17 Years of Neglect Pratapganj-Madhopur Road Remains Unusable Since Koshi Disaster प्रतापगंज-माधोपुर सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं, बरसात में घरों में कैद रहते हैं लोग, Supaul Hindi News - Hindustan
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प्रतापगंज-माधोपुर सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं, बरसात में घरों में कैद रहते हैं लोग

प्रतापगंज-माधोपुर सड़क, जो 2008 की कोशी त्रासदी में ध्वस्त हो गई थी, 17 वर्षों में भी नहीं बन पाई है। जर्जर सड़क के कारण 10 गांवों के लोगों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है। बरसात में सड़क पूरी तरह...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुपौलTue, 10 June 2025 03:44 AM
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प्रतापगंज-माधोपुर सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं, बरसात में घरों में कैद रहते हैं लोग

प्रतापगंज, निजप्रतिनिधि वर्ष 2008 की कोशी त्रासदी में ध्वस्त प्रतापगंज-माधोपुर सड़क का नर्मिाण विभागीय उदासीनता के कारण 17 वर्षों में भी नहीं हो सका है। इस कारण सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रही है। नतीजा यह है कि प्रतापगंज-छातापुर को जोड़ने वाली इस सड़क की जर्जर हालत के कारण 10 गांवों के लोगों के सामने आवागमन की समस्या बनी हुई है। प्रतापगंज प्रखंड की तेकुना पंचायत का पूर्वी भाग आदिवासी टोला और छातापुर प्रखंड के पश्चिमी भाग के गांव माधोपुर, उधमपुर, तिलाठी, महद्दीपुर के दो लाख से अधिक की आबादी के सामने एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड तक जाने आने में यातायात की भारी परेशानी हो रही है।

सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं बची है। ग्रामीण दिलीप उरांव, राजकुमार उरांव, जीतु उरांव, पंपाल उरांव, पवन प्रधान व दिलीप श्रीवास्तव आदि का कहना है कि जर्जर सड़क को बनाने के लिए कई बार प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी आकृष्ट किया जाता रहा है, लेकिन किसी ने इस महत्वपूर्ण सड़क को बनवाने में अब तक सार्थक प्रयास नहीं किया है। इसकी वजह से सड़क की हालत आज भी जस की तस बनी हुई है। बरसात के मौसम में लोगों का आना-जाना बंद कोशी त्रासदी में सड़क के बीच बने कटिंग के अलावे दो बड़ी मिरचईया और गेंडा नदी भी पड़ती है। गेंडा नदी पर लोग नीजी खर्च पर पुल के अभाव में चचरी पुल बनाकर पैदल या छोटे वाहन से आवाजाही करते हैं। जबकि मिरचईया नदी पर बना जर्जर स्लूईस गेट का सहारा ले दोनों प्रखंड तक की आवाजाही करते हैं। बरसात में अत्यधिक बारिश के कारण इस सड़क पर पूर्णतया आवाजाही बंद हो जाती है। परिणाम स्वरूप महदीपुर से प्रतापगंज 10 किलोमीटर का सफर अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। लोगों का कहना है कि प्रतापगंज बाजार हमलोगों का नजदीकी बाजार है। भले सरकार राज्य भर में सड़कों के जाल बिछाने का दम भरती हो लेकिन प्रतापगंज- महदीपुर सड़क पर किसी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है। हर बार जनप्रतिनिधियों से आश्वासन तो मिलता है, लेकिन बीते 17 सालों में नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा है। इधर, नवपदस्थापित प्रखंड विकास पदाधिकारी अमरेश कुमार मश्रिा ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। जल्द ही संबंधित विभाग से समन्वय बनाकर सड़क नर्मिाण का प्रयास किया जाएगा।

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