NEET UG 2025 AIR 3 Krishang Joshi Success story want to study in aiims delhi पेपर लीक से डगमगाया भरोसा, फिर भी डटे रहे NEET AIR 3 कृषांग; कहां से करेंगे डॉक्टरी, Career Hindi News - Hindustan
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पेपर लीक से डगमगाया भरोसा, फिर भी डटे रहे NEET AIR 3 कृषांग; कहां से करेंगे डॉक्टरी

17 साल के कृषांग जोशी पिछले साल के पेपर लीक विवाद से परेशान थे लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ। पुणे के हॉस्टल में रहकर दिन-रात की मेहनत की और आज उसके नाम के आगे नीट यूजी 2025 परीक्षा का ऑल इंडिया रैंक 3 लग गया है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 14 June 2025 10:45 PM
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पेपर लीक से डगमगाया भरोसा, फिर भी डटे रहे NEET AIR 3 कृषांग; कहां से करेंगे डॉक्टरी

NEET UG 2025 AIR 3 Krishang Joshi Success story: महाराष्ट्र के कृषांग जोशी ने NEET UG 2025 में ऑल इंडिया रैंक 3 हासिल किया है। 17 साल के कृषांग को पूरा भरोसा था कि वह पहली कोशिश में मेडिकल की परीक्षा निकाल लेगें, लेकिन टॉप 3 में आना उनकी उम्मीद से बाहर था। खासकर पिछले साल हुए NEET पेपर लीक विवाद के बाद तो उसका आत्मविश्वास भी डगमगाया हुआ था।

टॉप 10 की भी उम्मीद नहीं थी

टाइम्स ग्रुम को दिए इंटरव्यू में कृषांग बताते हैं कि पेपर लीक की वजह से वह इस बार की परीक्षा को लेकर अनिश्चित थे। उन्होंने कहा, “पिछली बार पेपर इतना आसान था कि किस्मत ज्यादा चलती थी। इस बार पेपर अलग था तो लगा टॉप 50 में आ सकता हूं, लेकिन टॉप 5 आऊंगा ये सोचा भी नहीं था।”

नामी कॉलेज नहीं डॉक्टर बनना है मकसद

जब कृषांग से पूछा गया कि क्या वो एम्स दिल्ली को लेकर बेहद जुनूनी है, तो उसने कहा, “कॉलेज का टैग नहीं, अच्छा डॉक्टर बनना मेरा मकसद है।” हालांकि उसने ये भी माना कि एम्स दिल्ली देश का बेहतरीन मेडिकल कॉलेज है, जहां की फैकल्टी और रिसोर्सेज छात्र को हर पहलू से तैयार करती हैं।

कृषांग पुणे में एक संस्थान में पढ़ाई कर रहे थे। सुबह 9 बजे से रात 1 बजे तक उसका दिन पूरी तरह पढ़ाई से भरा होता था। मगर इसके बावजूद वह हर रोज 6-8 घंटे की नींद जरूर लेते थे। हालांकि, कृषांग का मानना है कि अगर किसी को प्रोसेस या रूटीन से प्यार है, तो थकावट महसूस नहीं होती।

क्या है कृषांग की सफलता का राज

जब उससे पूछा गया कि उसकी सफलता का राज क्या है, तो उसने दो शब्दों में जवाब दिया, "कॉन्सेप्चुअल अंडरस्टैंडिंग"। उन्होंने बताया, “जब तक मैं फॉर्मूले रटता रहा, उलझा रहा। लेकिन जब से कॉन्सेप्ट समझने लगा, तब से सवाल खुद-ब-खुद हल होने लगे।”

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