नदी की गहराई को कम कर रहा है। जो जलस्तर की बढ़ोतरी पर तटबंधो पर दबाब बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। यह हालात पूसा-सैदपुर पुल के निकट समेत अन्य दर्जनों स्थल पर है। जिसे निकालने की जरूरत है। जानकारो की मानें तो नदी से गाद निकल जाने से नदी की गहराई बढ़ जायेगी। जिससे जलस्तर का भंडारण अधिक हो सकेगा। लोगों की मानें तो अब भी कई स्थलों से चोरी-छिपे तरीके से बालू कारोबारी नदी से मोटा बालू नाव के सहारे निकाल कर बेचते हैं।
तो दूसरी ओर नदी किनारे मिट्टी मिश्रित बालू को लेकर टेलर के सहारे बेच रहे हैं। अधिकतर लोग इसे घर या सड़क निर्माण में उपयोग में ला रहे हैं। जिसके प्रत्येक टेलर मिट्टी की कीमत 7-8 सौ रूप्ये या उससे अधिक होती है। यह दूरी पर रेट तय किया जाता है। उधर प्रखंड के बिरौली घाट व उससे आगे कई स्थलो से धड़ल्ले से डंफर के सहारे मिट्टी की कटाई नदी के किनारे से हो रही है। कटाई के दौरान सरकारी मानको की अनदेखी आम है। इस कार्य में बड़ी संख्या में डंफर लगे है। जो दिन-रात मिट्टी ढ़ुलाई का ही कार्य करते हैं। इस संदर्भ में बाढ़ नियंत्रण विभाग के एसडीओ मंजीत राज ने बताया कि गाद निकालने से जुड़ा कार्य उन लोगों के स्तर से नहीं होता है।
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