'मेरी जीप में पेट्रोल नहीं है', जब लालू यादव ने बीमार कर्पूरी ठाकुर को गाड़ी देने से कर दिया था इंकार
बिहार की राजनीति में दो नाम बेहद चर्चित हैं- लालू यादव और कर्पूरी ठाकुर। इन नेताओं से जुड़ा एक किस्सा है, जो खासा चर्चित है। एक रोज बीमार कर्पूरी ठाकुर ने लालू यादव को मेसेज भिजवाया कि उन्हें अपनी गाड़ी से विधानसभा छोड़ दें, तो जानिए लालू यादव ने क्या जवाब दिया…

ये किस्सा उन दिनों का है, जब कर्पूरी ठाकुर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। स्वास्थ्य खराब होने के चलते कर्पूरी ठाकुर अपने घर पर ही आराम कर रहे थे। लेकिन, एक रोज उन्हें विधानसभा में किसी बहस में हिस्सा लेने के लिए जाना पड़ा। एक तरफ कर्पूरी ठाकुर की बीमार हालत और दूसरी तरफ बहस में भाग लेने की महत्ता। वो अपने आपको रोक नहीं पाए और उन्होंने सभा में जाना तय किया। इसके लिए उन्होंने लालू यादव की मदद का सहारा लिया, लेकिन लालू ने जो बर्ताव किया उससे वो दंग रह गए।
कर्पूरी ठाकुर ने लालू को क्या मेसेज भिजवाया
कर्पूरी ठाकुर बेहद संयमित जीवन जीते थे। अन्य सीनियर नेताओं की तरह उनके पास सुख-सुविधाओं के तमाम साधन नहीं थे। उस दिन भी मौजूदा परिस्थिति में उनके आस-पास कोई गाड़ी नहीं थी, जिससे वो विधानसभा चले जाते। मगर तभी उन्होंने लोकदल के अपने सहयोगी शिवनंदन पासवान के जरिए संदेश भिजवाया कि उन्हें तत्काल प्रभाव से सभा में जाना है, तो वो उन्हें विधानसभा तक ले जाएं।
लालू यादव पर कर्पूरी ठाकुर के उपकार
लालू यादव उन दिनों खासा चमक और चकाचौंध से भरपूर जीवन बिता रहे थे। उनके पास एक जीप थी, जिसे वो खुद ड्राइव करके लाते ले जाते थे। लालू यादव और कर्पूरी ठाकुर के संबंध सबको मालूम थे। ये कर्पूरी ठाकुर ही थे, जिन्होंने लालू को आपातकाल के बाद जेल से बाहर आने पर साल 1977 में लोकसभा का टिकट दिलवाया था और फिर बाद में बिहार विधानसभा का टिकट दिलाने में भी मदद की थी।
लालू ने जीप देने से कर दिया इंकार
इस लिहाज से शिवनंदन पासवान ने अनुमान लगाया कि ये खबर पाते ही लालू यादव गाड़ी दौड़ाते हुए कर्पूरी ठाकुर के पास पहुंचेगे। मगर सब कुछ वैसा नहीं हुआ, जैसा उन्होंने सोचा था। लालू यादव ने पासवान को जो कहा, इसके लिए वो कतई तैयार नहीं थे। लालू ने कहा- 'आप कर्पूरी जी से खुद के लिए एक कार खरीदने को क्यों नहीं कहते? वह तो बड़े नेता हैं।' ये जवाब सुनकर वो वापस लौट आए और पूरा किस्सा कर्पूरी ठाकुर को कह सुनाया।
जीप देने से इंकार करने की क्या थी वजह
संकर्षण ठाकुर अपनी किताब 'बंधु बिहारी- कहानी लालू यादव व नीतीश कुमार की' में लिखते हैं कि लालू कर्पूरी जी को कभी पसंद नहीं करते थे, न ही इस तथ्य को कि उन्हें कर्पूरी जी की छाया के नीचे रहना पड़ा था। इसलिए जब वे मुख्यमंत्री बन गए तो उन्होंने उनका नाम मिटाना शुरु कर दिया। लालू यादव के ऊपर कर्पूरी जी के इतने उपकार थे, लेकिन उन्होंने उनका नाम तक लेना बंद कर दिया। वे नहीं चाहते थे कि उनका नाम अमर हो जाए। लालू यादव बिहार के सबसे बड़े नेता के तौर पर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाना चाहते थे।