Groups split among Power union organizations over proposed 24 hour symbolic strike between 11 and 12 February in Bihar बिहार: हड़ताल के मुद्दे पर बिजली यूनियन में दो फाड़, Bihar Hindi News - Hindustan
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बिहार: हड़ताल के मुद्दे पर बिजली यूनियन में दो फाड़

आगामी 11 से 12 फरवरी के बीच प्रस्तावित 24 घंटे के सांकेतिक हड़ताल पर कर्मचारी संगठनों में दो फाड़ हो गया है। रविवार को पेसा और बिजली कंपनी से जुड़े 400 से अधिक इंजीनियरों व कर्मियों ने बैठककर खुद को...

Malay Ojha पटना हिन्दुस्तान टीम, Mon, 10 Feb 2020 11:19 AM
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बिहार: हड़ताल के मुद्दे पर बिजली यूनियन में दो फाड़

आगामी 11 से 12 फरवरी के बीच प्रस्तावित 24 घंटे के सांकेतिक हड़ताल पर कर्मचारी संगठनों में दो फाड़ हो गया है। रविवार को पेसा और बिजली कंपनी से जुड़े 400 से अधिक इंजीनियरों व कर्मियों ने बैठककर खुद को हड़ताल से अलग होने का फैसला लिया। इनके समर्थन में पांच अन्य संगठनों ने भी खुद को हड़ताल से अलग रखने का पत्र बिजली कंपनी के आलाधिकारियों को सौंपा। 

डीएवी पब्लिक स्कूल में कंपनी के इंजीनियर, सिविल इंजीनियर, एचआर और आईटी पदाधिकारी जुटे। बैठक में सदस्यों ने महासचिव सुरेन्द्र कुमार पर पेसा को पॉकेट संस्था बनाने का आरोप लगाया। कंपनी के आलाधिकारियों में एसकेपी सिंह, एके सिन्हा, हरेराम पांडेय, केदार बैठा, आईसी यादव, आजम खान, दिलीप कुमार, अभिजीत कुमार,अंजनी कुमार सिंह सहित अन्य अभियंताओं ने कहा कि महासचिव किसी आमसभा या कार्यकारिणी से निर्णय लिए बगैर अनाप-शनाप आदेश निर्गत कर रहे हैं। इससे पेसा की छवि धूमिल हुई है। मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, कार्यपालक अभियंता स्तर के पदाधिकारी को बिना किसी कारण पेसा से बर्खास्त किया जा रहा है। निजीकरण की अफवाह फैलाकर भय व भ्रम की स्थिति फैलायी जा रही है। जबकि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव और कंपनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत साफ कर चुके हैं कि निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। 

सदस्यों ने कहा कि कोई मामला नहीं रहने पर भी अगर हड़ताल हुआ तो इससे न केवल कंपनी की आमदनी बाधित होगी बल्कि लोगों को भी परेशानी होगी। बैठक में तय हुआ कि पेसा के तत्कालीन अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के इस्तीफे के बाद मनमाने तरीके से हारे हुए नेता अध्यक्ष बन बैठे। महासचिव मेरी मर्जी की तर्ज पर काम कर रहे हैं। इसलिए जल्द पेसा का नया अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष का चयन होगा। महिला कर्मी के साथ अभद्र व्यवहार की बात को निराधार बताते हुए सदस्यों ने कहा कि वह लिखित तौर पर कह चुकी हंै कि उसके साथ कुछ नहीं हुआ है। हड़ताल के खिलाफ बिहार पावर वर्कर्स यूनियन के कार्यकारिणी महामंत्री राजीव मौर्या, राज्य विद्युत प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश, बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एसोसिएशन के महामंत्री संजीव कुमार शर्मा, बिहार-झारखंड राज्य विद्युत परिषद फील्ड कामगार यूनियन के अध्यक्ष नूर मोहम्मद ने भी  कंपनी को पत्र सौंपा है। 

बैठक पेसा ने नहीं बुलायी थी : महासचिव  
पेसा महासचिव सुरेन्द्र कुमार ने कहा है कि एक ओर प्रबंधन कहता है कि पेसा एक मान्यता प्राप्त संगठन नहीं है। दूसरी ओर इंजीनियरों की बैठक कराकर पेसा में नया अध्यक्ष, महासचिव चुनने की सलाह भी दे रहा है। यह दोहरी नीति है जिसे इंजीनियर समझ रहे हैं। सच्चाई है कि इस बैठक को पेसा ने नहीं बुलाया था। महासचिव ने आरोप लगाया है कि प्रबंधन ने साजिश कर पटना के डीएवी स्कूल में बिजली इंजीनियरों को बुलाया। आलाधिकारियों ने फोन कर बताया कि सीएमडी व एमडी परियोजना की समीक्षा करेंगे। समीक्षा बैठक में निदेशक और पेसा से बर्खास्त इंजीनियर शामिल हुए। बैठक में शामिल लोगों को डराया गया कि अगर वे प्रबंधन का साथ नहीं दिए तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। जबरदस्ती हॉल में बिठाया गया। इस पूरे प्रकरण से मैनेजमेंट की बौखलाहट दिखती है। साथ ही, यह भी साफ है कि हड़ताल समाप्त कराने के लिए बातचीत करने के बजाए अधिकारी संगठन को ही ब्लैकमेल करने में लगे हैं। अगर कंपनी की मंशा हड़ताल तुड़वाने की होती तो वे बातचीत करते, न कि तबादला या निलंबन। संगठन की एक ही मांग है कि अगर निजीकरण नहीं है तो बिजली कंपनी इसकी अधिसूचना जारी करे और कर्मचारियों पर हुई कार्रवाई को वापस ले। ऐसा नहीं होने पर हड़ताल कोई टाल नहीं सकता है।