Changing Dynamics of Parent-Child Relationships in Modern India बुजुर्ग माता-पिता को सहारा नहीं देने वाले होते हैं नरक के भागी: जीयर स्वामी , Sasaram Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsSasaram NewsChanging Dynamics of Parent-Child Relationships in Modern India

बुजुर्ग माता-पिता को सहारा नहीं देने वाले होते हैं नरक के भागी: जीयर स्वामी

कहा- पाश्चात्य देशों की संस्कृति व अंग्रेजी शिक्षा देने की प्रथा भी एक कारण परा कायम थी। जिसका उदाहरण राम, लक्ष्मण,भरत,शत्रुध्न व श्रवण कुमार से दिया जाता है। तब आज्ञाकारी संतानें माता-पिता

Newswrap हिन्दुस्तान, सासारामTue, 3 June 2025 06:44 PM
share Share
Follow Us on
बुजुर्ग माता-पिता को सहारा नहीं देने वाले होते हैं नरक के भागी: जीयर स्वामी

करगहर, एक संवाददाता। भारतीय संस्कृति में मातृ देवो भव:, पितृ देवो भव: का दर्जा दिया गया है। पिता को ईश्वर और माता को स्वर्ग के रूप में देखना की परंपरा कायम थी। जिसका उदाहरण राम, लक्ष्मण,भरत,शत्रुध्न व श्रवण कुमार से दिया जाता है। तब आज्ञाकारी संतानें माता-पिता की सेवा में लगे रहते थे। लेकिन, आज के परिपेक्ष्य में संतान बुजुर्ग और असहाय माता-पिता के हाथों को सहारा देने का जहमत नहीं उठाना चाहते। उक्त बातें सोमवार को पटवाडीह गांव में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में प्रवचन के दौरान लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कही। कहा कि आज कलियुग में परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई है।

आधुनिकता की दौड़ में माता-पिता को संतान अपने साथ नहीं रखना चाहते। माता-पिता के भरण पोषण को लेकर संतानों में विवाद हो रहा है। माता-पिता और उनकी संतानों के रिश्ते भी बदल गये हैं। इन बदलावों ने उन्हें वृद्धाश्रम तक जाने को मजबूर कर दिया है। माता-पिता को सम्मान देने और उनके प्रति जिम्मेदारी लेने से संतानें अब कतरा रहे हैं। लोग राम और श्रवण के आदर्शों को भूल गए हैं। कहा कि माता-पिता द्वारा बच्चों में संस्कारों की नींव ही गलत डाली जा रही है। पाश्चात्य देशों की संस्कृति और अंग्रेजी शिक्षा देने की प्रथा भी एक कारण है। पश्चिमी देशों में माता-पिता से अलग रहने का चलन है। जिसके तहत ये बच्चे वहां की संस्कृतियों और परंपराओं के साथ आत्मसात कर लेते हैं। फलस्वरूप माता-पिता के साथ अनादर करने में अपने आप को असहज महसूस नहीं करते हैं। उन्हें इस व्यवहार के प्रति कोई ग्लानि और दुख नहीं होता है। पर याद रखना कुंठित और दुखी माता-पिता के आशीर्वाद से उन्हें नरक का भागी होना पड़ेगा। महायज्ञ समिति अध्यक्ष रमाकांत पांडेय ने बताया कि राम कथा, श्रीमद्भागवत कथा, श्रीमद्भागवत गीता जैसे महाग्रंथों के प्रकांड विद्वान व प्रवचनकर्ताओं को बुलाया गया है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।