RBI Monetary Policy: सस्ते होंगे लोन और कम होगी आपकी EMI, आरबीआई ने घटाया रेपो रेट
- RBI Monetary Policy: ट्रंप टैरिफ के साए में आरबीआई की एमपीसी आज नीतिगत दरों का ऐलान कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर किया है।

RBI Monetary Policy Live: ट्रंप टैरिफ के साये में आरबीआई की एमपीसी ने आज नीतिगत दरों का ऐलान कर दिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट (0.25 प्रतिशत) घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया हैं। दरों में कटौती से आम आदमी को सीधे तौर पर सस्ते लोन की सुविधा मिल सकती है। ईएमआई कम होगी और अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास से रोजगार व आय के अवसर बढ़ेंगे। हालांकि, बचत पर रिटर्न कम होने जैसे नुकसान भी हो सकते हैं।
10:15 AM RBI Monetary Policy Live Updates: मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत करने का निर्णय किया है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया। पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.5 पर्सेंट रहने का अनुमान है, जो पिछले अनुमान 6.7% से कम है।आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महंगाई दर 4 पर्सेंट रहने का अनुमान है।
9:25 AM RBI Monetary Policy Live Updates: आम आदमी पर रेट कट का क्या होगा असर
बैंकों को आरबीआई से सस्ते दरों पर पैसा मिलेगा, जिससे वे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन आदि पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं। इससे ईएमआई (EMI) कम होगी और लोगों की मासिक बचत बढ़ेगी। छोटे व्यवसायियों और उद्यमियों को भी सस्ते लोन मिलेंगे, जिससे निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
9:15 AM RBI Monetary Policy Live Updates: ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और बाजारों को झटका दिया है। एसबीआई रिसर्च के अनुसार, भारत पर प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित हो सकता है (निर्यात जीडीपी का 4% है), लेकिन वैश्विक विकास मंदी और वित्तीय अस्थिरता से अप्रत्यक्ष असर पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया, ट्रेड वॉर के कारण 2025 में वैश्विक जीडीपी 30-50 बीपीएस कम हो सकती है। वैश्विक निर्यात 2024 के 2.9% से घटकर 2025-26 में 1.3% रह जाएगा।"
8:30 AM RBI Monetary Policy Live Updates: 10 बजे नतीजों की घोषणा
आज सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा मॉनेटरी पॉलिसी के नतीजों की घोषणा करेंगे। बता दें फरवरी 2025 की पिछली बैठक में, आरबीआई ने लगभग पांच साल बाद पहली बार रेपो दर में 25 आधार अंक (बीपीएस) की कटौती की थी, लेकिन मौद्रिक रुख "तटस्थ" रखा था। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिया था कि मुद्रास्फीति लक्ष्य के अनुरूप आ रही है। भारत में मुद्रास्फीति 4% से नीचे आ गई है। फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) 3.61% रही। मार्च का डेटा 14 अप्रैल को आएगा। एसबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, FY26 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 4% से नीचे रह सकती है।
7:40 AM RBI Monetary Policy Live Updates: क्या आरबीआई बड़ा रेट कट करेगा?
मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने के बावजूद, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ट्रेड वॉर की अनिश्चितता को देखते हुए 50 बीपीएस की कटौती असंभव है। रिलायंस ब्रोकिंग के रवि सिंह के अनुसार, "रेपो रेट में 25 बीपीएस की कटौती हो सकती है, क्योंकि मुद्रास्फीति नियंत्रित है और रुपया मजबूत हो रहा है।" इन्फोमेरिक्स के मनोरंजन शर्मा भी 50 बीपीएस कटौती को अनावश्यक बताते हैं। उनके अनुसार, FY26 में रेपो दर में 75-100 बीपीएस की कमी संभव है।
अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई इस बैठक में 25 बीपीएस की ही कटौती करेगा, ताकि विकास को समर्थन मिले और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना रहे। ट्रेड वॉर के जोखिमों को देखते हुए, बड़ी कटौती से परहेज किया जा सकता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की पिछली बैठक के बाद से काफी कुछ बदल गया है। अच्छी बात ये है कि मुद्रास्फीति कम हुई है और आर्थिक विकास में तेजी आई है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से शुरू हुए ट्रेड वॉर के आर्थिक प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
भारत की मौद्रिक नीति और रुख पर विचार करते हुए, आरबीआई के एमपीसी सदस्यों को इस ट्रेड वॉर के देश के ग्रोथ-इन्फ्लेशन संतुलन पर पड़ने वाले प्रभाव का गहन आकलन करना होगा। बता दें तीन दिवसीय द्विमासिक बैठक सोमवार, 7 अप्रैल को शुरू हुई और नतीजे 9 अप्रैल यानी आज होंगे।
क्यों बढ़ी रेपो रेट में कटौती की उम्मीद
रेपो रेट में कटौती की उम्मीद बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। इनमें महंगाई दर है, जो फरवरी में घटकर 3.61 प्रतिशत (7 महीने का निचला स्तर) पर पहुंच गई है। इस साल GDP ग्रोथ भी 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 4 साल में सबसे कम है।