सिकुड़ती जा रही सरयू नदी तो सूख गईं जिले की सात नदियां
सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। सीवान जिले में सात छोटी नदियां अस्तित्व हीन सीवान जिले में सात छोटी नदियां अस्तित्व हीन सीवान जिले में सात छोटी नदियां अस्तित्व हीन सीवान जिले में सात छोटी नदियां...

सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। पांच किमी के क्षेत्रफल में बहने वाली सरयू नदी बढ़ते अतिक्रमण की वजह से कई जगह एक नाला बनकर रह गई और स्वयं के मोक्ष के लिए किसी भगीरथ की राह देख रही है। गौर करने वाली बात है कि सरयू नदी पहले से काफी सिकुड़ गई है। पहले यह लगभग 1.5 किलोमीटर चौड़ी थी, लेकिन प्रदूषण और नेपाल में पंचेश्वर बांध के निर्माण के कारण यह 50-60 मीटर तक सिकुड़ गई है। इसका और भी कारण यह है कि इसकी गाद भर गई है। नदी में कई जगह जंगल-झाड़ उग गए हैं। इससे इसकी अविरल धारा धीमी हो गई है।
जानकार बताते हैं कि सरयू के सिकुड़न कई कारणों से हुई है। इसमें अयोध्या और फैजाबाद शहरों से गुजरते समय नदी में विभिन्न लघु उद्योगों से निकलने वाला कचरा, अस्पतालों और पैथोलॉजिकल लैब से निकलने वाला सीवेज और नगरपालिका अपशिष्ट डाला जाता है, इससे नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। नेपाल में पंचेश्वर बांध के निर्माण के कारण नदी के जल प्रवाह में कमी आई है। इन सभी कारणों से सरयू नदी का अस्तित्व खतरे में है और यह अपने पहले के स्वरूप से काफी बदल गई है। पहले बाढ़ व कटान के मंजर के दौरान बढ़ते पानी का दबाव रोकती सरयू नदी बुजुर्ग लोग बताते हैं कि पहले जब नदी की चौड़ाई ठीक थी। इसका गाद नहीं भरा था, तब क्षेत्र में बाढ़ व कटान के मंजर के दौरान ये नदी बढ़ते पानी का दबाव रोक सकती थी, मगर उस पर बेशुमार अतिक्रमण और जंगल-झाड़ से ये संभव नहीं हो पाता। जिले के गुठनी, दरौली, रघुनाथपुर, सिसवन आदि प्रखंडों में कभी तेज प्रवाह के साथ बहने वाली सरयू नदी अब अतिक्रमण के कारण अपना वजूद खोने की स्थित में है। बुजुर्गों की मानें तो यह नदी कभी पांच किमी के क्षेत्रफल में बहा करती थी, लेकिन नदी दिन पर दिन बढ़ते अतिक्रमण के चलते इसका दायरा साल दर साल घटता ही जा रहा है और वर्तमान में यह पहले से काफी सिमट गया है। जब पानी रहता था तो जानवरों को पीने के लिए पानी मुहैया कराती थी नदी जब नदी में पानी भरा रहता था और गर्मी का मौसम आता था तो यही नदी जानवरों के लिए भी पीने का पानी मुहैया कराने का काम करती थी। और गर्मी के मौसम में पानी के लिए उन्हें आबादी की ओर पलायन नही करने की भी जरूरत पड़ती थी। वहीं मैदानी क्षेत्र में विचरण करने वाले जीव जंतुओं का भी यही सहारा बनती थी। यही नहीं सरयू नदी अपनी अमृत धारा के प्रवाह से हजारों हेक्टेयर जमीनों पर खड़ी फसलों को सींचती थी। बरसात के समय उफनाने पर यह कटान भी करती थी और कटान के दौरान जंगल से बेशकीमती विशाल पेड़ों को भी बहा ले जाने की ताकत नदी की धारा में हुआ करती थी, लेकिन बढ़ती आबादी के साथ ही अतिक्रमण ने इसका दायरा कम दिया है।
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