पर्यटकों से गुलजार बीजापुर का 'नंबी' वॉटरफॉल, छत्तीसगढ़ के सबसे ऊंचे जलप्रपात के बारे में जानिए
नंबी जलप्रपात तक पहुंचने के लिए फिलहाल सड़क मार्ग नहीं है,लेकिन यहां तक पहुंचना एडवेंचर से भरा है। मानसून के आगमन और बारिश से इस वॉटरफॉल की खूबसूरती में चार चांद लग गया है। नंबी जलप्रपात के अलावा बस्तर संभाग के चित्रकोट,तीरथगढ़ प्रमुख है।

छत्तीसगढ़ के सबसे ऊंचे जलप्रपात में शुमार नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में स्थित नंबी जलप्रपात इन दिनों पर्यटकों से गुलजार हो गया है। मानसून की दस्तक के साथ हर रोज बड़ी संख्या में यहां पर्यटक इस खूबसूरत वॉटरफॉल को देखने पहुंच रहे हैं। दरअसल घोर नक्सल प्रभावित भोपालपट्टनम क्षेत्र में मौजूद यह वॉटरफॉल माओवादियों की मौजूदगी की वजह से गुमनाम था और पर्यटक इस खूबसूरत वॉटरफॉल से अंजान थे,लेकिन हाल ही में नंबी गांव के पास पुलिस कैंप खोले जाने और नक्सलियों को पीछे खदेड़ने के बाद अब यहां हर रोज बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं और इस खूबसूरत वॉटरफॉल का लुत्फ उठा रहे हैं।
नंबी जलप्रपात तक पहुंचने के लिए फिलहाल सड़क मार्ग नहीं है,लेकिन यहां तक पहुंचना एडवेंचर से भरा है। मानसून के आगमन और बारिश से इस वॉटरफॉल की खूबसूरती में चार चांद लग गया है। नंबी जलप्रपात के अलावा बस्तर संभाग के चित्रकोट,तीरथगढ़ प्रमुख है। चित्रकोट जलप्रपात को भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है। यह बस्तर का सबसे बड़ा झरना है और इंद्रावती नदी पर स्थित है। तीरथगढ़ जलप्रपात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है और भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है। बारिश की वजह से इन वाटरफॉल की खूबसूरती में चार चांद लग गया हैं। वॉटरफॉल का नजारा देखने बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं।
पहाड़ी और जंगल के बीच नंबी वाटरफॉल
बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नंबी गांव में यह जलप्रपात मौजूद है। चारों ओर पहाड़ियों से घिरा और घने जंगल के बीच मौजूद यह वॉटरफॉल छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा वॉटरफॉल है। लगभग 350 फीट ऊंचाई से गिरते इस वॉटरफॉल का नजारा देखते ही बनता है। साल 2015 में पहली बार इस वॉटरफॉल की तस्वीर सामने आई थी, हालांकि उसके बाद भी नक्सलभय की वजह से यहां तक गिने-चुने ही पर्यटक पहुंच पाते थे, लेकिन अब गलगम और नंबी गांव में पुलिस कैंप खुलने के बाद पर्यटक इस वॉटरफॉल तक पहुंच रहे हैं। फोर्स की मौजूदगी की वजह नक्सली दहशत अब कम है।
नंबी वॉटरफॉल को पर्यटन स्थल बनाने की मांग
नबी वॉटरफॉल तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग नहीं है,बावजूद पर्यटक ट्रैकिंग कर पहुंच रहे हैं। स्थानीय ग्रामीण इन पर्यटकों की यहां तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। वाटरफॉल तक पहुंचने छोटे बड़े पत्थर,चट्टान और घने जंगल से होकर जलप्रपात के नीचे तक पहुंचा जा सकता है। गांव की समिति की तरफ से ट्रैक से पहले मामूली प्रवेश शुल्क की पर्ची काटी जा रही है। पर्यटकों की सुविधा और स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिल सके, इसके लिए जिला प्रशासन से लगातार ग्रामीण नंबी वॉटरफॉल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं। जिला प्रशासन भी पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रहा है।
नंबी जलप्रपात पर्यटकों को कर रहा आकर्षित
कलेक्टर संबित मिश्रा ने बताया कि नंबी जलप्रपात लगभग दो दशक यानी 20 साल बाद आम जनता और पर्यटकों की पहुंच में आ गया है। कुछ समय पहले तक नंबी की पहाड़ियों पर या तो सिर्फ सन्नाटा पसरा रहता था या गोलियों की आवाज गूंजती थी। हाल में सुरक्षाबलों ने कर्रेगुट्टा पहाड़ पर सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन चलाया था। फोर्स की मौजूदगी की वजह से अब हालात बदल चुके हैं। नंबी की चोटियां अब नेचर ट्रैकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और रैपलिंग जैसे साहसिक पर्यटन के लिए तैयार हो रहा है। मानसून की पहली फुहारों के साथ ही नंबी की हरियाली खिल उठी है। पर्यटक यहां आकर कह सकते हैं... वाकई अब बस्तर बदल रहा है।
'पर्यटन से बीजापुर की पहचान बदल रही'
कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा कि बीजापुर जिला प्रशासन नंबी के साथ ही लंकापल्ली जैसे जलप्रपातों को सुरक्षित बनाकर एडवेंचर टूरिज्म हब बनाने की योजना पर काम कर रहा है। नंबी और लंकापल्ली जलप्रपात के साथ ही जिले में ऐसे कई मनोरम पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें अब हम एक विस्तृत कार्ययोजना के साथ विकसित करने पर काम कर रहे हैं। पर्यटन केंद्र और यहां का सुरक्षित माहौल बीजापुर जिले की पहचान बदलेंगे। सुरक्षा बलों की स्थायी तैनाती से इलाका अब सुरक्षित हो रहा है। पर्यटन सुविधा केंद्र बनाने की योजना है। स्थानीय युवाओं को गाइड और टूर ऑपरेटर बनाएंगे, जिससे उन्हें रोजगार से जोड़ा जा सकेगा।
ऐसे पहुंच सकते हैं नंबी वाटरफॉल
बीजापुर जिले के उसूर ग्राम से आठ किमी पूर्व की ओर नडपल्ली गांव को पार कर जाने पर नंबी गांव आता है। इस गांव से तीन किमी जंगल की ओर दक्षिण दिशा में पहाड़ पर बहुत ही ऊंचा जलप्रपात है, जिसे नीचे से देखने पर एक पतली जल धारा बहने के समान दिखाई देती है। इसलिए इसे नंबी जलधारा कहते हैं। धरती की सतह से लगभग 350 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले इस जलधारा को देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि यह बस्तर की सबसे ऊंची जलधारा है। यह वॉटरफॉल सिर्फ नक्सलवाद की वजह से पर्यटकों से दूर था। अब उन्हें स्पेशल टूरिज्म जोन के रूप में डवलप करने की तैयारी चल रही है।
रिपोर्ट-संदीप दीवान
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