ऐसी गर्मी जिससे चली जाए जान; UPSC ने पूछा तापमान से जुड़ा प्रश्न, क्या आप जानते हैं उत्तर?
भीषण गर्मी और उमस के दौर में यूपीएससी ने तापमान से जुड़ा एक ऐसा प्रश्न पूछ लिया है जिसे आम इंसान को भी जानना जरूरी है।

क्या कभी आपने सोचा है कि वह कौन-सी घड़ी होगी जब गर्मी और उमस इंसान और जानवर दोनों के लिए जानलेवा बन जाएगी? ऐसी ही एक चेतावनी हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने दी थी और UPSC ने उसी से जुड़ा सवाल 2025 की सिविल सेवा परीक्षा में पूछ लिया। यह सवाल न सिर्फ परीक्षार्थियों के लिए था बल्कि हर उस शख्स के लिए अहम है जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को अब भी हल्के में ले रहा है।
UPSC के इस सवाल में पूछा गया था कि भारत में वेट-बल्ब तापमान के 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने की चेतावनी का क्या मतलब है। दो कथन दिए गए थे- एक, प्रायद्वीपीय भारत को जलवायु संबंधी आपदाओं का खतरा है और दूसरा, इंसानों व जानवरों की जान पर खतरा मंडराने लगता है क्योंकि शरीर पसीने से तापमान नहीं घटा पाता।
इस प्रश्न के मल्टीपल चॉइस उत्तर थे यानी एक या एक से अधिक कथन सही हो सकते हैं। इस प्रश्न के उत्तर की बात करें तो इस प्रश्न के दोनों विकल्प सही हैं। आइए इस प्रश्न के उत्तर के व्याख्या को समझते हैं।
वेट-बल्ब तापमान है क्या?
दरअसल भीषण गर्मी और उमस के इस दौर में वेट बल्ब तापमान को समझना जरूरी हो गया है, क्योंकि यह इंसान की गर्मी सहने की सीमा का सीधा संकेतक है। वेट-बल्ब तापमान वह तापमान है जो हवा के सूखे तापमान और उसमें मौजूद नमी को मिलाकर निकाला जाता है। वेट-बल्ब तापमान उस स्थिति को दर्शाता है जब गर्मी के साथ हवा में नमी का स्तर इतना ज्यादा हो जाता है कि इंसानी शरीर पसीने के जरिये खुद को ठंडा नहीं रख पाता। 2010 की एक स्टडी में वेट बल्ब तापमान की अधिकतम सुरक्षित सीमा 35 डिग्री सेल्सियस मानी गई थी अगर वेट-बल्ब तापमान इसके पार चला जाए तो इंसानी शरीर सिर्फ कुछ घंटों में जान भी गंवा सकता है। यानी चाहे आप कितनी भी छांव में हों, पंखा चला रहे हों या पानी पी रहे हों, शरीर तब भी खुद को ठंडा नहीं कर पाएगा।
दोनों कथन क्यों सही हैं?
पहला कथन इसलिए सही है क्योंकि प्रायद्वीपीय भारत पहले ही जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है, चाहे वो केरल की बाढ़ हो, ओडिशा के चक्रवात हों या महाराष्ट्र का सूखा हो। वहीं दूसरा कथन सीधे उस डरावनी हकीकत की तरफ इशारा करता है जिसमें वेट-बल्ब तापमान 35 डिग्री के पार जाने पर पसीना भी शरीर को ठंडा नहीं कर पाता और जान जाने का खतरा असली बन जाता है।
ऐसे में इस प्रश्न का उत्तर जानना यूपीएससी की परीक्षा देने वाले अभयर्थियों के लिए सिर्फ एक परीक्षा का हिस्सा नहीं था, बल्कि यह एक बड़ा संदेश है कि अब भी वक्त संभलने का है। बढ़ता तापमान सिर्फ मौसम की बात नहीं, हमारे वजूद का सवाल बन चुका है।