Ahmedabad plane crash news death toll would have more if trainee doctors were not there people thanked them बढ़ जाती मौतों की संख्या अगर; अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद लोग किसे बोल रहे 'थैंक्यू', Gujarat Hindi News - Hindustan
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बढ़ जाती मौतों की संख्या अगर; अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद लोग किसे बोल रहे 'थैंक्यू'

Ahmedabad Plane Crash: 242 यात्रियों के अलावा मेडिकल हॉस्टल के छात्र और आसपास के लोग भी इस हादसे का शिकार हुए हैं। इस बीच एक और नई बात पता चली है। लोगों का कहना है कि अगर वहां पर ट्रेनी डॉक्टर्स न होते तो शायद मौतों का आंकड़ा और बढ़ सकता था। सभी ने इन डॉक्टर्स का धन्यवाद किया है।

Utkarsh Gaharwar लाइव हिन्दुस्तान, अहमदाबादTue, 17 June 2025 01:46 PM
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बढ़ जाती मौतों की संख्या अगर; अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद लोग किसे बोल रहे 'थैंक्यू'

12 जून की दोपहर अहमदाबाद में जो हुआ वो कभी न भूलने वाला दर्द है। एयर इंडिया के AI171 फ्लाइट के क्रैश होने के चलते 242 जिंदगियां हमेशा के लिए हमसे रुखसत हो गईं। 242 यात्रियों के अलावा मेडिकल हॉस्टल के छात्र और आसपास के लोग भी इस हादसे का शिकार हुए हैं। इस बीच एक और नई बात पता चली है। लोगों का कहना है कि अगर वहां पर ट्रेनी डॉक्टर्स न होते तो शायद मौतों का आंकड़ा और बढ़ सकता था। सभी ने इन डॉक्टर्स का धन्यवाद किया है।

अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के एक ट्रेनी डॉक्टर नवीन चौधरी उस दोपहर अपना खाना खाने बैठे ही थे कि एक जोरदार धमाके ने उन्हें चौंका दिया। । उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो खाने के उस हॉल में भीषण आग लगी हुई थी,जहां वे और दूसरे प्रशिक्षु डॉक्टर दोपहर के खाने के लिए जमा हुए थे। आग को अपनी तरफ बढ़ते देख,वे एक खिड़की की तरफ भागे और कूदकर अपनी जान बचाई। जमीन से ऊपर देखते हुए एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान के पिछले हिस्से को जलती हुई और टूटी हुई कॉलेज कैंटीन की इमारत से लटका देखकर चौधरी और उनके साथी मेडिकल छात्र मदद के लिए आगे बढ़े।

उन्होंने कहा कि उन्हें जिंदा बच जाने का सौभाग्य मिला,लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि घायलों को बचाना उनका काम है। समाचार एजेंसी एपी के हवाले से उन्होंने बताया, "आग लगी हुई थी और कई लोग घायल थे।" नवीन अस्पताल के आईसीयू (गहन चिकित्सा इकाई) में भागे,जहां अधिकतर जल चुके घायलों को स्ट्रेचर पर लाया जा रहा था।

डॉक्टर नवीन कहा,"मुझे लगा कि एक डॉक्टर के तौर पर मैं किसी की जान बचा सकता हूं। मैं सुरक्षित था। इसलिए मैंने सोचा कि मैं जो कुछ भी कर सकता हूं,मुझे करना चाहिए।" सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद जब लंदन जा रहा बोइंग 787-8 (AI 171) विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ,तो उसमें सवार 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से 241 और जमीन पर मौजूद 29 अन्य लोग,जिनमें पांच एमबीबीएस छात्र भी शामिल थे,मारे गए।

कई लोगों का मानना था कि अगर उन ट्रेनी डॉक्टरों और छात्रों ने समय पर मदद न की होती,हॉस्टल से निकलकर अपने साथियों को बचाने न दौड़ते,तो मरने वालों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती थी। अक्षय झाला एक सीनियर मेडिकल छात्र ने बताया कि विमान दुर्घटना एक भूकंप जैसी महसूस हुई। उन्होंने कहा,"मैं मुश्किल से कुछ देख पा रहा था क्योंकि धुएं और धूल के घने गुबार ने सब कुछ ढंक लिया था। मुझे सांस लेने में भी मुश्किल हो रही थी।" झाला धूल और धुएं के बीच से भागकर सुरक्षित जगह पर पहुंचे। उन्होंने अपने बाएं पैर के घाव को साफ किया और पट्टी बांधी,फिर घायलों का इलाज करने के लिए मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में दूसरों के साथ शामिल हो गए।

कॉलेज की डीन मीनाक्षी पारिख ने बताया कि जिन डॉक्टरों ने अपने साथियों को मलबे से बाहर निकाला,उनमें से कई उसी दिन अपनी ड्यूटी पर वापस लौट गए ताकि वे जितनी हो सके उतनी जानें बचा सकें। पारिख ने कहा,"उन्होंने ऐसा किया और वह जज्बा इस पल तक जारी है।" पारिख ने कहा,"यह मानवीय स्वभाव है,जब हमारे अपने लोग घायल होते हैं,तो हमारी पहली प्रतिक्रिया उनकी मदद करना होती है।" तो जो डॉक्टर बच निकलने में कामयाब रहे उन्होंने सबसे पहले वापस जाकर अपने उन साथियों को बाहर निकाला जो अंदर फंसे हुए थे।" उन्होंने आगे कहा,"वे शायद बच भी नहीं पाते क्योंकि बचाव दल को आने में समय लगता है।"

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