धरातल पर नहीं उतरी नाली को लेवल कर ड्रेनेज सिस्टम को दुरूस्त करने की योजना
सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। गामी 20 जून को जिले में पीएम नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित कार्यक्रम की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस बीच पचरुखी प्रखंड के जसौली गांव में कार्यक्रम स्थल से लेकर हेलीपैड और...

सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। नगर परिषद द्वारा आजादी के बाद से शहर की ड्रेनेज सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए कई योजना बनी। लेकिन योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी। इसका परिणाम यह है कि आएदिन कमजोर ड्रेनेज सिस्टम से लोगों को बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है। गौर करने वाली बात है कि 2007 में बोर्ड द्वारा शहर के सभी नाली को लेवल कर दहा नदी में पानी गिराने के लिए ड्रेनेज सिस्टम की योजना करोड़ों में बनाई गई थी। इसका प्रस्ताव बोर्ड से पास कर पटना मुख्यालय भी भेजा गया। लेकिन इस पर कोई पहल नहीं हो पाई।
इस प्रस्ताव में यह दहा नदी में पानी गिरने से पहले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का भी प्रस्ताव तैयार किया गया था। ताकि स्वच्छ पानी दहा नदी में गिरे। वहीं गंदा, कचरा आदि बाहर पानी गिरने से पहले ही निकाल लिया जाए। इसके बाद भी इसको लेकर कई बार बोर्ड में पहल हुई। लेकिन परिणाम कुछ सामने नहीं आया। शहर को जल भराव से मुक्त करने वाली योजना सरकार और प्रशासनिक अनदेखी के चलते धरी की धरी रह गई। जिसका खामियाजा आज शहर के लोगों को थोड़ी भी बारिश होने पर भुगताना पड़ता है। नगर परिषद के बिना लेवल के नाली निर्माण में करोड़ों रूपये हुए बर्बाद शहर की नालों की लेवलिंग कर बड़े नाले से कनेक्ट कर दहा नदी में पानी गिराने की सार्थक पहल आज तक नहीं हुई। इसका कारण यह है कि नगर परिषद के करोड़ों रूपये हर साल नाली बिना लेवलिंग के नाली निर्माण में खर्च हो रहे हैं। लेकिन, लेवलिंग नहीं होने से नाली का पानी बड़े नाले से होकर नहीं निकल पाता है। इससे शहर के मोहल्लों में कई जगह बारिश होने पर या बारिश नहीं होने पर भी थोड़ा-बहुत जल जमाव हमेशा रहता है। नगर परिषद से सेवा निवृत हुए अधिकारियों का कहना है कि नाली निर्माण से पहले उसका लेवलिंग होना बहुत जरूरी था। इस पर अधिकारियों व वार्ड पार्षदों ने ध्यान नहीं दिया। इसके चलते नाली में घरों से पानी तो गिरता है। लेकिन वह नाली का पानी बड़े नालों में नहीं गिर पाता है। इसके चलते कई मोहल्लों में जल भराव की समस्या पीछा नहीं छोड़ रही है। पहले आबादी कम थी तो लाल कोठी से होकर दहा नदी में गिरने वाला नाला था चौड़ा, बढ़ी तो... बताते चलें कि सन 1972 में शहर का सबसे पुराना लालकोठी से शहर के बीचोबीच छोटी नालियों का पानी लेकर दहा नदी में गिराने वाला नाला काफी चौड़ा था। लेकिन जैसे-जैसी शहर की आबादी बढ़ती गई। यह नाला भी अतिक्रमण का शिकार होने से सिकुड़ता गया। इसके अलावा शहीद सराय, तुरहा टोली-जयप्रकाश नगर मुख्य नाला जगह-जगह पर अतिक्रमण का शिकार हो गया है। शहर के चूड़ा मंडी मेहिया कुम्हार टोली, पुराना किला अंसारी मोहल्ला, नई बस्ती-महादेवा ऐसे कुछ पुराने मोहल्ले हैं, जहां के लोग जलजमाव की स्थायी समस्या झेल रहे हैं। मोहल्ले वासी बताते हैं कि सड़क व नाला की ऊंचाई एक समान हो गई है। लेवल से कोई मतलब ही नहीं रह गया है। नालियों को ठीक से काम करने के लिए लेवलिंग जरूरी 1972 से दो बार नगर परिषद के उपाध्यक्ष रह चुके वसी अहमद बताते हैं कि शहर में नाली और ड्रेनेज सिस्टम की समस्या काफी पुरानी है। कई बार इसकी मरम्मत और सुधार की योजनाएं बनाई जाती हैं, लेकिन वे अक्सर अधूरी रह जाती हैं। शहर के लोगों को बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है, क्योंकि नालियां ठीक से काम नहीं करतीं। स्थानीय लोगों और प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और इसे हल करने के लिए कई प्रयास किए हैं। कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेता है और केवल योजनाएं बनाकर छोड़ देता है। नाली और ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए कई ये उपाय आवश्यक - नाली की नियमित सफाई करना। - नाली में जमा हुए कचरे को हटाना। - नाली को ठीक से लेवल करना। - ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाना। - बारिश के पानी को ठीक से निकालने के लिए एक प्रणाली बनाना।
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