पेट्रोल-डीजल से सरकार ने हटा लिया यह टैक्स, क्या दाम भी होंगे कम?
- Petrol Diesel Price: मोदी सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल, विमानन ईंधन (ATF) और डीजल-पेट्रोल के निर्यात पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स को खत्म कर दिया है। इस फैसले से तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा और उन पर पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने का दबाव भी बनेगा।

मोदी सरकार ने तेल कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल, विमानन ईंधन (ATF) और डीजल-पेट्रोल के निर्यात पर लगने वाले अप्रत्याशित लाभ कर यानी विंडफॉल टैक्स को खत्म कर दिया है। सोमवार को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में इस संबंध में अधिसूचना पेश की। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा और उन पर पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने का दबाव भी बनेगा।
फिलहाल उपभोक्ताओं को सीधी राहत नहीं
एचडीएफसी में करंसी और कमोडिटी विभाग के प्रमुख अनुज गुप्ता का कहना है कि चूंकि यह टैक्स तेल कंपनियों पर लागू होता है, इसलिए इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर नहीं देखा जाता। हालांकि, लंबी अवधि में कम लागत उत्पादन और निर्यात से होने वाले लाभ को कंपनियां निवेशकों और वितरकों तक पहुंचा सकती हैं।
रिलायंस और ओएनजीसी जैसी कंपनियों का फायदा
अधिसूचना ने इस टैक्स का प्रावधान करने वाले 30 जून 2022 के आदेश को रद्द कर दिया है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा किए गए ईंधन के निर्यात पर लगने वाले शुल्क को खत्म कर दिया गया है।
इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर लगाया गया सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर (आरआईसी) भी वापस ले लिया गया है। सरकार ने यह कर लगाने के पहले वर्ष में शुल्क से लगभग 25,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 13,000 करोड़ रुपये और चालू वित्त वर्ष में 6,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
जुलाई 2022 में पहली बार लगाया था कर
सरकार ने पहली बार एक जुलाई, 2022 को अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था। इस तरह वह उन देशों में शामिल हो गया था, जो पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले असाधारण लाभ पर कर लगाते हैं। उस समय पेट्रोल और एटीएफ पर छह रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लगाया गया था। इसके साथ घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन का अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था।
हर 15 दिन में होती है समीक्षा
विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैक्स को खत्म करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में नरमी के बाद लिया गया है। इस कर प्रावधान की हर पखवाड़े समीक्षा कर सरकार दरों में संशोधन करती थी। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले कच्चे तेल का औसत मूल्य नवंबर में 73.02 डॉलर प्रति बैरल था, जो अक्टूबर के 75.12 डॉलर प्रति बैरल से कम है। इस साल अप्रैल में औसत आयात मूल्य लगभग 90 डॉलर प्रति बैरल था।
क्या है अप्रत्याशित कर
यह कर तेल कंपनियों के अतिरिक्त मुनाफे पर वसूला जाता है। इसे अस्थायी तौर पर लगाया गया था ताकि तेल कंपनियों के बड़े मुनाफे से सरकार अतिरिक्त राजस्व जुटा सके। इससे पहले जब यह टैक्स वसूला जा रहा था तब सरकार का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बहुत ज्यादा हैं और भारतीय कंपनियां देश में तेल बेचने की जगह सारा निर्यात करना चाह रही थीं। ऐसे में उन कंपनियों के उत्साह को कम करने के लिए काफी कर वसूला गया था।