Terrorist was laughing after shooting my husband says Pahalgam victim wife मेरे पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था, मरने तक वहीं खड़ा रहा आतंकी; पहलगाम हमले की पीड़िता, Gujarat Hindi News - Hindustan
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मेरे पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था, मरने तक वहीं खड़ा रहा आतंकी; पहलगाम हमले की पीड़िता

कश्मीर के पहलगाम में आंतंकवादियों की गोलियों की शिकार होने वालों में सूरत के शैलेश कलथिया भी शामिल थे। कलथिया की पत्नी ने बताया कि आतंकवादी उनके पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था। वह तब तक वहां से नहीं गया जब तक कि उनके पति मर नहीं गए।

Subodh Kumar Mishra पीटीआई, अहमदाबादThu, 24 April 2025 05:46 PM
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मेरे पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था, मरने तक वहीं खड़ा रहा आतंकी; पहलगाम हमले की पीड़िता

कश्मीर के पहलगाम में आंतंकवादियों की गोलियों की शिकार होने वालों में सूरत के शैलेश कलथिया भी शामिल थे। कलथिया की पत्नी ने बताया कि आतंकवादी उनके पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था। वह तब तक वहां से नहीं गया जब तक कि उनके पति मर नहीं गए। मंगलवार को हुए इस आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों में कलथिया समेत गुजरात के तीन लोग भी शामिल थे। तीनों मृतकों का गुरुवार को उनके पैतृक स्थानों पर अंतिम संस्कार किया गया।

मृतक शैलेश कलाथिया की पत्नी शीतलबेन कलाथिया उस समय काफी दुखी दिखीं जब उनके पति के पार्थिव शरीर को श्मशान ले जाया जा रहा था। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने कोई दया नहीं दिखाई। बताया कि एक आतंकवादी हमारे करीब आया और फिर यह जानने के बाद कि वह हिंदू है, उसने उनके पति को काफी करीब से गोली मार दी। गोली मारने के बाद आतंकवादी हंस रहा था। वह तब तक वहां से नहीं गया जब तक कि उनके पति मर नहीं गए।

कलथिया के बेटे नक्श ने सूरत में अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए नक्श ने कहा कि उनके पिता को हिंदू होने के कारण निशाना बनाया गया। एक आतंकवादी ने उनके और उनकी मां के सामने गोली मारकर उनके पिता की हत्या कर दी। शैलेश कलथिया अपनी पत्नी शीतलबेन, बेटे नक्श और बड़ी बेटी नीति के साथ पहलगाम में छुट्टियां मना रहे थे।

नक्श ने बताया, ''जैसे ही हमने गोलियों की आवाज सुनी, सभी पर्यटक छिपने की तलाश में भागने लगे। आखिरकार दो आतंकवादियों ने हमें ढूंढ़ लिया और हम सभी से हमारा धर्म बताने को कहा। उन्होंने लोगों को दो समूहों में बांट दिया- हिंदू और मुसलमान। फिर, उन्होंने मेरे पिता सहित सभी हिंदू पुरुषों की गोली मारकर हत्या कर दी।"

उन्होंने कहा कि हमले के समय उस इलाके में करीब 20 से 30 पर्यटक थे। मुझे डर था कि मैं भी मारा जाऊंगा। हिंदुओं को मुसलमानों से अलग करने के बाद आतंकवादियों ने उनसे 'कलमा' पढ़ने को कहा। जिन मुसलमानों ने कलमा पढ़ा, उन्हें छोड़ दिया गया। जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई।

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इस हमले में भावनगर के रहने वाले यतीश परमार और उनके बेटे स्मित परमार भी मारे गए। स्मित परमार के मामा सार्थक नैथानी ने बताया कि भावनगर से श्रीनगर गए कुल 20 लोगों में से परमार और नैथानी परिवार भी शामिल थे। इनमें से 12 लोग पहलगाम गए थे। उन्होंने बताया कि उस इलाके में पर्यटकों पर गोलियां चलाने वाले आतंकियों ने सेना की वर्दी जैसे हरे रंग के कपड़े पहने हुए थे। उनके चेहरे ढके नहीं थे।

नैथानी ने बताया कि चारों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग के कारण सभी भागने लगे। यतीशभाई को आतंकियों ने गोली मार दी। मैंने कुछ दूरी से देखा कि एक आतंकी ने स्मित से कुछ पूछा और फिर नजदीक से गोली चला दी।

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