BSUSC Vacancy : बिहार में 2000 पदों पर नई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती निकलने की उम्मीद
- BSUSC Bihar Assistant Professor Vacancy : बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को मई तक लगभग दो हजार और रिक्तियां आने की उम्मीद है। इस पर काम चल रहा है।

BSUSC Bihar Assistant Professor Vacancy : बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को मई तक लगभग दो हजार और रिक्तियां आने की उम्मीद है। शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों से रिक्तियां मांगी है। इसपर तेजी से कार्य हो रहा है। शिक्षा विभाग ने आरक्षण रोस्टर के हिसाब से मार्च के पहले तक रिक्तियां मांगी है, ताकि चुनाव के पहले सहायक प्राध्यापकों की रिक्तियों को निकाल दिया जाए। वर्तमान में चल रही रिक्तियों में लगभग चार रिक्तियां बची हैं। शेष 13 विषयों के साक्षात्कार के बाद पता चलेगा इसमें और कितनी रिक्तियां शेष रहती हैं। सभी को जोड़कर विभाग एकबार फिर रिक्तियां निकालेगा। इसके अलावा ललित नारायण मिश्रा इंस्टीट्यूट में 39 सहायक प्राध्यापकों के लिए भी आवेदन लिए गए हैं। इसकी प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी।
सहायक प्राध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया मई तक पूरी होगी
सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया मई में पूरी कर ली जाएगी। 13 विषयों में कुल 1931 रिक्तियों को भरा जाना है। इसके लिए 32140 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। यह जानकारी बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने दी। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक रिक्तियां वनस्पति विज्ञान में 333, इतिहास विषय में 316, जन्तु विज्ञान में 285, राजनीति विज्ञान में 280, अंग्रेजी में 253, वाणिज्य में 112, पर्यावरण विज्ञान में 104, गृह विज्ञान में 83, संस्कृत में 76 सहित अन्य विषयों में रिक्तियां कम हैं। प्राचार्यों की नियुक्ति की स्क्रूटनी 17 फरवरी तक पूरी कर ली जाएगी। मार्च के अंतिम सप्ताह तक प्राचार्यों की नियुक्ति कर दी जाएगी। इसके तहत 172 कॉलेजों में स्थाई प्राचार्यों की नियुक्ति होगी है।
आरोप गलत उन्होंने बताया कि आयोग पर कई गलत आरोप भी लगाए जा रहे हैं। 23 वर्ष के उम्र वाले एक भी अभ्यर्थी की नौकरी नहीं हुई है। जिसके संबंध में आरोप लगाए जा रहे हैं उसकी उम्र 42 वर्ष 9 माह है। उसके पंजीयन में गलत आवेदन किया था, पर फॉर्म में सही उम्र का जिक्र है। वहीं एक अभ्यर्थी ने पूरे शोध पत्र के बदले में शोध पत्र प्रकाशित करने का प्रमाणपत्र मात्र संलग्न किया, उन्हें शून्य अंक दिया गया। उस अभ्यर्थी ने शोध पत्र की हार्ड कॉपी जमा नहीं की। ऐसी स्थिति में विशेषज्ञों ने उन्हें शून्य अंक दिया। इसके अलावा आरोप लगाया जा रहा है कई अभ्यर्थी गलत दिव्यांग प्रमाण पत्र के माध्यम से भर्ती हो गए हैं।
इस मामले में अध्यक्ष ने सफाई देते हुए बताया कि सिविल सर्जन की अध्यक्षता में नियुक्त मेडिकल बोर्ड द्वारा गठित टीम दिव्यांगता का सर्टिफिकेट देती है। इसे आयोग चैलेंज नहीं कर सकता। उन्होंने बताया कि 39 विषयों में चयन के बाद अलग-अलग विषयों में 392 रिक्तियां बची रह गई हैं। अबतक 2315 सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति हो चुकी है।