AI होलोबॉक्स से मिलेगी संविधान की जानकारी, ऐसे काम करती है होलोग्राम टेक्नोलॉजी
नागरिकों को संविधान की जानकारी देने के एक अनूठे प्रयास में, संस्कृति मंत्रालय और टेक्नोलॉजी कंपनी टैगबिन ने मिलकर डॉ. बी.आर. आंबेडकर होलोबॉक्स लॉन्च किया है। आइए समझें कि यह टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है।

भारत के नागरिकों को संविधान की गहराई से जानकारी देने के लिए संस्कृति मंत्रालय और टेक्नोलॉजी कंपनी टैगबिन ने मिलकर डॉ. बी.आर. आंबेडकर होलोबॉक्स लॉन्च किया है। यह एक अत्याधुनिक एआई-पावर्ड होलोग्राफिक प्लेटफॉर्म है, जो यूजर्स को संविधान और डॉ. आंबेडकर की विचारधारा के करीब लाने का प्रयास करता है।
होलोबॉक्स की मदद से लोग भारतीय संविधान की मूल अवधारणाओं, ऐतिहासिक चर्चाओं और डॉ. आंबेडकर की भूमिका को बातचीत करते हुए समझ सकेंगे। इसमें मौजूद एआई सिस्टम यूजर्स के सवालों के उत्तर तुरंत और सटीक तरीके से देता है, जिससे संविधान को जानना पहले से कहीं ज्यादा आसान और दिलचस्प बन जाता है।
बोलती तस्वीरें, असली जैसी आवाज
यह इनोवेटिव डिवाइस डॉ. आंबेडकर की आवाज़ को वॉइस क्लोनिंग तकनीक से पुनर्जीवित करता है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है मानो वे खुद सामने हों और बात कर रहे हों। साथ ही, 3D होलोग्राफिक इमेज का यूज एक्सपीरियंस को और रियलिस्टिक बनाता है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध यह सिस्टम अधिकतम लोगों तक पहुंच बनाने के लिए तैयार किया गया है।
आखिर होलोग्राम टेक्नोलॉजी क्या है?
होलोग्राम एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें किसी चीज या इंसान की थ्री-डायमेंशनल (3D) इमेज को इस तरह दिखाया जाता है कि वह हवा में या स्क्रीन पर असली जैसी दिखाई देती है। यह इमेज लाइट बीम्स के स्पेशल पैटर्न से बनती है और देखने वाले को लगता है कि वह असली है, हालांकि वह वास्तव में एक डिजिटल इमेज होती है।
होलोग्राफी कैसे काम करती है?
होलोग्राफी (Holography) एक साइंटिफ प्रोसेस है जो किसी इमेज की लाइट वेव्स को रिकॉर्ड करके उसका 3D इमेज बनाती है। इस प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण होते हैं,
- रिकॉर्डिंग (Recording):
एक लेजर बीम को दो हिस्सों में बांटा जाता है- एक बीम सीधे ऑब्जेक्ट पर पड़ती है और दूसरी एक रेफरेंस बीम के रूप में इस्तेमाल होती है। जब यह दोनों बीम्स आपस में मिलती हैं, तो वे इंटरफेरेंस पैटर्न बनाती हैं, जिसे एक विशेष सतह (जैसे फोटोसेंसिटिव प्लेट) पर रिकॉर्ड किया जाता है।
2. स्टोरेज (Storage):
यह इंटरफेरेंस पैटर्न उस ऑब्जेक्ट की सारी विजुअल जानकारी को अपने अंदर सेव करता है, जिसमें आकार, गहराई, बनावट और दिशा सब शामिल होती है।
3. रिकंस्ट्रक्शन (Reconstruction):
जब इस रिकॉर्ड किए गए होलोग्राम को लेजर या यही लाइट सोर्स से रोशनी भेजी जाती है, तो वह ऑब्जेक्ट की 3D इमेज को दोबारा सामने लाता है, जो ऐसा लगता है जैसे वह आपके सामने हवा में मौजूद हो।
इंडियागेट पर भी लगा था 3D होलोग्राम
नई दिल्ली के इंडिया गेट पर होलोग्राम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राफिक प्रतिमा के रूप में हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी, 2022 को नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर इस 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। यह प्रतिमा 30,000 ल्यूमेंस के 4K प्रोजेक्टर से ऑपरेटेड थी, जिसमें एक इनविजिबल, हाई गेन, 90% पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन का यूज किया गया था। यह होलोग्राम स्टेचू तब तक दिखाई गई जब तक कि उसी जगह पर ग्रेनाइट से बनी नेताजी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो गई।
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