केंद्रीय कर्मचारियों की नई स्कीम पर बड़ा अपडेट, PFRDA ने जारी किया नोटिफिकेशन
- PFRDA ने एकीकृत पेंशन योजना को अमल में लाने वाले नोटिफिकेशन को जारी कर दिया है। यह अधिसूचना राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत आने वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए है।

7th pay commission news: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम को लेकर एक बड़ी खबर है। दरअसल, पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को अमल में लाने वाले नोटिफिकेशन को जारी कर दिया है। यह अधिसूचना राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत आने वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए है।
क्या है योजना
इस योजना के तहत रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों में मिले औसत बेसिक सैलरी की 50 प्रतिशत राशि को सुनिश्चित पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है। नोटिफिकेशन के मुताबिक कर्मचारी को सर्विस से हटाए जाने या बर्खास्त किए जाने या इस्तीफे के मामले में यूपीएस या सुनिश्चित भुगतान विकल्प उपलब्ध नहीं होगा। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पूर्ण सुनिश्चित भुगतान की दर 25 वर्षों की न्यूनतम योग्यता सेवा के अधीन और रिटायरमेंट से तुरंत पहले 12 मासिक औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत होगी।
एक अप्रैल से लागू
पीएफआरडीए ने बयान में कहा कि यूपीएस से संबंधित नियम एक अप्रैल, 2025 से लागू हो जाएंगे। ये नियम एक अप्रैल, 2025 तक सेवा में मौजूदा केंद्र सरकार के एनपीएस में आने वाले कर्मचारी और केंद्र सरकार की सेवाओं में अप्रैल, 2025 को या उसके बाद भर्ती होने वाले कर्मचारियों समेत केंद्र सरकार के कर्मचारियों के नामांकन को सक्षम करते हैं।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों की इन सभी श्रेणियों के लिए नामांकन और दावा फॉर्म एक अप्रैल, 2025 से प्रोटीन सीआरए की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। कर्मचारियों के पास फॉर्म को फिजिकल रूप से जमा करने का विकल्प भी है। बता दें किअधिसूचना से 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस और एनपीएस के बीच चयन करने का विकल्प मिलेगा। एनपीएस एक जनवरी, 2004 को लागू हुआ था।
ओपीएस बनाम यूपीएस
जनवरी, 2004 से पहले प्रभावी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत कर्मचारियों को उनके कार्यकाल के अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था। ओपीएस के उलट यूपीएस अंशदायी प्रकृति की है। इसमें कर्मचारियों को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान करना होगा, जबकि नियोक्ता (केंद्र सरकार) का योगदान 18.5 प्रतिशत होगा। हालांकि, अंतिम भुगतान उस कोष पर मिलने वाले बाजार रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी बॉन्ड में निवेश किया जाता है।