269 गांवों को पानी, 125 मेगावाट बिजली उत्पादन; छत्तीसगढ़ के इस प्रोजेक्ट की हो रही खूब चर्चा
दरअसल, बोधघाट प्रोजेक्ट 1979 से लंबित है। इसकी आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने रखी थी। इस परियोजना के शुरू होने से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांवों को लाभ मिलेगा। CM विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा के दौरान कहा था कि बस्तर संभाग लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा।

छत्तीसगढ़ के बोधघाट सिंचाई परियोजना को दोबारा शुरू करने की घोषणा की गई है। यह बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट अब बस्तर को विकास के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी नई दिशा देगा। दंतेवाड़ा,बीजापुर और सुकमा जिलों के ग्रामीण अंचलों में स्थायी सिंचाई एवं ऊर्जा उत्पादन की मजबूत आधारशिला रखी जाएगी। दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा और बिजली उत्पादन बढ़ाने दंतेवाड़ा जिले की इंद्रावती नदी पर यह प्रोजेक्ट तैयार की जाएगी। इस प्रोजेक्ट पर लगभग 49,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पीएम नरेंद्र मोदी से सीएम विष्णुदेव साय ने इस पर लंबी चर्चा की है।
दरअसल, बोधघाट प्रोजेक्ट 1979 से लंबित है। इसकी आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने रखी थी। इस परियोजना के शुरू होने से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांवों को लाभ मिलेगा। सीएम विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा के दौरान कहा था कि बस्तर संभाग लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा है। इसी वजह से संभाग सिंचाई साधनों के विकास में पिछड़ गया है। बस्तर के विकास के लिए बोधघाट बहुउद्देशीय बांध परियोजना निर्णायक साबित होगी। यह परियोजना, लंबे समय से इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है। इंद्रावती, गोदावरी नदी की बड़ी सहायक नदी है। गोदावरी जल विवाद अभिकरण के वर्ष 1980 के अवॉर्ड में भी अन्य योजनाओं के साथ बोधघाट परियोजना का उल्लेख किया गया है। इस अवॉर्ड में शामिल किए गए दूसरे राज्यों के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं, लेकिन अति संवेदशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से बोधघाट प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं किया जा सका। अब 46 साल बाद फिर काम शुरू होने की उम्मीद जगी है।
बस्तर को मिलेगा जल शक्ति का वरदान
CM विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सिंचाई रकबा में लगातार वृद्धि हुई है। हाल ही में दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बोधघाट परियोजना पर चर्चा की गई। इस परियोजना से बस्तर अंचल के किसानों को भरपूर सिंचाई सुविधा मिलेगी। साथ ही इंद्रावती और महानदी की इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू किया गया है, जिससे सिंचाई रकबा बढ़कर 7 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा। सीएम साय ने कहा कि बस्तर अब विकास की मुख्यधारा में है। कभी जहां गोलियों की आवाज़ सुनाई देती थी, वहां अब स्कूलों की घंटियां गूंज रही हैं। बोधघाट प्रोजेक्ट से बस्तर को एक बड़ी सुविधा और पहचान मिलेगी।
बस्तर के विकास की रफ्तार होगी डबल
बोधघाट बांध परियोजना से बस्तर संभाग में सिंचाई साधनों का दायरा बढ़ने के साथ ही बस्तर के विकास को डबल रफ्तार मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से 125 मेगावाट का बिजली उत्पादन और 4824 टन वार्षिक मछली का उत्पादन होगा। इसके अतिरिक्त रोजगार, खरीफ और रबी फसल मिलाकर 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा मिलेगी। 49 मि.घ.मी पेयजल भी मिलेगा। वही इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट से कांकेर जिले की 50,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सहित कुल 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा का विस्तार होगा।
बोधघाट से यह होगा बस्तर को लाभ
दोनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 49000 करोड़ रुपये है। जिसमें इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना की लागत लगभग 20 हजार करोड़ रुपये और बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना में लगभग 29 हजार करोड़ रुपये की लागत संभावित है। जिसमें हाइड्रोपावर इलेक्ट्रोमैकेनिकल कार्य, सिविल कार्य (सिंचाई) भी शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में उपयोगी जल भराव क्षमता 2009 मि.घ.मी, कुल जल भराव क्षमता 2727 मि.घ.मी, पूर्ण जल भराव स्तर पर सतह का क्षेत्रफल 10440 हेक्टेयर संभावित है। बोधघाट बांध प्रोजेक्ट से दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा जिले के 269 गांवों को बड़ा लाभ होगा। वहीं इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट से कांकेर जिले के सैकड़ों गांवों में सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। बस्तर संभाग को विकसित, आत्मनिर्भर बनाने में दोनों प्रोजेक्ट एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
यह है बोध घाट परियोजना का इतिहास
बोधघाट परियोजना गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है। राज्य में इंद्रावती नदी कुल 264 किलोमीटर है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड और तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 किलोमीटर और जगदलपुर शहर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। केंद्र सरकार ने जनवरी 1979 में बोधघाट परियोजना और आंध्र प्रदेश की पोलावरम परियोजना को मंजूरी दी थी। पोलावरम का काम लगभग पूरा हो चुका है, जबकि बोधघाट में अभी शुरुआत भी नहीं हुई। केंद्रीय एजेंसी ने सर्वे कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं केंद्र सरकार ने हाइड्रोलॉजी रिपोर्ट को हरी झंडी दे दी है। इसके डीपीआर पर काम हो रहा है। बोधघाट परियोजना के पिछड़ने का एक बड़ा कारण नक्सलवाद भी है। अति संवेदनशील क्षेत्र होने की वजह से बोधघाट का काम रूका हुआ था।
रिपोर्ट-संदीप दीवान
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