रेपो रेट पर RBI का फैसला, बैंक में पैसे जमा करने वाले निवेशकों को झटका?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रेपो रेट को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.50 प्रतिशत कर दिया है। इसका फायदा लोन लेने वाले ग्राहकों को मिलेगा तो नुकसान पैसे जमा करने वाले ग्राहकों को होगा।

बीते शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बड़ी कटौती की थी। इस कटौती के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो रेट घटाकर 5.5% कर दिया है। यह इस साल की लगातार तीसरी कटौती है। इसका फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जिन्होंने होम या कार लोन ले रखा गया है। इसके अलावा लोन लेने वाले नए ग्राहकों को भी राहत मिलेगी। हालांकि, सावधि जमा (FD) निवेशकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
एफडी रिटर्न पर प्रभाव
2025 में रेपो रेट में 100 आधार अंकों यानी एक फीसदी की कटौती के बाद बैंक लगातार एफडी ब्याज दरों में कमी कर रहे हैं। एसबीआई रिसर्च के अनुसार फरवरी 2025 से एफडी ब्याज दरों में 30 से 70 आधार अंकों की गिरावट आई है। लघु और मध्यम अवधि की एफडी में भी बड़ी गिरावट आने वाली है। उदाहरण के लिए 1 साल की एफडी दर 7% से घटकर 6.5% हो जाने पर ₹10 लाख जमा पर सालाना ₹5000 कम ब्याज मिलेगा।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
InvestManager.in के संस्थापक और सीईओ दीपक कुमार जैन के मुताबिक जैसे-जैसे ब्याज दरें कम होती हैं, FD रिटर्न में गिरावट आने की संभावना बढ़ जाती है। संभवतः यह 7% प्रति वर्ष या उससे कम हो सकता है। इस कम दर वाले माहौल में, FD निवेशकों को अपनी निवेश रणनीति पर फिर से विचार करना चाहिए।
ट्रेडजिनी के सीओओ त्रिवेश डी कहते हैं कि अगर आपने पहले ही हाई-रेट एफडी में निवेश कर लिया है, तो आप अच्छी स्थिति में हैं। लेकिन अगर आप नए डिपॉजिट की योजना बना रहे हैं, तो यह कदम उठाने का सही समय हो सकता है। हमें लगता है कि दरों में और गिरावट आने से पहले मध्यम से लंबी अवधि के एफडी पर विचार करना समझदारी है। हालांकि, यह सिर्फ एफडी तक सीमित नहीं होना चाहिए। डेट म्यूचुअल फंड, खास तौर पर छोटी अवधि और टारगेट मैच्योरिटी वाले फंड बहुत ज्यादा आकर्षक लगने लगे हैं।