Explainer: कैरेट के हिसाब कैसे तय होती है सोने की कीमत, कैसे पहचाने असली-नकली
- How to check purity of Gold: सोने की शुद्धता की जांच कैसे होती है? कैरेट के हिसाब से इसकी कीमत कैसे तय होती है? 10 साल पहले क्या थे रेट? ऐसे तमाम सवालों का जवाब इस Explainer Story में…
How to check purity of Gold: सोना बुरे दिनों में काम आने वाला सबसे सुरक्षित निवेश है। भारतीय महिलाओं में सोने के प्रति मोह किसी से छिपा नहीं है। कीमत चाहे कितनी भी हो भारतीय दिल खोलकर सोना खरीदते हैं। ऐसा अनुमान है कि भारत, चीन के बाद दुनियाभर में सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। आज यानी 9 दिसंबर को सोना करीब 93 रुपये चढ़कर 76280 रुपये पर पहुंच गया है। 10 साल पहले 8 दिसंबर 2014 को भारत में 10 ग्राम सोने का भाव 24234 रुपये था और आज 76280 रुपये पर पहुंच गया है। यानी 10 साल में सोने की कीमत तीन गुने से अधिक हो गई है।
कौन तय करता है सोने की कीमत
हालांकि, बाजार में आप जिस कीमत पर सोना ज्वैलर्स से खरीदते हैं, वह स्पॉट प्राइस यानी हाजिर भाव होता है। अभी भारत में हर जगह सोना एक ही रेट पर नहीं मिलता। क्योंकि, अधिकतर शहरों के सर्राफा एसोसिएशन के सदस्य मिलकर मार्केट खुलने के समय दाम तय करते हैं। एमसीएक्स वायदा बाजार में जो दाम आते हैं, उसमें वैट, लेवी एवं लागत जोड़कर दाम घोषित किए जाते हैं। जबकि, पूरे देश में सोने का वायदा भाव एक होता है। इसके अलावा, स्पॉट मार्केट में सोने की कीमत शुद्धता के आधार पर तय होती है। बता दें भारत सरकार या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट (https://www.ibja.co/) के रेट को प्रमाणिक मानता है।
विदेश में कैसे तय होती हैं कीमतें
सोने की कीमतें-सोने की कीमतें कई फैक्टर से तय होती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें तय करने के लिए लंदन में एक संचालन और प्रशासनिक इकाई है, जो अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर काम करती है। पहली बार 1919 में सोने की कीमत फिक्स की गई थी।
2015 के पहले लंदन गोल्ड फिक्स सोने की नियामक इकाई थी जो कीमतें तय करती थीं, लेकिन 20 मार्च 2015 के बाद एक नई इकाई लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) बनाई गई। इसे ICE प्रशासनिक बेंच मार्क चलाता है।
ICE ने 1919 में बने लंदन गोल्ड फिक्स ईकाई का स्थान लिया है। यह संगठन दुनिया के तमाम देशों की सरकारों से जुड़े राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के साथ मिलकर तय करता है कि सोने की कीमत क्या होनी चाहिए। लंदन के समय अनुसार दिन में दो बार सुबह 10:30 और शाम को 3 बजे सोने की कीमतें तय होती हैं।
कितने कैरेट का होता है शुद्ध सोना
शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है। यह बहुत मुलायम होता है। इसलिए इस गोल्ड की ज्वेलरी नहीं बन सकती है। 24 कैरेट गोल्ड का इस्तेमाल सिक्कों व बार बनाने और इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल डिवाइसेज में उपयोग किया जाता है। आमतौर पर सोने के जेवर या अन्य वस्तुएं बनाने के लिए 14 से 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल होता है, जिसमें अधिकतम 91.6% सोना होता है। सोने के जेवर को मजबूती देने के लिए उसमें चांदी, तांबा और जिंक जैसी धातुओं को मिलाया जाता है।
कैरेट के हिसाब से सोने की शुद्धता
सोने की शुद्धता और सुंदरता को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को हॉलमार्किंग कहा जाता है। भारतीय मानक ब्यूरो ने पहले ही 14 कैरेट, 18 कैरेट, 22 कैरेट, 23 कैरेट और 24 कैरेट से बने आभूषणों और कलाकृतियों पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया हुआ है। यह कदम सोने की खरीदारी सुरक्षित बनाने और ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए उठाया गया है।
हॉलमार्किंग में शुद्धता ग्रेड की बात करें तो 22 कैरेट (916) गोल्ड में 91.6% शुद्ध सोना होता है। जबकि, 18 कैरेट (750) गोल्ड में 75% और 14 कैरेट (585) में 58.5% सोना होता है।
18 कैरेट सोने में 75 फीसद गोल्ड और 25 फीसद दूसरी धातुओं जैसे तांबा, चांदी मिला होता है। इसलिए सोना खरीदने से पहले हमेशा कैरेट की जांच करें। इसलिए सोना खरीदने से पहले हमेशा कैरेट की जांच करें।
कैरेट के हिसाब से सोने की कीमत कैसे निकालें
सोने की कीमत के हिसाब से कम और अधिक होती है। हम सोना 24 कैरेट और ज्वैलरी 22 कैरेट में खरीदते हैं। अगर आपको 22 कैरेट सोने की कीमत पता करनी है तो 24 कैरेट सोने के भाव में 24 का भाग दें और 22 से गुणा करें इससे आपको 22 कैरेट सोने की कीमत पता चल जाएगी।
इन तीन निशानों से ऐसे पहचानें सोने की शुद्धता
1. बीआईएस स्टैंडर्ड मार्क
यह निशान एक त्रिकोण के आकार में होता है जिसके नीचे “BIS” लिखा होता है। यह निशान सोने की शुद्धता का सबसे बड़ा प्रमाण होता है। यह बताताहै कि सोने की जांच बीआईएस से मान्यता प्राप्त लैब में की गई है और यह तय शुद्धता के मानकों को पूरा करता है।
2. HUID नंबर
यह छह अंकों की हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (HUID) होती है, जो सभी हॉलमार्क गोल्ड पर होती है। यह नंबर जुलरी बनाने वाले और हॉलमार्किंग केंद्र को ट्रैक करने में मदद करता है। सोने के आभूषण खरीदते समय इसकी भी जांच जरूर करें।
3. शुद्धता का ग्रेड
यह दूसरा महत्वपूर्ण निशान है, जो कैरेट और अंक में दर्शाया जाता है। जैसे :
22K (916): 91.6% शुद्ध सोना
18K (750): 75% शुद्ध सोना
14K (585): 58.5% सोना
मोबाइल ऐप के करें शुद्धता की जांच
गूगल प्ले स्टोर या एप्पल ऐप स्टोर से BIS केयर ऐप डाउनलोड करें।
यह ऐप भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा बनाया गया है, जो सोने-चांदी समेत कई प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और वैधता की जांच करने में मदद करता है।
ऐप के होमपेज पर जाकर ‘वेरिफाई HUID’ के ऑप्शन पर क्लिक करें।
इसके बाद अपने गहनों पर लिखे 6 अंकों के HUID कोड को दर्ज करें।
अगर जेवर असली होंगे तो ऐप ज्वेलरी की शुद्धता, प्रोडक्ट का नाम जैसी जानकारी दिखाएगा।
अपने घर में भी कर सकते हैं जांच
एसिड टेस्ट: आप पिन से सोने पर हल्का सा स्क्रैच लगाएं और फिर उस सक्रैच पर नाइट्रिक एसिड की एक बूंद डालें। अगर वह सोने का रंग हरा हुआ तो नकली होगा और अगर आप का सोना असली है तो इसके रंग में कोई अंतर नहीं आएगा।
मैग्नेट टेस्ट: जब भी आप सोना खरीदने जाए, अपने साथ स्ट्रांग चुंबक लेकर जाएं। असली सोना कभी भी चुंबक पर चिपकता नहीं है और अगर सोना थोड़ा सा भी चुंबक की ओर खिंचता है हो तो समझ जाएं कि सोने में अधिक मिलावट है।
पानी में डुबो कर देखें: सोना कभी भी पानी पर तैरता नहीं है, बल्कि डूब जाता है। अगर आपको असली सोना पहचानना हो तो एक ग्लास पानी में सोने को डुबोएं। अगर वह असली होगा तो सोना पूरी तरह डूब जाएंगा। अगर यह पानी की सतह पर तैरने लगे तो समझ जाएं कि यह नकली है।
विश्वसनीय दुकानों से खरीदें
हमेशा सोना विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें। इसके लिए बड़े शोरूम और पॉपुलर दुकानों पर भरोसा किया जा सकता है। बड़े शोरूम आपको सोने के असली होने को लेकर पूरे जरूरी बिल देते हैं, जिससे आप जब इसे बेचने भी जाते हैं तो आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता। वहीं, असली सोने की खनक भारी होती है, जबकि नकली सोना लोहे के गिरने जैसी आवाज देता है।
बिल जरू लें: हॉलमार्क वाला सोना लेने के साथ खरीद का प्रामाणिक बिल प्राप्त करें। बिल में प्रत्येक वस्तु का विवरण, कीमती धातु का शुद्ध वजन, कैरेट में शुद्धता और हॉलमार्किंग शुल्क की आवश्यकता होनी चाहिए।
मेकिंग चार्ज पर करें मोल-भाव : इस शुल्क पर कोई सरकारी दिशा-निर्देश नहीं है और इसलिए ज्वेलर्स अपनी लागत के हिसाब से 2 फीसदी से 20