छत्तीसगढ़ के इस नक्सल प्रभावित गांव में खुला पशुओं का अस्पताल,12000 जानवरों का होगा इलाज
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 27वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर विवेक कुमार पांडे की ओर से किए शनिवार को इसके उद्घाटन के बाद बड़ी संख्या में लोग अपनी मुर्गियों,गायों और यहां तक कि कुत्तों जैसे पशुओं के साथ इस सुविधा पर पहुंचे।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने छत्तीसगढ़ के नक्सल हिंसा प्रभावित एक दूरदराज के इलाके में पशुओं के लिए पहली बार एक फील्ड अस्पताल खोला है। यह मुफ्त चिकित्सा सुविधा महाराष्ट्र की सीमा से लगे मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के सीतागांव गाँव में स्थित है,जो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यह पहल केंद्र सरकार की मार्च 2026 तक नक्सल हिंसा को खत्म करने और स्थानीय लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में शामिल करने की योजना का हिस्सा है।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 27वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर विवेक कुमार पांडे की ओर से किए शनिवार को इसके उद्घाटन के बाद बड़ी संख्या में लोग अपनी मुर्गियों,गायों और यहां तक कि कुत्तों जैसे पशुओं के साथ इस सुविधा पर पहुंचे। अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि यह फील्ड अस्पताल सीतागांव के आसपास के 20 गांवों के लगभग 12,000 पशुओं की देखभाल करेगा। ये जानवर कई ग्रामीणों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत हैं।
आईटीबीपी इस जिले में नक्सल विरोधी अभियानों को चलाने के लिए तैनात है और इसके पशु चिकित्सा डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ फील्ड अस्पताल में पशुओं की मुफ्त में नियमित जांच और इलाज करेंगे। इलाके में पशुओं के लिए एक बुनियादी अस्पताल खोलने का विचार आईटीबीपी को एक सरकारी सर्वेक्षण के बाद आया,जिसमें पाया गया कि सीतागाँव के आसपास के 20 गांवों में 5,490 मुर्गी, 3,550 बकरियां, 1,855 गाय और बैल, 815 सूअर और 640 कुत्ते हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बड़ी संख्या में पशुओं का पालन-पोषण किया जाता है और यह न केवल कई ग्रामीणों के लिए आजीविका का साधन है,बल्कि स्थानीय लोगों के लिए जीवन का एक तरीका भी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनके उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने 16 मई को सैनिकों के साथ बातचीत करने के लिए सीतागांव आईटीबीपी शिविर का दौरा किया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इनमें से कई जानवर इसलिए मर गए क्योंकि स्वास्थ्य सुविधा और डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल सका।
इसके परिणामस्वरूप आईटीबीपी,जिसके पास एक पशु चिकित्सा विंग है,ने जानवरों के लिए एक स्वास्थ्य सुविधा शुरू करने की योजना बनाई,जिससे उनके मालिकों को भी मदद मिलेगी। अस्पताल में बड़े जानवरों को रखने के लिए एक बाड़ा,एक दवा और प्रक्रिया कक्ष और एक पंजीकरण डेस्क है। पर्वतीय युद्ध में प्रशिक्षित आईटीबीपी मुख्य रूप से चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा करने के साथ-साथ देश के आंतरिक सुरक्षा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कर्तव्य निभाता है,जिसमें नक्सल विरोधी अभियान भी शामिल हैं। इसकी सीमा इकाइयाँ आमतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के लिए ऐसे पशु चिकित्सा शिविर आयोजित करती हैं,लेकिन यह पहली बार है जब वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित क्षेत्र में ऐसी कोई सुविधा खोली गई है।
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