Biodegradable Fertilizer from Wet Waste MRF Center Set Up for Efficient Waste Management कचरा प्रबंधन के लिए शहर में बन रहा एमआरएफ सेंटर, Supaul Hindi News - Hindustan
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कचरा प्रबंधन के लिए शहर में बन रहा एमआरएफ सेंटर

सुपौल नगर परिषद क्षेत्र में कचरे के प्रबंधन के लिए मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर बनाया जा रहा है। 175 जगहों पर डस्टबिन लगाकर सूखा और गीला कचरा अलग-अलग संग्रहित किया जाएगा। इससे गीले कचरे से...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुपौलMon, 9 June 2025 04:15 AM
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कचरा प्रबंधन के लिए शहर में बन रहा एमआरएफ सेंटर

गीले कचरे से बनेगी जैविक खाद, अलग-अलग रहेगा सूखा और गीला कचरा 14 हजार रुपये की लागत आ रही एक एमआरएफ प्वाइंट पर, वार्डों में चल रहा काम 175 चन्हिति जगहों पर लगाया जा रहा डस्टबिन, साढ़े 24 लाख होंगे खर्च सुपौल, हन्दिुस्तान संवाददाता नगर परिषद क्षेत्र मेंं कचरे का प्रबंधन करने के लिए मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर बनाया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन 2 के तहत केन्द्रीय टीम ने सर्वेक्षण के बाद शहर में इसकी व्यवस्था होने की बात कही थी। सर्वेक्षण के बाद नगर विकास एवं आवास विभाग ने भी आदेश स्वच्छता के लिए इसे जरूरी बताते हुए ाए मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर बनाने का आदेश जारी किया।

विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद नगर परिषद द्वारा एमआरएफ सेंटर बनाने के लिए 175 जगह चन्हिति किया गया। 28 वार्डों में सभी चन्हिति जगहों पर इसका नर्मिाण कराया जा रहा है। करीब 80 जगहों पर मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर बनकर तैयार भी हो गया है। इसमें सूखा और गीला कचरा रखने के लिए अलग-अलग डस्टबीन लगा हुआ है। इस योजना से शहर में फैले कचरा को वाहन के माध्यम से इकट्ठा कर एमआरएफ सेंटर पर डंप किया जाएगा। पहले चरण में सूखा कचरा और प्लास्टिक प्रबंधन का काम होगा। मुख्य पार्षद राघवेन्द्र ने बताया कि शहर से प्रतिदिन निकलने वाले कचरा में 40 प्रतिशत सूखा कचरा होता है। मोहल्लों में बनाये गये सेंटर पर शहरवासी सूखा और गीला कचरा को अलग-अलग डस्टबीन में डालेंगे। वहां से नगर परिषद का कचरा संग्रहण वाहन उसे कलेक्ट परमेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर प्लांट में पहुंचाएंगे। गीला कचरा से जैविक खाद बनेगा जिससे नगर परिषद को आमदनी होगी। क्या है एमआरएफ सेंटर: नगर परिषद के दो वार्ड में मेटेरियल रिकवरी फैसलिटी(एमआरएफ) सेंटर में कई प्रकार के मशीन होंगे। जिसके माध्यम से सूखा कचरा को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उपयोगी और गैर उपयोगी सामानों को अलग-अलग किया जाएगा। अलग-अलग मशीनों से यह काम होगा। प्लांट को चलाने के लिए मोटर होगा। इससे शहर में कचरा प्रबंधन को नई दिशा मिलेगी। शहर से निकलता है 32 टन कचरा: नगर परिषद से मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल शहर से करीब 32 टन कचरा रोज निकलता है। इसमें 60 प्रतिशत गीला और 40 प्रतिशत सूखा कचरा होता है। फिलहाल शहरवासी सूखा कचरा को एक में मिला देते हैं जिसका प्रबंधन सही से नहीं हो पाता है। मजबूरन नगर परिषद उस कचरे को सड़क किनारे डंप करा देती है जिससे वातावरण भी दूषित होता है। इस सेंटर के खुलने के बाद इस तरह की समस्या से शहरवासियों को निजात मिलेगी। शहर में कचरा प्रबंधन होने से शहर की सफाई ससमय हो सकेगी। इससे शहर को एक नई पहचान मिलेगी। जैविक खाद बनेगा, शहर भी साफ दिखेगा: ईओ देवर्षि रंजन ने बताया कि शहर में कचरा प्रबंधन करने के लिए यह योजना काफी अच्छा साबित होगा और इससे शहर भी स्वच्छ रहेगा। सूखा और गीला कचरा अलग-अलग होने से उसका इस्तेमाल जैविक खाद बनाने में होगा। चार से पांच दिनों में सभी चन्हिति जगहों पर डस्टबीन लग जाएगा।

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